राजनीति में भ्रष्टाचार और उसका समाधान-1

Started by Atul Kaviraje, February 19, 2025, 07:38:53 PM

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Atul Kaviraje

राजनीति में भ्रष्टाचार और उसका समाधान-

परिचय:

राजनीति में भ्रष्टाचार एक ऐसा दंश है जो किसी भी देश की प्रगति और समृद्धि में सबसे बड़ी रुकावट बनता है। यह न केवल एक देश की शासन प्रणाली को कमजोर करता है, बल्कि लोगों के विश्वास को भी समाप्त करता है। भ्रष्टाचार के कारण ही कई सरकारी योजनाएं सही तरीके से लागू नहीं हो पातीं, और विकास में भी अवरोध उत्पन्न होता है। इस लेख में हम राजनीति में भ्रष्टाचार के कारणों, उसके प्रभाव और समाधान पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

राजनीति में भ्रष्टाचार के कारण:

नेताओं की स्वार्थपरता और व्यक्तिगत लाभ:
नेताओं और राजनेताओं का मुख्य उद्देश्य अक्सर व्यक्तिगत लाभ कमाना और अपनी संपत्ति बढ़ाना बन जाता है, जिसके कारण वे सरकार की नीतियों और योजनाओं का उल्लंघन करते हैं। यह स्वार्थ राजनीति को भ्रष्ट बनाता है और देश की व्यवस्था को असंतुलित कर देता है।

उदाहरण:
कई बार चुनावों में धन का उपयोग किया जाता है, ताकि वोटरों को प्रभावित किया जा सके और सत्ता में आया जा सके। यह भी एक प्रकार का भ्रष्टाचार है।

कानूनी और न्यायिक प्रणाली की कमजोरी:
भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने वाली कानूनी व्यवस्था और न्यायिक प्रणाली का कमजोर होना भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है। कई बार दोषियों को सजा नहीं मिलती और उन्हें कानूनी दांव-पेंचों का फायदा मिलता है।

उदाहरण:
कई मामलों में भ्रष्ट नेताओं और अफसरों के खिलाफ लंबी कानूनी प्रक्रिया चलती रहती है, और वे अंततः निर्दोष साबित हो जाते हैं, जिससे भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने की कोई ठोस पहल नहीं होती।

शासन का अभाव और पारदर्शिता की कमी:
जब शासन व्यवस्था पारदर्शी नहीं होती और लोगों को सरकार की गतिविधियों के बारे में जानकारी नहीं होती, तब भ्रष्टाचार बढ़ता है। अधिकारियों को किसी भी प्रकार की निगरानी का डर नहीं होता और वे अपनी स्थिति का दुरुपयोग करते हैं।

उदाहरण:
सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाली राशि का गलत तरीके से इस्तेमाल होना, या सरकारी ठेकों का अवैध वितरण होना।

संस्था और सशक्त संगठन की कमी:
भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त निगरानी और ठोस संस्थाओं की कमी होने पर इस समस्या का समाधान संभव नहीं होता। जब भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई मजबूत संस्थागत ढांचा नहीं होता, तो भ्रष्टाचार की स्थिति बनी रहती है।

उदाहरण:
भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों की निष्क्रियता या उनका दबाव में आकर काम न करना।

भ्रष्टाचार के प्रभाव:

विकास की गति धीमी होती है:
भ्रष्टाचार के कारण विकास कार्यों में देरी होती है और कई बार वे कार्य पूरी तरह से ठप हो जाते हैं। यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है।

उदाहरण:
कई निर्माण परियोजनाएं भ्रष्टाचार के कारण समय पर पूरी नहीं हो पातीं और राष्ट्र की प्रगति में रुकावट आती है।

सामाजिक असंतोष और अराजकता:
भ्रष्टाचार के कारण लोगों में असंतोष और गुस्सा बढ़ता है, जो अंततः सामाजिक अशांति और अराजकता का कारण बन सकता है।

उदाहरण:
यदि किसी सरकारी योजना का लाभ गरीबों तक नहीं पहुंचता क्योंकि उसमें भ्रष्टाचार हुआ है, तो यह असंतोष और विरोध को जन्म देता है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-18.02.2025-मंगळवार.
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