परमहंस श्री योगानंद पुण्य दिवस-

Started by Atul Kaviraje, March 09, 2025, 09:45:12 PM

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Atul Kaviraje

परमहंस श्री योगानंद पुण्य दिवस-

परमहंस श्री योगानंद पुण्य दिवस: महत्व, उदाहरण और भक्ति भाव के साथ-

आज का दिन, ७ मार्च, २०२५, एक बहुत ही पवित्र और महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि यह परमहंस श्री योगानंद जी के पुण्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। परमहंस श्री योगानंद जी, जिन्होंने अपने जीवन में योग और ध्यान की महिमा को जन-जन तक पहुँचाया, आज भी हमारे दिलों में जीवित हैं। उनके जीवन के कार्यों और संदेशों ने मानवता को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी है। आइए, हम इस दिन के महत्व को समझें और परमहंस योगानंद जी के जीवन को श्रद्धा और भक्ति भाव से सम्मानित करें।

परमहंस श्री योगानंद का जीवन:
परमहंस श्री योगानंद जी का जन्म ५ जनवरी १८९३ को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था। उनका असली नाम योगी श्री बिक्रमार सिंह था, लेकिन वे दुनियाभर में परमहंस योगानंद के नाम से प्रसिद्ध हुए। उन्होंने अपनी आत्मज्ञान की यात्रा में बहुत गहरी साधना की और संसार को योग और ध्यान की सच्ची विधियाँ सिखाईं। उनकी कृतियों, खासकर उनकी प्रसिद्ध पुस्तक "आटोबायोग्राफी ऑफ अ योगी" ने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया और आज भी यह पुस्तक मार्गदर्शन का एक अनमोल खजाना है।

पुण्य दिवस का महत्व:
यह दिन केवल परमहंस श्री योगानंद जी के जीवन के महान कार्यों को याद करने का नहीं है, बल्कि यह दिन हमें उनकी शिक्षा और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। योगानंद जी ने हमें बताया कि शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्तर पर योग का अभ्यास करने से हम अपने जीवन को संतुलित, शांत और आनंदित बना सकते हैं।

उनकी शिक्षाओं ने हमें यह समझने में मदद की कि जीवन में सच्चे सुख और शांति की प्राप्ति योग और ध्यान के माध्यम से ही संभव है। उनका यह संदेश कि "आध्यात्मिक जीवन जीने के लिए आवश्यक है, एकाग्रता और आत्मसाक्षात्कार", हमें निरंतर प्रेरित करता है।

उदाहरण:
श्री योगानंद जी का जीवन अनेक उदाहरणों से भरा हुआ है, जो हमें आत्म-विश्वास और आंतरिक शांति की ओर मार्गदर्शन करते हैं। एक प्रसिद्ध उदाहरण उनके जीवन से जुड़ा है जब उन्होंने ध्यान द्वारा ही संसार के विभिन्न परंपराओं के सिद्धांतों को समझा और न केवल भारतीय बल्कि पश्चिमी समाज में भी योग की शिक्षा फैलाने का कार्य किया।

उनका यह उदाहरण हमें यह सिखाता है कि जीवन में बाधाएँ आ सकती हैं, लेकिन यदि हम अपने आंतरिक मार्गदर्शन पर विश्वास रखें और योग की साधना करें, तो हम हर कठिनाई से पार पा सकते हैं।

भक्ति भावपूर्ण कविता:-

आओ, हम इस दिन को और भी पवित्र बनाएं,
श्री योगानंद जी के मार्ग पर चलकर जीवन सजाएं।
योग और ध्यान से आत्मा की हो सफाई,
सच्ची शांति की प्राप्ति हो, जीवन में हो सुखाई। 🌸✨

ध्यान की शक्ति से खोले हम अपने दिल के द्वार,
श्री योगानंद के उपदेशों से हो जीवन हर्षित और सार। 🕉�💖
सांसारिक मोह-माया से पार पाएं हम,
उनकी दिव्य शिक्षा से जीवन को सजाएं हम। 🌟🌿

अर्थ:
यह कविता परमहंस श्री योगानंद जी के शिक्षाओं और उनके जीवन के प्रति श्रद्धा भाव को व्यक्त करती है। कविता का संदेश है कि ध्यान और योग के माध्यम से हम अपनी आत्मा को शुद्ध कर सकते हैं और शांति की प्राप्ति कर सकते हैं। उनकी उपदेशों के अनुसार, हमें सांसारिक बंधनों से ऊपर उठकर आत्मज्ञान की ओर अग्रसर होना चाहिए।

समाज पर प्रभाव और शिक्षा:
परमहंस श्री योगानंद जी का योगदान समाज के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह सिद्ध किया कि योग केवल शारीरिक क्रियाएँ नहीं हैं, बल्कि यह एक आत्मिक प्रक्रिया है जो हमें अपने भीतर की गहराईयों तक पहुँचाती है। उनका विश्वास था कि यदि हर व्यक्ति ध्यान और साधना से जुड़े, तो समाज में शांति, सद्भावना और प्रेम का वातावरण बनेगा।

योगानंद जी ने पश्चिमी दुनिया में भी भारतीय योग को लोकप्रिय बनाया। उन्होंने यह दिखाया कि भले ही भौतिकवादी दृष्टिकोण से भरी दुनिया में हम जी रहे हैं, लेकिन यदि हम अपने भीतर की शांति और साक्षात्कार से जुड़ें, तो जीवन में वास्तविक सुख मिलेगा।

निष्कर्ष:
आज, परमहंस श्री योगानंद जी के पुण्य दिवस पर हम उनकी दिव्य शिक्षा को सम्मानित करते हैं और उनके मार्गदर्शन में अपने जीवन को साकारात्मक दिशा देने का संकल्प लेते हैं। उनका जीवन और कार्य हमें यह सिखाता है कि सही मार्ग पर चलकर, ध्यान और योग के माध्यम से हम अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं और समाज में शांति और सद्भावना का संचार कर सकते हैं।

🙏 "श्री योगानंद जी की कृपा हम सभी पर सदैव बनी रहे!" 🙏

🎋✨ सभी को परमहंस श्री योगानंद जी के पुण्य दिवस की शुभकामनाएँ! ✨🎋

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-07.03.2025-शुक्रवार.
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