"रात में बेंचों और रोशनी वाला एक सिटी पार्क"

Started by Atul Kaviraje, January 10, 2025, 08:57:48 AM

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Atul Kaviraje

शुभ रात्रि, शुभ गुरुवार मुबारक हो

"रात में बेंचों और रोशनी वाला एक सिटी पार्क"

शहर की सड़कों से दूर एक पार्क,
जहाँ बेंचों पर बैठते हैं लोग, कुछ आराम। 🌃🛋�
रोशनी से नहाया हर कोना,
पार्क में बिखरी नयी आशा का मोना। 💡🌳

संध्या की सर्दी में, दिल से दिल मिलते,
यहाँ लोग अपनी उदासी को छोड़कर मुस्कुराते।
शहर की हलचल में खो जाने के बाद,
यह पार्क हमारी दुनिया का एक नया अंदाज। 🌙🌿

     यह कविता एक सिटी पार्क में रात के समय की शांति और सुंदरता को दर्शाती है, जहां रोशनी और बेंचों का मिलन लोगों को आराम और शांति का अनुभव कराता है।

--अतुल परब
--दिनांक-09.01.2025-गुरुवार.
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