नशे के दुष्प्रभाव पर एक कविता-

Started by Atul Kaviraje, March 13, 2025, 04:57:11 PM

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Atul Kaviraje

नशे के दुष्प्रभाव पर एक कविता-

पहला चरण:
नशा है जीवन की सबसे बड़ी गलती,
यह करता है शरीर को कमजोर, होती है जरा सी फिजूलती।
मानसिक शांति को छीनता है यह बुरा,
स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाता है, यह है सचमुच खतरनाक दुश्मन।

अर्थ:
नशा हमारे जीवन की सबसे बड़ी गलती है। यह हमारे शरीर को कमजोर करता है और मानसिक शांति छीन लेता है, जिससे हम स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाते हैं।

दूसरा चरण:
रातों की नींद और दिन की मेहनत को ले जाता है,
आत्मविश्वास को यह चुराता है।
यह न केवल शरीर को अपंग करता है,
बल्कि रिश्तों में भी दरार डालता है।

अर्थ:
नशा हमें नींद और मेहनत से वंचित करता है। यह हमारे आत्मविश्वास को खत्म कर देता है और हमारे रिश्तों में खटास डालता है।

तीसरा चरण:
शरीर के अंदर जहर सा घुलता है,
नशा करता है हमारी सोच को गुम,
दिमागी स्थिति को करता है कमजोर,
फिर कोई रास्ता नहीं बचता है, बस पछतावा ही है।

अर्थ:
नशा हमारे शरीर में जहर की तरह घुलता है, जो हमारी सोच और दिमाग को कमजोर कर देता है। इसके बाद हम सिर्फ पछतावा ही करते हैं, क्योंकि हमें कोई रास्ता नहीं मिलता।

चौथा चरण:
समाज से दूर, अकेलेपन में फंसा,
नशा एक ऐसी काली कंबल है, जो हमें ढकता।
यह जीवन की खुशियों को चुराता है,
और हमारे सपनों को धुंधला करता है।

अर्थ:
नशा हमें समाज से दूर करता है और अकेलापन बढ़ाता है। यह हमारे जीवन की खुशियों को चुराता है और हमारे सपनों को भी धुंधला कर देता है।

समारोप:
नशे से दूर रहो, जीवन को सुंदर बनाओ,
स्वस्थ शरीर और मन से ही आगे बढ़ो।
नशा छोड़कर जीवन को नया दिशा दो,
सपनों को साकार करो, बस यही रास्ता है सच्चा।

अर्थ:
हमें नशे से दूर रहकर अपने जीवन को सुंदर बनाना चाहिए। स्वस्थ शरीर और मानसिक स्थिति से ही हम अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं और सही दिशा में जीवन जी सकते हैं।

चित्र और इमोजी:
❌💔🍷🚫😞🧠💪

--अतुल परब
--दिनांक-12.03.2025-बुधवार.
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