"दोपहर की धूप में किसानों का बाज़ार 🌾🍅"-1

Started by Atul Kaviraje, January 19, 2025, 04:14:01 PM

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Atul Kaviraje

शुभ दोपहर, रविवार मुबारक हो

"दोपहर की धूप में किसानों का बाज़ार 🌾🍅"

किसानों का बाजार, धूप में चमकता है,
ताजे फल, सब्जियाँ, रंग बिखेरता है।
गांव की खुशबू, खेतों की यादें,
हर बाजार में मेहनत और आशा का दर्शन होता है। 🌽🍉

अर्थ:
यह कविता किसानों के बाजार के बारे में है, जहां ताजे उत्पादों से खुशबू आती है और मेहनत के फल दिखाई देते हैं।

"दोपहर की धूप में किसानों का बाज़ार 🌾🍅"

दोपहर की धूप में, चमकते बाजार की राह,
किसान लाए हैं अपनी मेहनत का स्वाद।
हर एक दुकान पर सजे ताजे फल,
बाजार की खुशबू में, फैली है एक अलग हलचल। 🍅🌞

लाल टमाटर, हरी मिर्च और सुनहरे आम,
किसान की मेहनत की है ये शानदार दाम।
धूप में पसीने से नहाए चेहरे,
लेकिन दिल में बसी होती है सपनों की राहें। 🌾💪

सभी मिलते हैं, हंसी-खुशी के साथ,
आलू, प्याज, और खीरे की लम्बी बात।
हर किसान का मन ख़ुशियों से भरा,
कभी गर्मी तो कभी बरसात में कड़ी मेहनत सिखा। 🍆🥒

बाज़ार में रंग-बिरंगे फल, सबकी मुस्कान,
किसान की ताज़ी फसल, जीवन की पहचान।
सभी मेहनत करते हैं, ना कोई थकान,
किसान ही हैं जो दिखाते हैं प्रकृति का असली सम्मान। 🌻💧

बाज़ार में खुशबू, सुकून से भरी हुई,
हर फल और सब्ज़ी में खुशियों की गूंज है।
दोपहर की धूप में, किसान की जोड़ी,
हाथों में मेहनत, और दिल में सच्ची जोड़ी। 🌞🌾

संक्षिप्त अर्थ:
यह कविता किसानों के बाजार की छवि को दर्शाती है, जहाँ किसान अपनी मेहनत से ताजे फल और सब्ज़ियाँ लेकर आते हैं। कविता में किसानों की कठिनाई, उनके परिश्रम और बाजार की रंगीन दुनिया का सुंदर चित्रण किया गया है। यह हमें किसानों की अहमियत और उनके योगदान को समझाने का प्रयास करती है।

चित्र और प्रतीक (Emojis):

🌾 गेहूं और फसल - किसानों की मेहनत और जीवन
🍅 फल और सब्ज़ियाँ - ताजगी और समृद्धि
🌞 धूप - कठिनाई और संघर्ष
💪 मेहनत - श्रम और संकल्प
🌻 फूल - खुशियाँ और जीवन
💧 पसीना - कठिनाई और संघर्ष
🥒 खीरा - ताजगी और खेती की सफलता

     यह कविता हमें यह सिखाती है कि किसान हमारे समाज का आधार हैं, और उनकी मेहनत के बिना जीवन का असली स्वाद नहीं आ सकता। किसानों का बाजार, जहाँ ताजगी और मेहनत का मेल होता है, जीवन की एक महत्वपूर्ण झलक है। 🌾🍅

--अतुल परब
--दिनांक-19.01.2025-रविवार.
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