"मकर संक्रांति"-14.01.2025 -

Started by Atul Kaviraje, January 14, 2025, 10:50:42 PM

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Atul Kaviraje

14.01.2025 - बुधवार: फेसबुक पर मेरे सभी मित्रों को तिल और गुड़ के साथ "मकर संक्रांति" की हार्दिक शुभकामनाएँ।

मकर संक्रांति का महत्व और उसकी सांस्कृतिक पहचान

मकर संक्रांति भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व मुख्य रूप से सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के कारण मनाया जाता है और पूरे भारत में विभिन्न रूपों में उल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार खासकर ठंड के मौसम में आता है, और इस दिन सूर्य की उत्तरायण यात्रा की शुरुआत मानी जाती है। इस दिन को लेकर विशेष परंपराएँ और रिवाज़ हैं, जिनमें तिल और गुड़ खाना, पतंगबाजी करना, और सामाजिक मेल-जोल के कार्यक्रम आयोजित करना शामिल है।

मकर संक्रांति का महत्व:

मकर संक्रांति का दिन सूर्य की उत्तरण यात्रा के शुभारंभ का प्रतीक है। जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, तो इसका प्रभाव हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है। उत्तरायण के समय सूर्य की किरणें धरती पर सीधी आती हैं, जिससे न केवल मौसम में बदलाव आता है, बल्कि यह समय होता है हर प्रकार के शुद्धिकरण और नव जीवन की शुरुआत का। इस दिन लोग नए साल की शुभकामनाएँ देते हैं, दान पुण्य करते हैं और अपने पुराने झगड़ों को भूलकर एक दूसरे से मिलकर आनंदित होते हैं।

मकर संक्रांति के दिन विशेष परंपराएँ:

तिल और गुड़ खाना: तिल और गुड़ का सेवन मकर संक्रांति के दिन विशेष रूप से किया जाता है। तिल को शुद्धता और गुड़ को मीठेपन का प्रतीक माना जाता है। यह परंपरा यह सिखाती है कि हमें जीवन में मीठे शब्दों और अच्छे कर्मों के साथ आगे बढ़ना चाहिए।

पतंगबाजी: यह दिन खासकर बच्चों और युवाओं के लिए आनंद का दिन होता है। वे आकाश में पतंग उड़ाते हैं और इस खेल के दौरान उत्सव का आनंद लेते हैं। यह खेल हमें जीवन में उच्च आकांक्षाओं को छूने और हर मुश्किल को पार करने की प्रेरणा देता है।

दान और पुण्य: इस दिन विशेष रूप से गरीबों को तिल और गुड़ का दान करने की परंपरा है। यह कार्य सामाजिक भलाई और एकता को बढ़ावा देता है।

उदाहरण के रूप में:

पोंगल (दक्षिण भारत): दक्षिण भारत में यह त्योहार पोंगल के रूप में मनाया जाता है, जहां लोग उबले हुए चावल और ताजे गुड़ का सेवन करते हैं।

लोहरी (उत्तर भारत): उत्तर भारत में इसे लोहरी के रूप में मनाया जाता है, जहां लोग आग के चारों ओर घूमकर सुख-शांति की कामना करते हैं।

महाराष्ट्र में मकर संक्रांति: महाराष्ट्र में इसे खासकर "तिल-गुळ घ्या, गोड गोड बोला" के साथ मनाया जाता है, और लोग एक-दूसरे को तिल और गुड़ का तिलक करके शुभकामनाएँ देते हैं।

मकर संक्रांति पर एक छोटी कविता:

तिल गुड़ खाओ, मीठा बोलो,
सूरज की किरण से, जीवन में रंग भर लो। 🌞
नए आकाश की ओर उड़ान भरो,
साथ चलें हम, हर राह पर प्यार भरो। 💖

अर्थ: यह कविता मकर संक्रांति के महत्व को व्यक्त करती है, जिसमें हम तिल और गुड़ के मीठेपन से जीवन को मीठा बनाने की बात करते हैं। इसके साथ ही यह भी संदेश है कि हमें हमेशा सकारात्मकता और प्रेम के साथ जीवन की यात्रा में आगे बढ़ना चाहिए।

समाज में एकता का संदेश:

मकर संक्रांति सिर्फ एक पर्व नहीं है, बल्कि यह सामाजिक एकता और प्रेम का प्रतीक भी है। इस दिन सभी समुदायों के लोग एक साथ मिलकर त्योहार मनाते हैं और अपने-अपने घरों में खुशी फैलाने का प्रयास करते हैं। यह दिन हमें एकजुटता, भाईचारे और प्रेम का संदेश देता है। हर कोई इस दिन अपने पुराने मतभेदों को छोड़कर एक नई शुरुआत करता है।

निष्कर्ष:

मकर संक्रांति का दिन केवल धार्मिक महत्व नहीं रखता, बल्कि यह जीवन में नवाचार, परिवर्तन और सकारात्मकता का प्रतीक भी है। यह हमें यह सिखाता है कि जैसे सूर्य की किरणें हर घर को रोशन करती हैं, वैसे ही हमारी अच्छाई और सकारात्मकता हर किसी के जीवन को रोशन कर सकती है। इस दिन तिल और गुड़ खाकर हमें जीवन में मीठे शब्द और अच्छे कार्यों को अपनाना चाहिए।

"मकर संक्रांति की शुभकामनाएँ – तिल और गुड़ खाओ, गोड गोड बोला!" 🌞🙏🎉

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--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-14.01.2025-मंगळवार.
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