अतिथि देवो भवः पर विशेष कविता-

Started by Atul Kaviraje, March 19, 2025, 08:00:32 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

अतिथि देवो भवः पर विशेष कविता-

🙏 अतिथि देवो भवः एक प्राचीन भारतीय आदर्श वाक्य है, जो अतिथि के प्रति सम्मान और आतिथ्य का संदेश देता है। यह हमारे संस्कारों और संस्कृति का प्रतीक है, जो बताता है कि हर अतिथि हमारे लिए देवता के समान होता है। यह हमें अतिथि को आदर देने, उनका स्वागत करने और उन्हें सम्मान देने की प्रेरणा देता है।

कविता: अतिथि देवो भवः-

1.
अतिथि जो आए, घर में हो खुशहाली,
सभी दिलों में हो, प्रेम की रसाली। 🤝💖
वह देवता के रूप में हो हमारे पास,
हमारा आदर, उसकी है खास। 🙏

अर्थ: जो अतिथि हमारे घर आता है, वह हमारे घर में खुशियाँ लाता है। हमें उसे भगवान की तरह सम्मान देना चाहिए, क्योंकि उसका हमारे जीवन में एक खास स्थान है।

2.
आने वाला अतिथि, कोई भी हो प्यारा,
हमारा कर्तव्य है, उसे हो सम्मान सारा। 🎉✨
चाय या भोजन से उसे करें सेवा,
हर कदम पर हो उसकी प्रिय भावना। 🍽�☕️

अर्थ: हर अतिथि को सम्मान देना हमारा कर्तव्य है, चाहे वह कोई भी हो। हमें उसे अच्छे से सेवा देना चाहिए, जैसे चाय या भोजन से उसका स्वागत करना।

3.
धर्म की यह बात, हमें सिखाती है,
अतिथि को सम्मान देना, जीवन को सहज बनाती है। 🌸🕊�
हमारे संस्कार हैं, ये ही हमारी पहचान,
अतिथि देवो भवः का आदर्श हो महान। 🙌

अर्थ: यह आदर्श हमें सिखाता है कि अतिथि का सम्मान करने से जीवन सरल और सुखमय होता है। हमारे संस्कार ही हमारी पहचान होते हैं, और "अतिथि देवो भवः" का आदर्श हमें महान बनाता है।

4.
अतिथि से बढ़कर कोई नहीं संसार में,
उसकी एक मुस्कान, हो जाए प्रेम का अनुभव। 😃💞
उसका आना है एक वरदान हमारे लिए,
संग उसके बसर हो सुख, हो ख़ुशी की बयार। 🌈

अर्थ: अतिथि से बढ़कर कोई भी हमारे लिए महत्वपूर्ण नहीं है। उसकी मुस्कान हमें प्रेम और खुशियाँ देती है। अतिथि का आना हमारे लिए एक वरदान है, और उसके साथ हर पल खुशियों से भरा होता है।

कविता का अर्थ (प्रत्येक चरण का हिंदी अर्थ):

पहला चरण: जो अतिथि हमारे घर आता है, उसे हमें सम्मान देना चाहिए। वह हमारे लिए भगवान के समान है, और हम उसे सच्चे दिल से आदर देंगे।

दूसरा चरण: हमें अपने अतिथि का आदर करना चाहिए और उसे अच्छा भोजन या पेय देकर सेवा करनी चाहिए। यह हम सबका कर्तव्य है कि हम अतिथि को स्नेहपूर्वक स्वागत करें।

तीसरा चरण: यह संस्कार हमें सिखाता है कि अतिथि का सम्मान करना ही हमारे जीवन को सरल और सुखमय बनाता है। हमारे संस्कार हमें महान बनाते हैं, और अतिथि देवो भवः का आदर्श हमें दिशा देता है।

चौथा चरण: अतिथि हमारे जीवन का सबसे अच्छा वरदान होता है। उसकी मुस्कान हमें प्रेम और खुशियाँ देती है, और उसके साथ हर पल सुकून से भरा होता है।

अतिथि देवो भवः का महत्व:

अतिथि देवो भवः का अर्थ है कि जो अतिथि हमारे घर आए, उसे हम भगवान की तरह सम्मान दें। यह एक आदर्श वाक्य है जो भारतीय संस्कृति में गहरे रूप से बसा हुआ है। इसका पालन करने से हम अपने संस्कारों को सही मायने में निभाते हैं और एक अच्छे इंसान के रूप में खुद को स्थापित करते हैं।

यह विचार न केवल भारतीय संस्कृति की परंपरा को बनाए रखता है, बल्कि यह हमारी सामाजिकता और आपसी संबंधों को मजबूत बनाता है। अतिथि का स्वागत और उसे सम्मान देना हमें एक खुशहाल और आत्मिक संतोष से भर देता है।

निष्कर्ष:

अतिथि देवो भवः का संदेश हमें यह सिखाता है कि हर अतिथि का स्वागत भगवान की तरह करना चाहिए। यह आदर्श हमें न केवल एक अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा देता है, बल्कि हमारे जीवन को प्रेम, सम्मान और आत्मिक सुख से भी भर देता है। अतिथि के स्वागत से हमारा दिल और घर दोनों ही रोशन होते हैं। 🙏✨

प्रतीक:
🙏 - सम्मान और आभार का प्रतीक
🤝 - मित्रता और सहयोग का प्रतीक
💖 - प्रेम और सद्भाव का प्रतीक
🍽� - अतिथि के स्वागत का प्रतीक
🌸 - संस्कार और सुंदरता का प्रतीक

--अतुल परब
--दिनांक-18.03.2025-मंगळवार.
===========================================