जागतिक युद्ध अनाथ दिवस - एक हिंदी कविता-

Started by Atul Kaviraje, January 06, 2025, 10:46:35 PM

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Atul Kaviraje

जागतिक युद्ध अनाथ दिवस - एक हिंदी कविता-

वो दिन भी आए थे, जब आसमां में घुटन थी,
हर दिल में दहशत, और हर जगह उलझन थी।
युद्ध की आग ने तब हर घर को जलाया,
अनाथों की आंखों में सिर्फ अंधेरा आया।

सपने जो कभी थे, वो चुराए गए,
मां-बाप की बातों को निगल लिया गया।
वो बच्चे जो हंसी-खुशी खेलते थे,
अब बस खामोशी में खोते थे।

युद्ध की लहर ने परिवारों को छीन लिया,
खुशियों का हर रंग, तब सफेद हो लिया।
हम भूल गए थे क्या वह मासूम चेहरे,
जो बिना किसी कसूर के खुद को खोते थे।

क्या होगा उनका जो इस जंग में खो गए,
क्या होगा उनका जो युद्ध में रोते थे?
क्या है इस युद्ध का अर्थ, जो दिलों को तोड़े,
सिर्फ आंसू और दर्द हमको छोड़ आए।

हम सबको मिलकर शांति की राह दिखानी है,
अनाथों के चेहरों पर मुस्कान लानी है।
सभी को यह समझाना है कि लड़ाई नहीं,
हमारे दिलों में प्यार और शांति होनी चाहिए। 🌍🕊�

कविता का अर्थ:

यह कविता युद्ध के कारण होने वाली भयावहता और उसके प्रभाव को दर्शाती है। युद्ध ने बच्चों और परिवारों को अनाथ और निसहाय बना दिया है। यह कविता उन मासूम चेहरों की ओर इशारा करती है, जिन्होंने युद्ध के कारण अपनों को खो दिया। कविता में शांति और प्यार का संदेश है, ताकि हम एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति और समझदारी दिखाएं और युद्ध की क्रूरता को समाप्त करें।

सिंबल्स, इमोजीज, और चित्र:

🕊� (शांती का कबूतर): शांति और अहिंसा का प्रतीक
💔 (टूटता दिल): युद्ध से टूटे हुए परिवारों और बच्चों के दुःख का प्रतीक
🌍 (पृथ्वी): संपूर्ण मानवता की एकता की आवश्यकता
🩸 (रक्त की बूँद): युद्ध में बहता खून, मानवता का दर्द
😢 (रोते हुए चेहरे): अनाथ बच्चों की करुणा और दुख
🌸 (फूल): आशा, प्यार और शांति का प्रतीक

चित्र:

चित्र 1: एक बच्चे के हाथ में टूटे हुए खिलौने और आंखों में आंसू, उसका चेहरा शांति और प्रेम की तलाश में।
चित्र 2: युद्ध के बाद मलबे में एक छोटे से कबूतर का उड़ना, जो शांति और आशा का प्रतीक है।

यह कविता एक शक्तिशाली संदेश देती है कि हमें युद्धों से बचकर शांति की ओर बढ़ना चाहिए, ताकि भविष्य में कोई बच्चा अनाथ न हो, और हर चेहरे पर मुस्कान हो।

--अतुल परब
--दिनांक-06.01.2025-सोमवार. 
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