श्री गुरुदेव दत्त की पूजा विधि-

Started by Atul Kaviraje, January 17, 2025, 12:14:50 AM

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Atul Kaviraje

श्री गुरुदेव दत्त की पूजा विधि-

श्री गुरुदेव दत्त, जिन्हें भगवान दत्तात्रेय के रूप में पूजा जाता है, भारतीय भक्तिपंथ में एक प्रमुख देवता माने जाते हैं। दत्तात्रेय की पूजा विधि अत्यंत सरल और प्रभावशाली मानी जाती है, जो भक्तों को मानसिक शांति, आत्मज्ञान और समृद्धि प्रदान करती है। भगवान दत्तात्रेय का स्वरूप त्रिगुणात्मा (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) का है और वे सच्चे गुरु और परमपिता के रूप में पूजे जाते हैं। उनकी पूजा से व्यक्ति अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सुख, शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर सकता है।

श्री गुरुदेव दत्त की पूजा विधि:

श्री गुरुदेव दत्त की पूजा विधि में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना होता है, जिनसे पूजा अधिक फलदायी और प्रभावशाली बनती है। यह पूजा विधि भक्तों के जीवन में शांति और समृद्धि लाने के लिए अत्यधिक प्रभावी मानी जाती है।

पूजा स्थान की शुद्धि: पूजा प्रारंभ करने से पहले, घर या पूजा स्थान को शुद्ध करना अत्यंत आवश्यक है। यह शुद्धता मानसिक और शारीरिक शुद्धता को भी दर्शाती है। स्थान को स्वच्छ करके वहां आहूतियाँ और दीपक रखें। पूजा स्थल को दीपमालाओं और फूलों से सजाएं।

गुरुदेव दत्त का चित्र या मूर्ति स्थापित करना: पूजा के लिए सबसे पहले श्री गुरुदेव दत्त का चित्र या मूर्ति रखें। मूर्ति को स्वच्छ करके, उसका अभिषेक करने के बाद उसे सुगंधित फूलों से सजाएं। गुरु की मूर्ति के समक्ष एक दीपक और अगरबत्तियाँ रखें। दीपक का उजाला ज्ञान और आस्था का प्रतीक होता है।

जल, दूध और शहद से अभिषेक: पूजा में श्री गुरुदेव दत्त का अभिषेक करने के लिए पानी, दूध, शहद, गंगाजल आदि का उपयोग किया जाता है। इन सब चीजों का मिश्रण तैयार कर उनकी मूर्ति या चित्र पर अभिषेक करें। यह पूजा का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो विशेष रूप से भक्त की श्रद्धा को व्यक्त करता है।

पाठ और मंत्र जप: पूजा के दौरान, श्री गुरुदेव दत्त के मंत्रों का जाप करना महत्वपूर्ण होता है। सबसे प्रमुख मंत्र है:
"ॐ श्री गुरुदेव दत्त"
इस मंत्र का 108 बार जाप करने से भक्त को भगवान दत्तात्रेय की कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा, "दत्तात्रेय अर्चन" और "गुरु मन्त्र" का जाप भी किया जाता है, जो विशेष रूप से उनके आशीर्वाद और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

फूल और चढ़ावे: पूजा में भगवान दत्तात्रेय को ताजे फूलों का अर्पण करें। विशेष रूप से गेंदा, गुलाब, और चमेली के फूल भगवान दत्त के प्रिय माने जाते हैं। इसके साथ ही, ताजे फल, मिठाईयां और साबुत अनाज भी अर्पित किए जाते हैं। इन चढ़ावों के माध्यम से भक्त अपनी भक्ति और श्रद्धा व्यक्त करता है।

नैवेद्य अर्पण: पूजा के बाद, भगवान दत्तात्रेय को ताजे पकवान या नैवेद्य अर्पित करें। यह नैवेद्य भक्त की श्रद्धा का प्रतीक होता है। नैवेद्य में विशेष रूप से ताजे फल, पुए, खीर, और गुड़ का उपयोग किया जाता है।

आरती और नृत्य: पूजा के बाद, श्री गुरुदेव दत्त की आरती गाएं। "जय श्री गुरुदेव दत्त" की आरती का गान विशेष रूप से शुभ माना जाता है। आरती के समय, दीपक की लौ के चारों ओर चक्कर लगाना और भगवान के प्रति श्रद्धा व्यक्त करना एक आम प्रथा है।

प्रसाद वितरण: पूजा समाप्ति के बाद, भगवान को अर्पित किया गया प्रसाद भक्तों में वितरित करें। यह एक प्रकार का आशीर्वाद होता है, जिसे ग्रहण करने से भक्तों के जीवन में सुख और समृद्धि आती है।

लघु कविता:

गुरुदेव दत्त का रूप निराकार,
भक्तों के लिए वह हैं आदर्श संसार।
पूजा में हर अंग, प्रेम से भरपूर,
गुरु का आशीर्वाद हो, जीवन हो सुरूर।

पूजा विधि का महत्व:
श्री गुरुदेव दत्त की पूजा विधि का विशेष महत्व है। यह विधि न केवल भक्तों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती है, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि, और समस्त कठिनाइयों से मुक्ति दिलाने में भी सहायक होती है। भगवान दत्तात्रेय की उपासना से भगवान के त्रिगुणात्मक रूप के साथ जुड़ने का अवसर मिलता है, जिससे जीवन में संतुलन और शांति बनी रहती है।

गुरु के आशीर्वाद से व्यक्ति अपने जीवन के हर पहलू में सफलता प्राप्त करता है। श्री गुरुदेव दत्त की पूजा में श्रद्धा और विश्वास का होना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि पूजा का वास्तविक फल सच्ची भक्ति और गुरु के प्रति अटूट विश्वास से प्राप्त होता है। जब भक्त पूरी श्रद्धा से इस पूजा को करते हैं, तो वे न केवल भौतिक सुख-साधनों से परिपूर्ण होते हैं, बल्कि उनका आत्मिक और मानसिक संतुलन भी बना रहता है।

विवेचन:
श्री गुरुदेव दत्त की पूजा विधि सच्चे भक्ति मार्ग का अनुसरण करने के लिए एक आदर्श मार्गदर्शन है। उनके द्वारा दी गई शिक्षाएँ और उनकी पूजा विधि जीवन के हर पहलू में अनुशासन और संतुलन लाने में सहायक होती है। पूजा विधि में दिए गए हर चरण में, भक्तों को गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण और विश्वास दिखाने का अवसर मिलता है, जो उन्हें आंतरिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।

श्री गुरुदेव दत्त की पूजा में मन, वचन और क्रिया की शुद्धता अनिवार्य है। यही कारण है कि उनकी पूजा को सही ढंग से करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। इस पूजा विधि का पालन करने से न केवल धार्मिक लाभ प्राप्त होता है, बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति भी मिलती है, जो आज के तनावपूर्ण जीवन में अत्यंत आवश्यक है।

शुभेच्छा!

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-16.01.2025-गुरुवार.
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