लोक कलाओं का महत्व एवं उनका संरक्षण-कविता:-

Started by Atul Kaviraje, February 18, 2025, 07:38:24 PM

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Atul Kaviraje

लोक कलाओं का महत्व एवं उनका संरक्षण-कविता:-

लोक कला हमारी धरोहर पुरानी,
हमें यह सिखाती है संस्कृति की छावनी।
हाथों से बनती सुंदर रचनाएँ,
आधुनिकता में भी इन्हें बसा ले जाना चाहिए। 🎨🖌�

रंग-बिरंगे कागज, मिट्टी के खिलौने,
संगीत, नृत्य और नाटकों के प्याले।
आधुनिक दुनिया में खो न जाएं ये कला,
संस्कारों से जुड़ी ये कला हम सबकी धारा। 🎭🎶

राजस्थानी मीनाकारी, कांची की बुनाई,
मधुबनी पेंटिंग और वारली की साजाई।
हर कला की अपनी है एक विशेष पहचान,
संस्कृति की किताब में ये स्वर्ण अक्षरों में नाम। 🖼�💫

हर कला में छिपी है एक कहानी पुरानी,
जो हमारे पुरखों की है अद्भुत निशानी।
समाज की एकता और विविधता का प्रतीक,
लोक कला हर दिल में बनाती है संगीत। 💫🎤

संरक्षण का यह कर्तव्य है हमारा,
बचाकर रखो, हर रंग और हर सहारा।
युवाओं में भी यह कला प्रवृत्त हो,
ताकि हमारी पहचान कभी न खो। 🌸🎨

अर्थ:
यह कविता लोक कलाओं के महत्व को बताती है और इस पर जोर देती है कि हमें इन कलाओं को संरक्षित करना चाहिए। लोक कला केवल एक सांस्कृतिक धरोहर नहीं, बल्कि यह हमारे समाज की विविधता, समृद्धि और इतिहास की पहचान है। इन कलाओं के माध्यम से हमारे पूर्वजों की कहानियाँ और अनुभव भी जीवित रहते हैं। आधुनिकता के दौर में भी इनका संरक्षण बेहद आवश्यक है ताकि ये पीढ़ियों तक पहुंच सकें और हमारी सांस्कृतिक धरोहर बनी रहे।

उदाहरण:

राजस्थानी मीनाकारी और कांची की बुनाई जैसी लोक कलाएँ भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा हैं, जिन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है।
मधुबनी पेंटिंग और वारली आर्ट जैसे लोक कला रूप हमारी सभ्यता की पहचान बन चुके हैं। इनका संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है।

कविता में संदर्भ:
कविता में लोक कला के विविध रूपों को माना गया है, जैसे पेंटिंग, नृत्य, संगीत, और शिल्प, जो समाज के हर वर्ग के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस कविता के माध्यम से यह संदेश दिया जाता है कि हमें इन कलाओं का संरक्षण करने के साथ-साथ उन्हें नई पीढ़ी तक पहुंचाने की भी जिम्मेदारी है।

संग्रहणीय छवियाँ और प्रतीक:
🎨🖌�🎭🎶🖼�💫🌸🎤
(इमोजी और प्रतीक लोक कला, संस्कृति, और कला के संरक्षण को दर्शाते हैं।)

निष्कर्ष:
लोक कलाएँ न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं, बल्कि यह समाज को जोड़ने और अपनी पहचान बनाए रखने का भी एक अहम तरीका हैं। इनकी संरक्षा से हम न केवल अपनी संस्कृति का सम्मान करते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी इसका आनंद और महत्व समझा सकते हैं।

--अतुल परब
--दिनांक-17.02.2025-सोमवार.
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