होळी-हुताशनी पौर्णिमा- होलिका प्रदीपन - 13 मार्च 2025-

Started by Atul Kaviraje, March 14, 2025, 04:19:00 PM

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Atul Kaviraje

होळी-हुताशनी पौर्णिमा- होलिका प्रदीपन - 13 मार्च 2025-

होली और हुताशनी पौर्णिमा का महत्व

13 मार्च 2025 को होली और हुताशनी पौर्णिमा का दिन मनाया जाएगा। यह दिन भारतीय संस्कृति और धर्म में विशेष महत्व रखता है। होली का पर्व रंगों का पर्व है, जो भाईचारे, प्रेम, और एकता का प्रतीक होता है। इस दिन को हुताशनी पौर्णिमा के साथ जोड़ा जाता है, जिसे होलिका दहन के रूप में मनाया जाता है। यह त्यौहार हिन्दू धर्म में बुराई के ऊपर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है, और यह एक रूपक होता है जो हमें सिखाता है कि अंत में सत्य और धर्म ही विजयी होते हैं।

होली का महत्व
होली का पर्व साल के अंत में आता है और इसका त्यौहार विशेष रूप से उत्तर भारत में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यह ऋतुओं के बदलाव का प्रतीक भी होता है, जब सर्दी की विदाई होती है और गर्मी का आगमन होता है। होली, रंगों और प्रेम का पर्व है, जिसमें लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं, मिठाइयाँ खाते हैं, और खुशियाँ बाँटते हैं। यह प्रेम और सामूहिकता का पर्व है।

हुताशनी पौर्णिमा और होलिका दहन
हुताशनी पौर्णिमा, विशेष रूप से होलिका दहन के साथ जुड़ी हुई है। यह उस समय को याद करने का दिन है जब राक्षसी होलिका का वध हुआ था और प्रह्लाद ने बुराई के खिलाफ अपनी आस्था को बरकरार रखा था। इस दिन को बुराई के नाश और अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। लोग होलिका का प्रतीकात्मक दहन करते हैं, यह दिखाने के लिए कि बुराई का अंत हमेशा सत्य के सामने होता है।

होलिका दहन की कथा
होलिका दहन की कथा बहुत प्रसिद्ध है, जो भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद और उसकी बुरी आंटी होलिका से जुड़ी हुई है। होलिका, राक्षस राजा हिरण्यकश्यप की बहन थी, जो प्रह्लाद को अपने पिता के आदेश पर मारने की कोशिश करती थी। लेकिन प्रह्लाद की भक्ति ने उसे बचाया और होलिका जलकर राख हो गई, जबकि प्रह्लाद सुरक्षित रहे। यह घटना बुराई के अंत और अच्छाई की विजय का प्रतीक बन गई है।

काव्य और भक्ति भाव-

होली की रचनात्मक भक्ति भावना को व्यक्त करने के लिए एक सुंदर कविता:-

होली का पर्व आया, रंगों से सजा संसार,
खुशियाँ और प्रेम फैलाएं, यह त्यौहार बहार। 🌸🎨
होलिका का दहन हो, बुराई का नाश हो,
सत्य की शक्ति से ही, हर मुश्किल का पास हो। 🔥✨

प्रेम और एकता का, संदेश हो सबके पास,
मिलकर मनाएं हम, होली का ये खास। 💖🤝
सभी दिलों में प्रेम हो, नफ़रत का कोई काम न हो,
होली का पर्व हमें, सिखाए सच्ची मित्रता का नाम हो। 🌈🎉

कविता का अर्थ-

पहला पद - यह पद होली के पर्व की शुरुआत का संकेत देता है, जिसमें रंगों से संसार सजता है और यह खुशियों का समय होता है। लोग एक-दूसरे के साथ प्रेम और खुशी बाँटते हैं।

दूसरा पद - इस पद में होलिका दहन की विशेषता है, जो बुराई के नाश और अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह पद हमें यह सिखाता है कि सत्य और धर्म हमेशा विजयी होते हैं।

तीसरा पद - इस पद में प्रेम और एकता के महत्व को दर्शाया गया है। यह हमें बताता है कि होली का पर्व सिर्फ रंगों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एकता और सामूहिकता का भी पर्व है।

चौथा पद - इस पद में होली के माध्यम से प्रेम और दोस्ती को बढ़ावा देने का संदेश दिया गया है। यह त्यौहार नफरत को खत्म करने और सच्ची मित्रता को बढ़ावा देने के लिए है।

प्रत्येक क्रिया का महत्व

होलिका दहन: यह बुराई के अंत और अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन लोग एकत्रित होकर होलिका का दहन करते हैं, जिससे यह संदेश जाता है कि बुराई का अंत होता है और अच्छाई हमेशा जीवित रहती है।
रंग खेलना: रंगों के खेल में भाग लेना न केवल खुशी का कारण है, बल्कि यह एकता, प्रेम, और भाईचारे को बढ़ावा देता है। लोग अपने सभी मतभेदों को भुलाकर एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और आनंदित होते हैं।

सारांश
होली और हुताशनी पौर्णिमा का पर्व न केवल रंगों और खुशियों से जुड़ा हुआ है, बल्कि यह एकता, प्रेम, और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक भी है। होलिका दहन के माध्यम से हम यह याद करते हैं कि बुराई का अंत निश्चित है और सत्य की हमेशा विजय होती है। यह त्यौहार हमें मानवता, भाईचारे और प्रेम का पाठ पढ़ाता है।

शुभ होली की शुभकामनाएँ! 🌸💖🎉

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-13.03.2025-गुरुवार.
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