राम का पितृत्व और उनका स्नेहपूर्ण कर्तव्य-2

Started by Atul Kaviraje, January 16, 2025, 12:17:00 AM

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Atul Kaviraje

राम का पितृत्व और उनका स्नेहपूर्ण कर्तव्य-
(Rama's Paternal Love and His Compassionate Duties)

लघु कविता - राम का पितृत्व और कर्तव्य:-

राम का पितृत्व, आदर्श का रूप,
स्नेह और कर्तव्य से परिपूर्ण हर रूप।
सत्य और धर्म की राह पर चलते,
अपने बच्चों को जीवन का मार्ग दिखाते।

सीता के साथ त्याग का कर्तव्य निभाया,
हर कर्म को धर्म के अनुसार किया, भगवान ने दिखाया।
कभी न पीछे हटे, अपने पथ से,
राम का पितृत्व, सच्चा प्रेम और विश्वास।

अर्थ:
इस कविता में राम के पितृत्व की शुद्धता और उनके कर्तव्यों के प्रति समर्पण को स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है। राम ने हमेशा अपने बच्चों को उच्च नैतिक और धार्मिक सिद्धांतों के आधार पर जीवन जीने की शिक्षा दी। उन्होंने अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए परिवार और समाज दोनों के प्रति अपने उत्तरदायित्वों को निभाया।

विवेचन:
भगवान राम का पितृत्व एक आदर्श और स्नेहपूर्ण कर्तव्य का प्रतीक है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि एक पिता का कर्तव्य केवल बच्चों की भौतिक देखभाल तक ही सीमित नहीं होता, बल्कि उनके मानसिक, नैतिक और भावनात्मक विकास में भी योगदान देना अत्यंत आवश्यक है। राम ने अपने बच्चों को एक सशक्त इंसान बनाने के लिए न केवल अपनी शिक्षा दी, बल्कि उन्होंने उन्हें जीवन के मूल्यों, कर्तव्यों और धर्म की दिशा में भी मार्गदर्शन किया।

राम का पितृत्व हमेशा उच्चतम आदर्शों पर आधारित था। उनके जीवन में जो भी संकट आए, उन्होंने कभी भी अपने कर्तव्यों से मुंह नहीं मोड़ा और न ही अपने परिवार या समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से बचने का प्रयास किया। उनके द्वारा दिखाए गए उदाहरणों ने हमें यह सिखाया कि पितृत्व केवल एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक महान कर्तव्य है, जिसे प्यार, सहानुभूति और नैतिकता के साथ निभाना चाहिए।

अंतिम विचार:
राम का पितृत्व जीवन के हर पहलू में सर्वोत्तम आदर्श प्रस्तुत करता है। उनका उदाहरण हमें यह सिखाता है कि कर्तव्य के पालन में प्रेम, सत्य, और न्याय का संगम होना चाहिए। उनका जीवन और उनका पितृत्व एक अमूल्य धरोहर है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-15.01.2025-बुधवार.
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