श्री विठोबा और लोक कला-1

Started by Atul Kaviraje, February 19, 2025, 08:00:15 PM

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Atul Kaviraje

श्री विठोबा और लोक कला-

(भगवान विट्ठल और लोक कला)
(Lord Vitthal and Folk Art)

श्री विठोबा और लोक कला
(Lord Vitthal and Folk Art)

परिचय:

भगवान श्री विठोबा, जिन्हें विट्ठल या पांडित्यनाथ के नाम से भी जाना जाता है, महाराष्ट्र और कर्नाटका के लोक धर्म में विशेष रूप से पूजे जाते हैं। उनका स्वरूप एक सरल और सजीव रूप में प्रतिष्ठित है, जो लोगों के दिलों में समाहित है। भगवान विठोबा का रुख एक सामान्य, सरल और आम आदमी के निकट होने के कारण लोक कला, भक्ति और जनमानस में गहरे रूप से समाहित है। भगवान विठोबा की पूजा और भक्ति विभिन्न प्रकार की लोक कलाओं का हिस्सा बन गई है, जो इस क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को प्रस्तुत करती हैं। उनके बारे में विभिन्न प्रकार की लोक कथाएं, भजन, कीर्तन, और लोक नृत्य प्रचलित हैं, जो धार्मिक अनुभव और संस्कृति के महत्वपूर्ण प्रतीक माने जाते हैं।

श्री विठोबा का महत्व:

भगवान विठोबा की पूजा महाराष्ट्र, कर्नाटका और गोवा में बहुत प्रचलित है, विशेष रूप से पंढरपूर स्थित विठोबा मंदिर में। उनका विट्ठल रूप भक्तों के दिलों में बैठा है और यह रूप उनके आत्मा की सरलता, जनप्रियता, और भक्तिपंथ का प्रतीक माना जाता है। विठोबा की भक्ति की परंपरा विशेष रूप से भक्तिकाव्य, नृत्य, संगीत, चित्रकला और अन्य लोककलाओं के माध्यम से मनाई जाती है।

1. लोक कला में भगवान विठोबा की उपस्थिति:

भगवान विठोबा का चित्रण भारतीय लोक कला के एक अमूल्य हिस्से के रूप में किया जाता है। उनके चित्र आमतौर पर उनके ध्रुव रूप, उनके हाथ में ताम्रध्वज (गेंद), और घोड़े पर सवार होते हैं। विठोबा के चित्र और मूर्तियों का रूप गांवों, छोटे मंदिरों और घरों में पेंटिंग्स, मिट्टी के बर्तन, लकड़ी के बने खिलौने, और अन्य लोक कलाओं के रूप में प्रसिद्ध है।

उदाहरण:
विभिन्न लोक कलाकारों द्वारा बनायी गई विठोबा की मूर्तियों में विशेष रूप से उनका शांत, सरल और आम आदमी जैसा रूप देखा जा सकता है। इन चित्रों और मूर्तियों में उनके मुख पर एक प्रेमपूर्ण और दयालु मुस्कान देखी जाती है, जो उनकी सरलता और सार्वभौमिकता को दर्शाती है।

2. विठोबा और भक्ति संगीत:

विठोबा के प्रति भक्तिभाव से जुड़ी लोक कला का एक और महत्वपूर्ण रूप उनकी भक्ति संगीत है। भजन, कीर्तन, और अभंग (एक विशेष प्रकार का काव्य) के रूप में विठोबा के प्रति भक्ति गीत गाए जाते हैं। संत तुकाराम, संत ज्ञानेश्वर, संत रामदास जैसे महान संतों ने विठोबा के प्रति अपने श्रद्धा और प्रेम का इज़हार गीतों के माध्यम से किया। इन भजनों और अभंगों का लोक कलाओं में अहम स्थान है, जो जनमानस में गहरी आस्था पैदा करने में मदद करते हैं।

उदाहरण:
"पंढरपूरच्या विठोबाची गजरें, भक्तांचा उत्साह वाढवितो।"
यह प्रसिद्ध अभंग गीत उनकी भक्ति और उनके प्रति श्रद्धा को व्यक्त करता है, जो लोक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है।

3. लोक नृत्य और विठोबा की उपासना:

लोक नृत्य भी विठोबा की उपासना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। विशेष रूप से महाराष्ट्र में 'विठोबा कीर्तन' और 'विठोबा नृत्य' जैसे कार्यक्रम बहुत लोकप्रिय हैं। इन नृत्य विधाओं में लोगों का समर्पण, आस्था और दिव्यता की भावना व्यक्त होती है। लोक नृत्यों के माध्यम से भक्त विठोबा के प्रति अपनी भक्ति और प्रेम का अनुभव करते हैं।

उदाहरण:
महाराष्ट्र में 'दिंडी' नामक एक लोक नृत्य प्रचलित है, जिसमें भक्त विठोबा के नाम का उच्चारण करते हुए नृत्य करते हैं। यह नृत्य संगीत के साथ भक्ति का प्रतीक है और भगवान विठोबा के प्रति उनकी श्रद्धा को प्रकट करता है।

4. लोक कथाएं और विठोबा की लीलाएं:

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-19.02.2025-बुधवार.
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