कृषि और किसान – हिंदी कविता-

Started by Atul Kaviraje, March 26, 2025, 08:05:41 PM

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Atul Kaviraje

कृषि और किसान – हिंदी कविता-

चरण 1:
किसान की मेहनत से धरती हरियाली,
कृषि में छिपी है, जीवन की जड़ी-बूटी।
वह दिन-रात करता है श्रम,
धरती से उगता है हर अनाज का धर्म।

अर्थ: इस चरण में हम किसान की मेहनत और कृषि के महत्व को समझते हैं। किसान की मेहनत से ही धरती हरियाली से भर जाती है और वह हमारे लिए अनाज उगाता है, जो हमारे जीवन का आधार बनता है।

चरण 2:
फसलें उगाए वह अपनी धरती पर,
कड़ी मेहनत से लाए खुशियाँ घर-घर।
सर्दी हो या गर्मी, कभी न रुके काम,
किसान की लगन है सच में बड़े नाम।

अर्थ: इस चरण में हम किसान की कड़ी मेहनत और समर्पण को मान्यता देते हैं। चाहे कोई भी मौसम हो, वह लगातार अपनी फसल उगाने में लगा रहता है, जिससे वह समाज में खुशियाँ लाता है।

चरण 3:
बीज से पौधा और पौधे से फसल,
किसान का दिल है सच्चा और सरल।
सभी मौसमों को झेलते हैं वे,
पर खेतों में ही खुश रहते हैं वे।

अर्थ: इस चरण में हम बीज से लेकर फसल तक की यात्रा को समझते हैं। किसान अपने सरल और सच्चे दिल से मेहनत करता है, और वह हर कठिनाई को सहन करके अपने खेतों में खुश रहता है।

चरण 4:
खेतों में उगती है अनाज की रोटी,
हर सुबह की नयी उम्मीद की बोट।
उसकी मेहनत से हर घर में खुशहाली,
किसान ही है, जो देता है जीवन की सच्ची जड़ी।

अर्थ: इस चरण में हम किसान की मेहनत के परिणामस्वरूप उगने वाली फसलों के महत्व को समझते हैं। उसकी मेहनत से हर घर में खुशहाली आती है, और वह जीवन को संजीवनी देने जैसा होता है।

चरण 5:
मशीने आ गईं, लेकिन उसका काम है अलग,
किसान की लगन से ही उगती है फसल।
मशीने कर सकती हैं कुछ काम का,
लेकिन प्यार और मेहनत से ही होती है सफलता का।

अर्थ: इस चरण में हम यह बताते हैं कि भले ही तकनीकी मशीनें कृषि में मदद करती हैं, लेकिन किसान की मेहनत और प्यार के बिना सफल फसल नहीं हो सकती। यह व्यक्ति की मेहनत और लगन है, जो कृषि को असली सफलता दिलाती है।

चरण 6:
संघर्ष और कठिनाईयों को सहता है वह,
पर अपनी जमीन से प्यार है उसे सच्चा।
किसान है धरती का असली सच्चा पुत्र,
जो बिना थके करता है अपना कर्तव्य पूर्ण।

अर्थ: इस चरण में हम किसान के संघर्ष और कठिनाइयों को समझते हैं। हालांकि वह कठिनाइयों का सामना करता है, वह अपनी जमीन से गहरा प्रेम करता है और अपना कर्तव्य पूरी निष्ठा से निभाता है।

चरण 7:
कृषि और किसान का साथ न हो कोई कम,
उनकी मेहनत से ही बढ़े देश का धन।
किसान के साथ खड़ा रहे समाज,
उसकी मेहनत का हो हर जगह सम्मान और ताज।

अर्थ: इस चरण में हम यह समझते हैं कि कृषि और किसान एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं। किसान की मेहनत से देश की समृद्धि बढ़ती है, और समाज को उसकी मेहनत का सम्मान करना चाहिए।

कविता का संक्षिप्त अर्थ:
कृषि और किसान हमारे समाज के आधार हैं। किसान अपनी कड़ी मेहनत, संघर्ष और समर्पण से धरती को हरियाली से भरता है और हमें भोजन प्रदान करता है। उसके बिना हमारी दुनिया अधूरी है। हमें उसकी मेहनत और संघर्ष को समझना चाहिए और उसे उचित सम्मान देना चाहिए। किसान का योगदान देश की समृद्धि में अनमोल है।

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संक्षेप में:
कृषि और किसान हमारे जीवन के महत्वपूर्ण हिस्से हैं। उनकी मेहनत से उगने वाली फसलें हमारे जीवन का अहम हिस्सा बनती हैं। हमें किसान की कड़ी मेहनत और संघर्ष का सम्मान करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम उसकी मदद के लिए हर कदम पर साथ खड़े रहें। किसान का जीवन और योगदान राष्ट्र की समृद्धि में अनमोल है।

--अतुल परब
--दिनांक-25.03.2025-मंगळवार.
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