श्री विठोबा और लोक कला 🌼🙏-

Started by Atul Kaviraje, February 19, 2025, 08:07:13 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

श्री विठोबा और लोक कला 🌼🙏-

1. पहला चरण:

🙏 श्री विठोबा, भक्तों के दिल का राज,
पांडित्य और भक्ति, है तेरा अनमोल आज।
अहमदनगर की धरती, तेरा प्रिय स्थान,
भक्तों की संगति में, मिलता सच्चा ज्ञान।

अर्थ: इस चरण में श्री विठोबा की महानता और उनके भक्तों के प्रति प्रेम का वर्णन किया गया है।

2. दूसरा चरण:

🎨 लोक कला की छवि, तुझमें बसी है,
तू चित्रित होता, मिट्टी और रंग से।
मुरली, ढोलक, और नृत्य की थाप,
तेरे नाम से सजता, हर एक उत्सव का जाप।

अर्थ: यहाँ विठोबा की उपासना में लोक कला के विविध रूपों का उल्लेख किया गया है, जैसे चित्रकला और नृत्य।

3. तीसरा चरण:

🌾 हरियाली में रंगीनी, तेरा नाम गाती,
भक्तों की वाणी में, तेरा नाम समाती।
कृषि, पशुपालन, लोक गीतों का संग,
तेरे चरणों में मिलती, सच्ची सुख की रंग।

अर्थ: इस चरण में विठोबा के प्रति भक्ति के भाव और कृषि एवं पशुपालन के जीवन से जुड़े गीतों का वर्णन किया गया है।

4. चौथा चरण:

🎶 भक्ति का यह संगीत, गूंजे चारों ओर,
विठोबा के दर पर, सबको मिले अमर प्यार।
संगीत और नृत्य, लोक संस्कृति का आधार,
तेरी भक्ति में लिपटी, हर कला का संसार।

अर्थ: यहाँ भक्ति संगीत और नृत्य की महत्ता को दर्शाया गया है, जो लोक संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं।

5. अंतिम चरण:

🌈 विठोबा का आशीर्वाद, सबका करे उद्धार,
भक्ति और कला से, हो सबका जीवन सार।
तेरे चरणों में सजे, श्रद्धा और विश्वास,
श्री विठोबा की महिमा, सदा रहे अविरल पास।

अर्थ: इस अंतिम चरण में विठोबा के आशीर्वाद और उनकी भक्ति के महत्व को बताया गया है, जो जीवन को सार्थक बनाता है।

चित्र और प्रतीक:

🙏 (भक्ति)
🎨 (लोक कला)
🌾 (कृषि)
🎶 (संगीत)
🌈 (आशीर्वाद)

संक्षिप्त अर्थ:
यह कविता श्री विठोबा और उनकी भक्ति में निहित लोक कला के महत्व को दर्शाती है। विठोबा की उपासना में भक्ति, संगीत, नृत्य और कृषि की छवि प्रकट होती है। यह कविता भक्ति भाव से भरी हुई है, जो हमें कला और श्रद्धा के संगम से जीवन को समृद्ध करने की प्रेरणा देती है।

--अतुल परब
--दिनांक-19.02.2025-बुधवार.
===========================================