पर्यावरणीय परिप्रेक्ष्य से भारत की भूमिका- पर्यावरणीय संकट और भारत का योगदान:-

Started by Atul Kaviraje, March 04, 2025, 10:12:20 PM

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Atul Kaviraje

पर्यावरणीय परिप्रेक्ष्य से भारत की भूमिका-

पर्यावरणीय संकट और भारत का योगदान:

आज के समय में पर्यावरणीय संकट दुनिया भर में एक गंभीर समस्या बन चुका है। जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, प्रदूषण, जल संकट, जैव विविधता की हानि, और अन्य पर्यावरणीय समस्याएँ हमारे अस्तित्व के लिए खतरे की घंटी बन चुकी हैं। इस संदर्भ में भारत की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत दुनिया के सबसे बड़े विकासशील देशों में से एक है और उसकी वृद्धि और विकास के प्रयासों से पर्यावरणीय मुद्दों पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

भारत ने पर्यावरण संरक्षण के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं और इस दिशा में कई अंतरराष्ट्रीय समझौतों और अनुबंधों में सक्रिय भागीदारी भी की है। भारत का पारंपरिक ज्ञान और संस्कृति हमेशा से प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण के प्रति जागरूक रही है। इसके बावजूद, तेजी से हो रहे शहरीकरण और औद्योगिकीकरण ने भारत को पर्यावरणीय समस्याओं का सामना करने पर मजबूर कर दिया है।

भारत की पर्यावरणीय प्रतिबद्धताएँ और पहल:
पेरिस समझौता (Paris Agreement): 2015 में भारत ने पेरिस जलवायु समझौते में भाग लिया, जिसका उद्देश्य दुनिया भर में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना था। भारत ने इस समझौते के तहत 2030 तक अपने उत्सर्जन को 2005 के स्तर से 33-35% तक कम करने का वादा किया था। यह भारत की पर्यावरणीय प्रतिबद्धता को दर्शाता है। भारत ने स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जैसे कि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी क्षमता को बढ़ाना।

स्वच्छ भारत मिशन: भारत सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य देश को स्वच्छ और प्रदूषणमुक्त बनाना है। इसके तहत शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता को बढ़ावा दिया गया है, कचरे का निस्तारण किया जा रहा है और खुले में शौच को समाप्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस मिशन के अंतर्गत विभिन्न जागरूकता अभियान चलाए गए हैं ताकि लोग पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझें।

नमामि गंगे परियोजना: गंगा नदी भारत की जीवनरेखा मानी जाती है, लेकिन प्रदूषण के कारण इसकी स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही थी। इस समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने "नमामि गंगे" परियोजना की शुरुआत की है। इस परियोजना के तहत गंगा नदी के किनारे सफाई, जल शोधन और पुनर्वास कार्य किए जा रहे हैं ताकि गंगा नदी की स्थिति को सुधारकर उसे पुनः शुद्ध किया जा सके।

वन संरक्षण और जैव विविधता: भारत ने अपनी वन भूमि को बढ़ाने के लिए कई योजनाएँ बनाई हैं, जिनमें "राष्ट्रीय वन नीति" और "आधुनिक वन प्रबंधन प्रणाली" प्रमुख हैं। भारत ने जैव विविधता के संरक्षण के लिए "बायोडायवर्सिटी एक्ट 2002" भी लागू किया है, जिसके तहत प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं।

सौर ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में पहल: भारत ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में खुद को एक अग्रणी देश के रूप में स्थापित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक भारत को 175 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन की दिशा में प्रमुख लक्ष्य निर्धारित किया था। इसके तहत सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और बायोमास ऊर्जा का उपयोग बढ़ाया जा रहा है।

पर्यावरण संरक्षण के लिए भारत की सांस्कृतिक और पारंपरिक भूमिका:
भारत की संस्कृति में हमेशा से ही प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण का महत्व रहा है। हमारे प्राचीन ग्रंथों और परंपराओं में यह स्पष्ट रूप से बताया गया है कि मनुष्य का अस्तित्व पर्यावरण से जुड़ा हुआ है। भारतीय संस्कृति में पर्यावरण को एक जीवंत तत्व माना गया है, और यह कहा गया है कि पर्यावरण से ही जीवन मिलता है।

प्रकृति के प्रति सम्मान: भारत में वृक्षों, नदियों, पहाड़ों और जलाशयों को पूजा जाता है। उदाहरण स्वरूप, गंगा नदी को माँ के रूप में पूजा जाता है। तुंरत जल, वायु और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के प्रति आदर और संरक्षण की भावना भारतीय जीवन का हिस्सा रही है।

प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग: भारतीय पारंपरिक कृषि पद्धतियाँ और वन्य जीवन संरक्षण के तरीके लंबे समय से पर्यावरण के अनुकूल रहे हैं। लोग प्राकृतिक संसाधनों का सामंजस्यपूर्ण उपयोग करते हैं और उसका सम्मान करते हैं।

लघु कविता:-

चरण 1: प्राकृतिक सौंदर्य को बचाए रखें,
धरती पर हर वृक्ष का प्यार बढ़ाए रखें।
हवा और जल को शुद्ध करें,
स्वस्थ जीवन की राह को समझें।
🌱🌍💧

अर्थ:
हमें प्राकृतिक सौंदर्य और संसाधनों का संरक्षण करना चाहिए। पृथ्वी पर हर वृक्ष और जल स्रोत का सम्मान करते हुए, हमें पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए और एक स्वस्थ जीवन की ओर कदम बढ़ाना चाहिए।

चरण 2: धरती के कोने-कोने में बढ़े,
स्वच्छता का संदेश जाए हर जगह।
हर कदम से पर्यावरण बचाए,
धरती को सुंदर बनाने का काम आए।
🌿🌳🌞

अर्थ:
स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें हर कदम बढ़ाना चाहिए। यदि हम हर कदम से पर्यावरण को बचाने का प्रयास करेंगे, तो धरती सुंदर और स्वस्थ बनी रहेगी।

निष्कर्ष:
भारत ने हमेशा पर्यावरण संरक्षण के लिए कई कदम उठाए हैं। देश में पारंपरिक रूप से प्रकृति को एक जीवित तत्व माना गया है और इसका सम्मान किया गया है। वर्तमान में भारत अपनी पर्यावरणीय जिम्मेदारियों को समझते हुए कई योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दे रहा है।

भारत के लिए यह समय है कि वह अपनी पारंपरिक समझ और आधुनिक विज्ञान के बीच संतुलन बनाए रखे, ताकि हम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण छोड़ सकें।

भारत को एक पर्यावरणीय अग्रणी देश बनाने की दिशा में हमारा योगदान महत्वपूर्ण है! 🌍💚

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-04.03.2025-मंगळवार.
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