"शिक्षा का व्यवसायीकरण: गुणात्मक शिक्षा के रास्ते में अवरोध"-

Started by Atul Kaviraje, March 31, 2025, 08:13:43 PM

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Atul Kaviraje

शिक्षा का व्यवसायीकरण-

शिक्षा का व्यवसायीकरण: एक गंभीर परिघटना-

"शिक्षा का व्यवसायीकरण: गुणात्मक शिक्षा के रास्ते में अवरोध"

आज के समय में शिक्षा का व्यवसायीकरण एक गम्भीर और अत्यंत महत्वपूर्ण विषय बन चुका है। शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान प्रदान करना नहीं है, बल्कि यह समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का एक सशक्त माध्यम भी है। लेकिन आज शिक्षा के क्षेत्र में व्यवसायीकरण के बढ़ते प्रभाव ने इस उद्देश्य को कहीं न कहीं हानि पहुंचाई है।

शिक्षा का व्यवसायीकरण: क्या है इसका अर्थ?
शिक्षा का व्यवसायीकरण का तात्पर्य है कि शिक्षा को एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में देखा जाए, जहां शिक्षा प्रदान करने के बजाय उसे एक व्यापार की तरह पेश किया जाता है। यहां छात्रों से केवल अधिक से अधिक शुल्क लिया जाता है, न कि उनके ज्ञान और कौशल में वृद्धि करने की कोशिश की जाती है।

व्यवसायीकरण के कारण
शिक्षा के व्यवसायीकरण के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें मुख्य रूप से शैक्षिक संस्थानों की बढ़ती संख्या, बढ़ते व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा, और उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए बढ़ते निवेश की आवश्यकता शामिल है। साथ ही, शिक्षा को एक लाभकारी उद्योग के रूप में स्थापित करने के लिए कई निजी संस्थान सामने आए हैं।

शिक्षा का व्यवसायीकरण: क्या हानिकारक है?
जब शिक्षा का व्यवसायीकरण हो जाता है, तो यह कई नकरात्मक प्रभाव डालता है:

गुणवत्ता में कमी: कई निजी संस्थान उच्च गुणवत्ता की शिक्षा नहीं दे पाते हैं, क्योंकि उनका मुख्य उद्देश्य मुनाफा कमाना होता है, न कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार।

अवसरों में असमानता: उच्च शुल्कों के कारण गरीब और कमजोर वर्ग के छात्र शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। शिक्षा का व्यवसायीकरण समाज में असमानता बढ़ा देता है, जहां केवल अमीर वर्ग के लोग ही उच्च शिक्षा प्राप्त कर पाते हैं।

अधिकार का उल्लंघन: शिक्षा का व्यवसायीकरण छात्रों के अधिकारों का उल्लंघन करता है। छात्रों को गुणवत्ता वाली शिक्षा मिलनी चाहिए, न कि एक ऐसा उत्पाद जिसे सिर्फ एक व्यवसाय के रूप में बेचा जाए।

शिक्षा का व्यवसायीकरण: उदाहरण और चित्र
कई निजी स्कूल और विश्वविद्यालय शिक्षा का व्यवसायीकरण कर चुके हैं। वे छात्रों से उच्च शुल्क लेते हैं और प्रायः गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं करते। इसके बजाय, वे केवल व्यापारिक दृष्टिकोण से सोचते हैं और छात्रों को एक वस्तु के रूप में मानते हैं।

🎓 उदाहरण:

उच्च शुल्क वाले निजी स्कूल: कुछ निजी स्कूल जो उच्च शिक्षा के नाम पर बहुत अधिक शुल्क लेते हैं, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता पर कोई ध्यान नहीं देते। उनका उद्देश्य केवल मुनाफा कमाना होता है।

कोचिंग संस्थान: आजकल कई कोचिंग संस्थान छात्रों को उच्च अंक प्राप्त करने के लिए महंगे कोर्स बेचते हैं, जिसमें अक्सर शिक्षा की गुणवत्ता पर समझौता किया जाता है।

कविता-

📚 शिक्षा की राह में जो व्यावसायिकता घुसी,
ज्ञान की बजाय बस मुनाफा बढ़ाने की मंशा बसी।
💰 ज्ञान नहीं, अब सबकुछ कीमत पर बिकता है,
शिक्षा का अधिकार अब नहीं, ये व्यापारिक धंधा बनता है।

अर्थ: यह कविता शिक्षा के व्यवसायीकरण की वास्तविकता को दर्शाती है, जहां शिक्षा का उद्देश्य अब मुनाफा कमाना हो गया है, न कि छात्रों को असली ज्ञान देना।

शिक्षा का व्यवसायीकरण: सुधार की आवश्यकता
यह आवश्यक है कि शिक्षा के व्यवसायीकरण के इस दौर में सुधार लाया जाए। शिक्षा को एक मानव अधिकार के रूप में देखा जाना चाहिए और इसे सभी के लिए सुलभ और गुणवत्तापूर्ण बनाया जाना चाहिए। इस दिशा में कुछ महत्वपूर्ण सुधार किए जा सकते हैं:

सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली में सुधार: सरकारी स्कूलों और कॉलेजों की गुणवत्ता में सुधार करके शिक्षा को अधिक सुलभ और गुणवत्तापूर्ण बनाया जा सकता है।

समान शुल्क नीति: शिक्षा के व्यवसायीकरण को रोकने के लिए समान शुल्क नीति लागू की जानी चाहिए, ताकि गरीब और अमीर छात्रों के बीच भेदभाव न हो।

शैक्षिक संस्थानों में पारदर्शिता: शिक्षा देने वाले संस्थानों में पारदर्शिता और जवाबदेही होनी चाहिए, ताकि छात्रों को बेहतर शिक्षा मिल सके।

समाप्ति
शिक्षा का व्यवसायीकरण एक गम्भीर मुद्दा है, जिसे समय रहते सुधारने की आवश्यकता है। यदि हम इसे सही दिशा में नहीं ले गए, तो यह हमारे समाज में शिक्षा के उद्देश्य को प्रभावित करेगा और केवल एक छोटे से वर्ग को ही उच्च शिक्षा के लाभ प्राप्त होंगे। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि शिक्षा एक मानव अधिकार है और इसे सभी के लिए सुलभ और गुणवत्तापूर्ण बनाया जाए।
🎓📚

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-29.03.2025-शनिवार.
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