विश्व राजनीति में भारत का ऐतिहासिक स्थान और भूमिका-1

Started by Atul Kaviraje, February 16, 2025, 07:41:27 PM

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Atul Kaviraje

विश्व राजनीति में भारत का ऐतिहासिक स्थान और भूमिका-

परिचय:

भारत, जो प्राचीन समय से ही एक महान सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का केंद्र रहा है, ने विश्व राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण स्थान और भूमिका निभाई है। भारतीय राजनीति, संस्कृति और समाज का इतिहास न केवल भारतीय उपमहाद्वीप बल्कि पूरे विश्व को प्रभावित करता रहा है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, भारत ने न केवल अपने देश में विकास के रास्ते पर कदम बढ़ाए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराई। आज, भारत एक प्रमुख वैश्विक शक्ति के रूप में उभर कर सामने आया है। भारत की राजनीतिक भूमिका, न केवल क्षेत्रीय मामलों में, बल्कि वैश्विक राजनीति में भी अत्यधिक प्रभावशाली रही है।

भारत का ऐतिहासिक राजनीतिक योगदान:

भारत का ऐतिहासिक योगदान बहुत विस्तृत है। प्राचीन काल में भारत में मौर्य साम्राज्य, गुप्त साम्राज्य, और दिल्ली सल्तनत जैसे साम्राज्य स्थापित हुए, जिन्होंने न केवल भारतीय उपमहाद्वीप में बल्कि पूरे एशिया और उससे भी बाहर अन्य देशों पर प्रभाव डाला। उदाहरण के तौर पर, मौर्य साम्राज्य के समय चंद्रगुप्त मौर्य और उनके मंत्री चाणक्य के नेतृत्व में भारत ने दक्षिण एशिया के अधिकांश हिस्से को एकजुट किया और वाणिज्य, विज्ञान, और राजनीति में एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में कार्य किया। गुप्त साम्राज्य में भारत को "सोने की चिड़ीया" के रूप में माना जाता था क्योंकि इस समय भारत में विश्व का सबसे समृद्ध और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध समाज था।

आधुनिक भारत और विश्व राजनीति:

आधुनिक भारत का राजनीतिक दृष्टिकोण, विशेष रूप से स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, ने उसे एक नैतिक और रणनीतिक भूमिका निभाने वाला देश बना दिया। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं, विशेष रूप से महात्मा गांधी, ने अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों के माध्यम से विश्व को यह दिखाया कि शांति और संघर्ष का मार्ग केवल संवाद और समझ के जरिए ही संभव है। गांधी जी का संघर्ष केवल भारत के लिए नहीं था, बल्कि यह ब्रिटिश साम्राज्य से मुक्ति पाने के लिए पूरी दुनिया में एक प्रेरणा बन गया था।

नेहरूवाद और गुटनिरपेक्षता:

भारत ने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अपनी विदेश नीति को गुटनिरपेक्षता (Non-Alignment) के सिद्धांत पर आधारित किया। पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने यह सुनिश्चित किया कि भारत किसी एक शक्ति के पक्ष में न खड़ा हो, बल्कि वह दुनिया के विभिन्न देशों के साथ सहयोग बढ़ाए। इस नीति ने भारत को एक वैश्विक मंच पर सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर दिया। नेहरू का मानना था कि दुनिया की स्थिरता के लिए शक्तियों का संतुलन और आपसी सहयोग जरूरी है।

भारत का क्षेत्रीय नेतृत्व:

भारत का क्षेत्रीय नेतृत्व भी बहुत मजबूत है। सार्क (SAARC) जैसे संगठन के माध्यम से भारत ने दक्षिण एशिया में अपनी प्रमुख भूमिका निभाई है। इसके अलावा, भारत ने अपने पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों को सुधारने और सहयोग बढ़ाने की दिशा में कई प्रयास किए हैं। भारत-चीन संबंध और भारत-पाकिस्तान रिश्ते जैसे जटिल मुद्दों पर भी भारत का रुख हमेशा वैश्विक दृष्टिकोण से संतुलित और कूटनीतिक रहा है।

भारत की शक्ति और प्रभाव:

भारत की शक्ति का प्रभाव अब केवल आर्थिक या सैन्य क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत एक प्रमुख वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में उभर कर सामने आया है। भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार बढ़ रही है और इसके विशाल बाजार और बढ़ती प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास ने भारत को वैश्विक मंच पर एक प्रभावी शक्ति बना दिया है। भारत की सामरिक और राजनीतिक स्थिति भी इसे वैश्विक चर्चाओं का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती है।

भारत और संयुक्त राष्ट्र:

भारत की भूमिका संयुक्त राष्ट्र (UN) जैसे वैश्विक संगठन में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत ने हमेशा से वैश्विक शांति, विकास, और संघर्षों के समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र के मंच का समर्थन किया है। भारत का तात्कालिक लक्ष्य संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता प्राप्त करना है, ताकि भारत का प्रभाव और भूमिका और मजबूत हो सके।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-15.02.2025-शनिवार.
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