क्रांतिकारी वासुदेव बलवंत फड़के की पुण्यतिथि-कविता:-

Started by Atul Kaviraje, February 18, 2025, 07:34:15 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

क्रांतिकारी वासुदेव बलवंत फड़के की पुण्यतिथि-कविता:-

फड़के जी का था सपना बड़ा,
भारत को आज़ाद देखना था।
सशस्त्र संघर्ष की राह पकड़ी,
गुलामी से मुक्ति दिलाना था। 🇮🇳💪

फड़के जी थे वीर महान,
नए भारत की वो थे पहचान।
दमन का हर रूप उन्होंने किया नकार,
जिन्होंने अंग्रेजों के ख़िलाफ़ किया संघर्ष अपार। ✊🔥

उनकी आँखों में एक जुनून था,
देश को स्वतंत्र करना उनका सपना था।
वो थे विद्रोही, जो न कभी डरे,
मुल्क की आज़ादी के लिए बलिदान से न हरे। 🦁

झाँसी के रानी के साथ जुड़े थे,
सिंहगढ़ की किलों में उनकी गूंज थी।
अपनी शौर्य गाथाओं से इतिहास रचा,
वो भारत के सच्चे नायक थे, जिनकी कोई न हद थी। 🏰⚔️

लड़ते रहे दमन से, डर न आया,
कभी न उनके मन में कोई संकोच आया।
आज भी उनकी विरासत पर हर भारतीय को है गर्व,
उनकी तरह अपने देश की रक्षा में बनें निडर। 🌍🌟

अर्थ:
यह कविता वासुदेव बलवंत फड़के की वीरता, उनके देशप्रेम और बलिदान को सम्मानित करती है। फड़के जी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया और उनका संघर्ष स्वतंत्रता की दिशा में एक मील का पत्थर था। उन्होंने सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से अंग्रेजों से देश को मुक्त करने का प्रयास किया। उनकी वीरता और देशभक्ति आज भी हमारे दिलों में जीवित है।

उदाहरण:
फड़के जी का संघर्ष केवल उनकी व्यक्तिगत वीरता का नहीं था, बल्कि यह पूरी भारतीय जनता के लिए एक प्रेरणा बन गया। उनका विचार था कि गुलामी से मुक्ति प्राप्त करने के लिए शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार के संघर्ष जरूरी हैं।

कविता में संदर्भ:
यह कविता हमें उनकी वीरता और बलिदान की याद दिलाती है और यह दर्शाती है कि हमें भी फड़के जी जैसे स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरणा लेकर अपने देश की सेवा करनी चाहिए।

संग्रहणीय छवियाँ और प्रतीक:
🇮🇳🔥⚔️💪🦁

(इमोजी और प्रतीक फड़के जी की वीरता, स्वतंत्रता संग्राम और उनकी शौर्य गाथाओं को दर्शाते हैं।)

निष्कर्ष:
क्रांतिकारी वासुदेव बलवंत फड़के का योगदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अत्यंत महत्वपूर्ण था। उनकी जीवन गाथाएँ और उनका संघर्ष आज भी हमें प्रेरित करते हैं। हमें उनकी प्रेरणा से यह समझना चाहिए कि किसी भी देश की स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए हमें कठिन संघर्ष से पीछे नहीं हटना चाहिए।

--अतुल परब
--दिनांक-17.02.2025-सोमवार.
===========================================