राजनीतिक पारदर्शिता और लोकतंत्र-

Started by Atul Kaviraje, January 14, 2025, 10:58:59 PM

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Atul Kaviraje

राजनीतिक पारदर्शिता और लोकतंत्र-

राजनीतिक पारदर्शिता और लोकतंत्र का आपस में गहरा संबंध है। जब शासन की नीतियाँ और निर्णय पारदर्शी होते हैं, तो समाज में विश्वास, निष्पक्षता और जवाबदेही का माहौल बनता है। लोकतंत्र का उद्देश्य ही जनतंत्र है, यानी जनता का शासन, और यह तभी सशक्त और स्थिर होता है जब राजनीतिक प्रक्रिया में पारदर्शिता हो।

राजनीतिक पारदर्शिता

राजनीतिक पारदर्शिता का मतलब है कि सरकार और उसके कार्यकर्ता अपने निर्णयों, नीतियों और कार्यों को खुले तौर पर जनता के सामने रखें। इसमें सरकार के फैसले, योजनाएँ, बजट, कराधान और अन्य सार्वजनिक मामलों की जानकारी सभी नागरिकों को सुलभ होनी चाहिए। इसके द्वारा, नागरिक अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझ सकते हैं और सरकार से जवाब मांग सकते हैं। पारदर्शिता न केवल लोकतंत्र की बुनियादी आवश्यकताओं को मजबूत करती है, बल्कि भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को भी रोकती है।

लोकतंत्र
लोकतंत्र एक ऐसी शासन प्रणाली है जिसमें जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधि सरकार चलाते हैं। लोकतंत्र का मूल आधार है "जनता का शासन, जनता के द्वारा और जनता के लिए"। लोकतंत्र में नागरिकों को अपने अधिकारों का प्रयोग करने की पूरी स्वतंत्रता होती है, जैसे मतदान करना, अपने विचारों को व्यक्त करना, और सरकार के खिलाफ आवाज उठाना।

लोकतंत्र और पारदर्शिता का मजबूत संबंध है क्योंकि पारदर्शिता के बिना लोकतंत्र पंगु हो सकता है। जब सरकार के कार्यों में छिपाव होता है या कोई जवाबदेही नहीं होती, तो जनता अपनी सरकार को सही तरीके से नहीं चुन सकती या सुधार के लिए आवाज नहीं उठा सकती। इससे लोकतंत्र का उद्देश्य कमजोर होता है।

उदाहरण
भारत में RTI (सूचना का अधिकार): भारत में RTI (Right to Information) कानून, जिसे 2005 में लागू किया गया, ने राजनीतिक पारदर्शिता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इसके तहत भारतीय नागरिकों को सरकारी कामकाजी प्रक्रिया और निर्णयों के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है। इस कानून के लागू होने से सरकार की कार्यशैली में पारदर्शिता आई है और भ्रष्टाचार पर नियंत्रण भी हुआ है।

चुनाव प्रक्रिया: लोकतंत्र में चुनाव एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसमें पारदर्शिता सुनिश्चित करना जरूरी है। भारतीय चुनाव आयोग ने अपनी चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) का उपयोग और मतगणना के परिणामों का तुरंत प्रसारण। इन उपायों से चुनावों में निष्पक्षता सुनिश्चित होती है और जनता का विश्वास बढ़ता है।

लघु कविता - राजनीतिक पारदर्शिता और लोकतंत्र-

लोकतंत्र की आस्था है, जनता की राय का सम्मान,
जब राजनीति हो पारदर्शी, बने हर कदम आधार महान।
न्याय मिले हर व्यक्ति को, न हो कोई भेदभाव,
राजनीतिक पारदर्शिता से, लोकतंत्र की हो रहे लहर।

कभी ना हो छिपे कोई तथ्य, जब सरकार हो सच से संजीदा,
न्याय और समानता के बीच, हो सत्य का रास्ता खुला।
जब पारदर्शिता हो, लोकतंत्र बने प्रगति का द्वार,
हम सब मिलकर करेंगे निर्माण, हर नागरिक होगा तैयार।

अर्थ:
इस कविता में लोकतंत्र और राजनीतिक पारदर्शिता की महत्ता को सरल शब्दों में व्यक्त किया गया है। "जब राजनीति हो पारदर्शी, बने हर कदम आधार महान" से तात्पर्य है कि राजनीतिक पारदर्शिता लोकतंत्र की नींव होती है, जो राष्ट्र के प्रत्येक निर्णय को मजबूत बनाती है। "न्याय और समानता के बीच, हो सत्य का रास्ता खुला" का अर्थ है कि पारदर्शिता के जरिए न्याय और समानता सुनिश्चित की जा सकती है। "जब पारदर्शिता हो, लोकतंत्र बने प्रगति का द्वार" में यह व्यक्त किया गया है कि पारदर्शिता से लोकतंत्र में विश्वास बढ़ता है और समाज की प्रगति की दिशा तय होती है।

विवेचन:
राजनीतिक पारदर्शिता और लोकतंत्र एक-दूसरे के पूरक हैं। जब शासन पारदर्शी होता है, तब ही लोकतंत्र फल-फूल सकता है। राजनीतिक पारदर्शिता से नागरिकों को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी मिलती है, और वे सरकार से जवाब मांगने के लिए सक्षम होते हैं। लोकतंत्र में नागरिकों को उनके द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के कार्यों के प्रति जवाबदेही होनी चाहिए। जब सरकार अपने कार्यों में पारदर्शिता रखती है, तो वह नागरिकों के विश्वास को बनाए रख सकती है और भ्रष्टाचार को समाप्त कर सकती है।

लोकतंत्र का सर्वोत्तम उद्देश्य है कि शासन की प्रक्रिया में जनता का समावेश हो। यह तभी संभव है जब शासन की प्रक्रियाएँ पारदर्शी हों। RTI जैसे कानून और चुनावों की पारदर्शिता लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करती है। जब सरकार के कार्य खुले और स्पष्ट होते हैं, तो जनता में न केवल विश्वास बढ़ता है, बल्कि प्रशासन में सुधार के लिए उचित कदम भी उठाए जा सकते हैं।

कुल मिलाकर, राजनीतिक पारदर्शिता लोकतंत्र के स्थायित्व और विकास के लिए अनिवार्य है। यह न केवल लोकतंत्र की ताकत को बढ़ाती है, बल्कि यह जनता के हितों की रक्षा करने का एक प्रभावी तरीका भी है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-14.01.2025-मंगळवार.
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