प्रेरक व्यक्तित्व: शिक्षा के क्षेत्र में योगदान-1

Started by Atul Kaviraje, February 25, 2025, 10:09:07 PM

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Atul Kaviraje

प्रेरक व्यक्तित्व: शिक्षा के क्षेत्र में योगदान-

परिचय:

शिक्षा समाज की प्रगति और विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण आधार है। एक प्रेरक व्यक्तित्व वह होता है, जो अपने कार्यों और दृष्टिकोण से न केवल अपने जीवन को बेहतर बनाता है, बल्कि दूसरों को भी प्रेरित करता है। शिक्षा के क्षेत्र में योगदान देने वाले व्यक्तित्वों ने हमेशा समाज में बदलाव लाने का प्रयास किया है। ऐसे व्यक्तित्वों ने न केवल शिक्षा के महत्व को समझाया, बल्कि उनके द्वारा किए गए प्रयासों ने लाखों लोगों की जिंदगी में सकारात्मक परिवर्तन लाया है।

प्रेरक व्यक्तित्वों के उदाहरण:

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन:

भारत के दूसरे राष्ट्रपति, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का योगदान शिक्षा के क्षेत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। वे एक महान शिक्षक, दार्शनिक और राजनीतिज्ञ थे। उनकी शिक्षा परंपरा और दर्शन ने भारतीय समाज को एक नई दिशा दी। डॉ. राधाकृष्णन ने हमेशा शिक्षा के महत्व को बताया और यह सुनिश्चित किया कि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान देना नहीं बल्कि विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण पर भी ध्यान देना चाहिए।

उदाहरण:

डॉ. राधाकृष्णन का यह कथन "शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति को जीवन में सफलता दिलाने के साथ-साथ उसके नैतिक और मानसिक विकास को भी सुनिश्चित करना है," हमें शिक्षा की गहरी समझ प्रदान करता है।

मल्लिका सेन (Malala Yousafzai):

पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई ने शिक्षा के अधिकार के लिए पूरी दुनिया में एक आंदोलन खड़ा किया। उन्होंने बच्चों और विशेष रूप से लड़कियों की शिक्षा के अधिकार के लिए आवाज उठाई, और इसके लिए उन्हें 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया। मलाला के संघर्ष और समर्पण ने शिक्षा की शक्ति को एक नई पहचान दी।

उदाहरण:

मलाला ने कहा था, "एक बच्चा, एक शिक्षक, एक किताब और एक कलम दुनिया बदल सकते हैं।"

रवींद्रनाथ ठाकुर (रवींद्रनाथ ठाकुर टैगोर):

रवींद्रनाथ टैगोर ने शिक्षा के क्षेत्र में एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उनका मानना था कि शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह एक समग्र अनुभव होना चाहिए, जिसमें कला, संगीत और खेल का भी समावेश हो। उन्होंने शांतिनिकेतन की स्थापना की, जो आज भी एक प्रमुख शैक्षिक संस्थान है।

उदाहरण:

"शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति का समग्र विकास करना है, न कि केवल उसकी बौद्धिक क्षमता को बढ़ाना," यह विचार रवींद्रनाथ टैगोर का था।

शिक्षा के क्षेत्र में योगदान का महत्व:

समाज में परिवर्तन:

शिक्षा से समाज में सकारात्मक बदलाव आता है। जब एक व्यक्ति शिक्षा प्राप्त करता है, तो वह अपने परिवार, समुदाय और देश के लिए अधिक योगदान देने में सक्षम होता है। शिक्षा से व्यक्ति का दृष्टिकोण बदलता है और वह समाज में व्याप्त अंधविश्वास, असमानता और भेदभाव के खिलाफ खड़ा होता है।

व्यक्तिगत विकास:

शिक्षा व्यक्ति के व्यक्तित्व के निर्माण में मदद करती है। यह आत्मविश्वास, आत्मसम्मान और ज्ञान में वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। साथ ही, यह किसी भी व्यक्ति को उसकी पूरी क्षमता को पहचानने और उसे हासिल करने का अवसर देती है।

राष्ट्र निर्माण:

शिक्षा राष्ट्र के लिए सबसे मजबूत आधार है। जब लोग शिक्षित होते हैं, तो वे अपनी राष्ट्र की प्रगति और विकास के लिए कार्य करते हैं। राष्ट्र निर्माण के लिए यह आवश्यक है कि हर व्यक्ति को समान शिक्षा का अवसर मिले, जिससे सामाजिक और आर्थ‍िक असमानता को कम किया जा सके।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-25.02.2025-मंगळवार.
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