राम और लक्ष्मण का भाईचारा, प्रेम और उसका आदर्श-1

Started by Atul Kaviraje, January 09, 2025, 12:21:14 AM

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Atul Kaviraje

राम और लक्ष्मण का भाईचारा, प्रेम और उसका आदर्श-
(The Brotherhood and Love Between Rama and Lakshmana)

राम और लक्ष्मण का संबंध भारतीय संस्कृति में भाईचारे, प्रेम और बलिदान का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करता है। इन दोनों भाइयों के बीच का रिश्ता न केवल पारिवारिक प्रेम का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय धर्म, आदर्श और कर्म के सिद्धांतों को भी दर्शाता है। राम और लक्ष्मण के रिश्ते में जो भाईचारा था, वह न केवल पारिवारिक दायित्वों को निभाने का आदर्श प्रस्तुत करता है, बल्कि यह समर्पण, सहनशीलता, और सच्चे प्रेम का भी प्रतीक है।

राम और लक्ष्मण का प्रारंभिक संबंध:
राम और लक्ष्मण के बीच का भाईचारा बचपन से ही विशेष था। जब भगवान राम का जन्म हुआ, तब उनकी मां कौशल्या और पिता राजा दशरथ ने उन्हें भगवान की तरह देखा और उनका पालन-पोषण भी उसी आदर्श के अनुसार हुआ। राम के छोटे भाई लक्ष्मण का जन्म उनकी दूसरी पत्नी सुमित्रा से हुआ था। लक्ष्मण का पालन-पोषण भी राम के समान ही हुआ था, लेकिन लक्ष्मण का दिल हमेशा राम के साथ था। वह राम से विशेष रूप से प्रेम करते थे और राम की सुख-चैन के लिए हर समय समर्पित रहते थे।

लक्ष्मण की भूमिका राम के जीवन में केवल एक छोटे भाई की नहीं थी, बल्कि वह राम के सबसे करीबी मित्र और उनके प्रेरक भी थे। उनका भाईचारा एक आदर्श था, जिसमें न केवल परिवार की जिम्मेदारियाँ, बल्कि सामाजिक और धार्मिक आदर्शों का भी पालन किया गया। राम के प्रति लक्ष्मण का प्रेम और निष्ठा इस हद तक थी कि वह राम के आदेश पर अपने जीवन को भी दांव पर लगाने के लिए तैयार रहते थे।

लक्ष्मण का राम के प्रति समर्पण:
जब राम को उनके पिता राजा दशरथ द्वारा बनवास देने का आदेश हुआ, तो लक्ष्मण ने बिना किसी विरोध के राम के साथ जंगल जाने का निर्णय लिया। यह एक अत्यंत साहसिक और निस्वार्थ कदम था, क्योंकि उनका जीवन सुख-सुविधाओं से भरा हुआ था और उन्हें इस कठिन परिस्तिथी में जाने की कोई आवश्यकता नहीं थी। लेकिन लक्ष्मण का राम के प्रति प्रेम और निष्ठा इस कदर थी कि वह अपने जीवन के सारे सुख त्यागकर उनके साथ जंगल चले गए।

उनका यह कदम यह दर्शाता है कि भाई के प्रति प्रेम और समर्पण में कोई भी स्वार्थ नहीं होता। वह केवल अपने भाई की भलाई और सुख के लिए अपनी सारी इच्छाओं और सुखों को छोड़ने के लिए तैयार थे। यह प्रेम और समर्पण केवल शब्दों तक सीमित नहीं था, बल्कि उनके कृत्यों से भी यह प्रमाणित हुआ।

राम और लक्ष्मण के संवाद में आदर्श:
राम और लक्ष्मण के संवाद में कई ऐसे पल आए, जो उनके भाईचारे के आदर्श को प्रदर्शित करते हैं। एक प्रसिद्ध उदाहरण तब आता है जब लक्ष्मण ने राम को राक्षस रावण से लड़ाई में जाने के लिए प्रेरित किया। इस समय राम ने लक्ष्मण से कहा, "तुम मेरे छोटे भाई हो, तुम्हारा कर्तव्य है कि तुम मेरे साथ रहो और मेरी मदद करो। तुम्हारी निष्ठा और साहस ने हमेशा मुझे प्रेरित किया है।"

इस संवाद में राम ने अपने छोटे भाई की निष्ठा और साहस को न केवल सराहा, बल्कि उसे एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत किया। वहीं लक्ष्मण ने भी राम से यह कहा कि वह किसी भी स्थिति में उनका साथ नहीं छोड़ेंगे और उनका हर कदम पर साथ देंगे।

लक्ष्मण का भाई के लिए बलिदान:
राम और लक्ष्मण का भाईचारा और प्रेम सबसे अधिक तब प्रकट हुआ, जब लक्ष्मण को रावण के भाई मेघनाथ (इंद्रजीत) ने युद्ध भूमि पर घायल कर दिया। जब लक्ष्मण की स्थिति गंभीर हो गई, तो राम ने अपने छोटे भाई के लिए भगवान वरुण से एक विशेष औषधि मंगवाई।

लक्ष्मण के इस बलिदान ने यह सिद्ध किया कि उनका प्रेम केवल शब्दों तक नहीं, बल्कि कार्यों तक भी फैला हुआ था। उन्होंने अपने भाई के जीवन की रक्षा के लिए हर प्रकार की कठिनाई को सहन किया और राम के लिए अपने जीवन की परवाह नहीं की।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-08.01.2025-बुधवार.
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