संतोषी माता एवं भक्तों में 'नैतिक मूल्यों का प्रचार-प्रसार'-2

Started by Atul Kaviraje, January 16, 2025, 12:13:47 AM

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Atul Kaviraje

संतोषी माता एवं भक्तों में 'नैतिक मूल्यों का प्रचार-प्रसार'-
(Santoshi Mata and the Promotion of 'Moral Values' Among Her Devotees)

4. जीवन में अहंकार और घृणा से दूर रहना (Avoiding Ego and Hatred in Life):
संतोषी माता का पूजन भक्तों को अहंकार और घृणा से दूर रहने की प्रेरणा देता है। संतोषी माता के दर्शन से भक्त यह समझते हैं कि अहंकार और घृणा केवल मानसिक अशांति और उलझन का कारण बनते हैं। वे जीवन में सरलता, विनम्रता और अच्छे संबंधों को महत्व देते हैं, जो नैतिकता के उच्चतम आदर्श हैं।

उदाहरण:
संतोषी माता के भक्त अपने जीवन में किसी भी प्रकार की नफरत और अहंकार से दूर रहते हैं और हमेशा दूसरों के साथ सम्मान और प्यार से पेश आते हैं। वे समाज में एकता और प्रेम को बढ़ावा देते हैं।

लघु कविता (Short Poem):-

"संतोषी माँ का आशीर्वाद"

संतोषी माँ की कृपा से, जीवन में चैन है,
हर दर्द में भी सुख मिले, यही आशीर्वाद है।
सच्चाई, अच्छाई की राह दिखाए,
हर पथ में माँ की लोरी सुनाए।

संतोषी माँ का आशीर्वाद सच्चा,
नैतिक मूल्यों से जीवन हो सजा।
धैर्य, प्रेम और सत्य की राह,
हमेशा बढ़ाएं, यही माँ का आशीर्वाद।

निष्कर्ष (Conclusion):
संतोषी माता की पूजा न केवल भौतिक सुखों और शांति की प्राप्ति का माध्यम है, बल्कि यह नैतिक मूल्यों के प्रचार-प्रसार का भी एक सशक्त साधन है। उनकी पूजा से भक्तों में संतोष, धैर्य, आत्मविश्वास, और नेक कार्य करने की प्रेरणा मिलती है। यह पूजा जीवन के आदर्शों और नैतिकता को प्रोत्साहित करती है, जिससे न केवल व्यक्तिगत जीवन बल्कि समाज भी अच्छा और नैतिक बनता है। संतोषी माता का आशीर्वाद प्राप्त करने से जीवन में सच्चे सुख और संतोष का अनुभव होता है, जो एक उच्चतम नैतिक मूल्य है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-10.01.2025-शुक्रवार.
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