12 जनवरी, 2025 - राजमाता जिजाबाई भोसले जयंती-

Started by Atul Kaviraje, January 12, 2025, 11:41:43 PM

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Atul Kaviraje

राजमाता जिजाबाई भोसले जयंती- (तारखेप्रमाणे)-

12 जनवरी, 2025 - राजमाता जिजाबाई भोसले जयंती-

राजमाता जिजाबाई भोसले का जीवन एक प्रेरणा का स्त्रोत है। उनका जीवन कर्तव्य, साहस और संकल्प का प्रतीक था। वे मराठा साम्राज्य के महान संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज की माता थीं और उनके जीवन ने न केवल उनके बेटे के लिए बल्कि पूरे भारतीय इतिहास के लिए महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान किया। उनका व्यक्तित्व एक ऐसी मिसाल है जिसे हर भारतीय गौरवान्वित महसूस करता है। राजमाता जिजाबाई ने अपने जीवन में कई संघर्षों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी भी अपने कर्तव्यों से मुंह नहीं मोड़ा और अपने बेटे शिवाजी को एक महान योद्धा और सशक्त शासक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

राजमाता जिजाबाई का जीवन कार्य:
राजमाता जिजाबाई का जन्म 12 जनवरी 1598 को महाराष्ट्र के वर्तमान जलगांव जिले के सिंधखेडa में हुआ था। उनका विवाह शाहजी भोसले से हुआ था, जो एक मराठा कुलीन थे। जिजाबाई का जीवन संघर्षों और विपरीत परिस्थितियों से भरा था, लेकिन उन्होंने इन सभी कठिनाइयों का सामना धैर्य, साहस और बुद्धिमत्ता से किया।

राजमाता जिजाबाई ने अपने बेटे शिवाजी महाराज को न केवल युद्ध की कला सिखाई, बल्कि उन्हें एक महान शासक बनने के लिए भी प्रेरित किया। जिजाबाई ने शिवाजी को अपने जीवन के सिद्धांत और आदर्श बताकर उन्हें एक सम्मानित योद्धा और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाने वाला शासक बनाया। उन्होंने अपने बेटे को स्वतंत्रता, न्याय और धर्म के महत्व के बारे में समझाया और साथ ही उन्हें यह भी सिखाया कि एक सशक्त शासन तभी संभव है जब वह आम जनता के भले के लिए काम करे।

उनके शिक्षा और नेतृत्व के कारण ही शिवाजी महाराज को महान शासक बनने का अवसर मिला। जिजाबाई ने शिवाजी की परवरिश में धार्मिक और नैतिक मूल्यों को सर्वोपरि रखा। उनका जीवन यह दर्शाता है कि एक सशक्त मातृत्व के बिना कोई साम्राज्य या नेता नहीं उभर सकता।

राजमाता जिजाबाई का योगदान:
राजमाता जिजाबाई का योगदान केवल अपने बेटे शिवाजी महाराज तक सीमित नहीं था। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे एक संघर्षशील महिला थीं, जिन्होंने अपने परिवार और समाज की भलाई के लिए अपनी निजी सुख-सुविधाओं को तिलांजलि दी।

जिजाबाई ने न केवल मराठा साम्राज्य के समृद्धि के लिए काम किया, बल्कि उन्होंने भारत के प्रत्येक नागरिक को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया। उनका नेतृत्व और साहस आज भी भारतीय महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके द्वारा दिए गए मार्गदर्शन के कारण ही शिवाजी महाराज को अपने अभियान में सफलता मिली और उन्होंने भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया।

उदाहरण:
राजमाता जिजाबाई के जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण उदाहरण यह है कि जब वह अपने बेटे शिवाजी के साथ पुणे किले में बंदी थीं, तब उन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी अपने साहस और धैर्य को बनाए रखा। यह समय उनके लिए बहुत कठिन था, लेकिन उन्होंने कभी भी हिम्मत नहीं हारी और शिवाजी को हमेशा अच्छे कार्यों की ओर प्रेरित किया। उनके मार्गदर्शन में ही शिवाजी ने अपनी कड़ी मेहनत, संघर्ष और रणनीतिक सोच से एक विशाल साम्राज्य स्थापित किया।

राजमाता जिजाबाई का संदेश:
राजमाता जिजाबाई का जीवन एक महिला शक्ति, संघर्ष और नायकत्व का अद्वितीय उदाहरण है। उन्होंने न केवल अपने बेटे शिवाजी को महान शासक बनाने के लिए समर्पण किया, बल्कि अपने समाज और देश के लिए भी कई अनमोल शिक्षा दी। उनका जीवन यह सिखाता है कि अगर कोई अपने कर्तव्यों को निष्ठा और ईमानदारी से निभाता है, तो सफलता निश्चित ही मिलती है। उनका यह संदेश था कि आत्मविश्वास, साहस और दृढ़ संकल्प से किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है।

कविता:

साहस की मूर्ति, कर्तव्य की देवी,
राजमाता जिजाबाई, जीवन में अनमोल रत्न।
शिवाजी को दी शिक्षा, स्वतंत्रता का संदेश,
समाज के भले के लिए किया सशक्त हर कार्य।

धैर्य से बढ़ती रहीं जीवन की राह,
हर मुश्किल को किया आसान, बिना किसी कष्ट के साथ।
मातृत्व की शक्ति से लड़ा युद्ध,
आत्मविश्वास में समर्पण, यही उनका गुण।

शिवाजी के पंखों में बसी उनकी आशा,
हर वीरता में छिपी थी जिजाबाई की शक्ति।
उनके बिना अधूरी होती महिमा की दास्तान,
उनकी प्रेरणा से उज्जवल हुआ मराठा साम्राज्य का मान।

राजमाता जिजाबाई जयंती का महत्व:
राजमाता जिजाबाई जयंती 12 जनवरी को मनाई जाती है, जो न केवल उनके योगदान को याद करने का दिन है, बल्कि यह हमें मातृत्व, नेतृत्व और समाज के प्रति जिम्मेदारी का अहसास भी कराती है। उनका जीवन प्रेरणादायक है, क्योंकि उन्होंने हमेशा अपने कर्तव्यों और समाज के भले के लिए कार्य किया। आज के समय में महिलाओं के लिए उनके आदर्शों का पालन करना बेहद आवश्यक है। उनका जीवन यह सिखाता है कि एक मां और एक नेता का कर्तव्य केवल अपने परिवार तक सीमित नहीं होता, बल्कि वह समाज और राष्ट्र के उत्थान के लिए भी जिम्मेदार होती है।

राजमाता जिजाबाई का जीवन हमें यह भी सिखाता है कि किसी भी प्रकार के संघर्ष में अगर आत्मविश्वास, साहस और धैर्य हो तो कोई भी कठिनाई पार की जा सकती है। उनके जीवन से हम यह समझ सकते हैं कि समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करना ही असली वीरता है।

राजमाता जिजाबाई भोसले का जीवन एक प्रेरणा का स्त्रोत है। उनकी जयंती हमें यह याद दिलाती है कि मातृत्व के साथ-साथ नेतृत्व, साहस, और अपने कर्तव्यों का पालन कितना महत्वपूर्ण है। स्वाधीनता, वीरता और अपने देश के प्रति समर्पण का आदर्श वह हमें देती हैं, जो आज भी हमारे दिलों में जीवित है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-12.01.2025-रविवार.
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