संत झूलेलाल जयंती - 31 मार्च 2025-

Started by Atul Kaviraje, April 01, 2025, 07:47:01 PM

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Atul Kaviraje

संत झूलेलाल जयंती-

संत झूलेलाल जयंती - 31 मार्च 2025-

संत झूलेलाल जी का जन्म सिंध प्रांत के एक छोटे से गाँव में हुआ था। उन्हें "दऱिया शाह" के नाम से भी जाना जाता है। संत झूलेलाल, हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्मों के भक्तों के बीच समान रूप से पूजनीय हैं। उनकी जयंती 31 मार्च को मनाई जाती है, जो एक दिव्य पर्व है। संत झूलेलाल की जयंती पर हम उनके जीवन के प्रेरणादायक प्रसंगों और शिक्षाओं का स्मरण करते हैं।

संत झूलेलाल का जीवन और कार्य
संत झूलेलाल का जन्म सिंध क्षेत्र के एक धार्मिक परिवार में हुआ था। उनकी बचपन से ही एक दिव्य आभा और अद्भुत शक्तियां थी। जब वे छोटे थे, तब उन्होंने लोगों को सत्य, धर्म और ईश्वर के प्रति समर्पण का पाठ पढ़ाया। उन्हें विशेष रूप से उनके अद्वितीय चमत्कारी कार्यों के लिए जाना जाता है, जिनमें उन्होंने कई लोगों को अपने आशीर्वाद से संजीवनी दी।

उनकी प्रसिद्धि उस समय और बढ़ी जब उन्होंने सिंधु नदी से सम्बन्धित एक चमत्कारी घटना को घटित किया। सिंधु नदी का पानी जो पहले पीने के लायक नहीं था, वह संत झूलेलाल के आशीर्वाद से पूरी तरह शुद्ध हो गया और फिर वह नदी के पानी में समृद्धि और शांति का संदेश फैलाया। यही कारण था कि लोग उन्हें "दऱिया शाह" के नाम से पुकारने लगे, जिसका अर्थ होता है "नदी का शहंशाह"।

संत झूलेलाल की शिक्षाएँ और आदर्श
संत झूलेलाल जी का संदेश बहुत सरल था – उन्होंने हमेशा समाज में एकता, प्रेम, और भाईचारे का प्रचार किया। वे मानते थे कि सभी धर्म एक ही ईश्वर के द्वारा निर्धारित हैं और यह जरूरी नहीं कि कोई व्यक्ति किस धर्म में जन्मा है, बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि वह अपनी कर्मों के द्वारा ईश्वर के पास पहुंचे। उनका जीवन प्रेम और सहिष्णुता का प्रतीक था। उन्होंने हमेशा धर्म, जाति और संप्रदाय के भेदभाव को नकारा और समतामूलक समाज की स्थापना का संदेश दिया।

संत झूलेलाल का जीवन इस बात का प्रतीक था कि भक्ति और सत्य के मार्ग पर चलकर हम किसी भी कठिनाई से उबर सकते हैं। उनका दर्शन हमेशा हर मानव के जीवन में प्यार, सम्मान और अहिंसा के सिद्धांतों को बढ़ावा देता है।

संत झूलेलाल जयंती का महत्व
संत झूलेलाल की जयंती उनके जीवन की शिक्षाओं को याद करने और उनके आदर्शों को समाज में फैलाने का एक उपयुक्त अवसर है। यह दिन हमें यह सिखाता है कि हम अपने बीच धार्मिक भेदभाव को खत्म करके एक-दूसरे के साथ प्रेम और सौहार्द से पेश आना चाहिए। संत झूलेलाल जी का जीवन इस बात का प्रमाण है कि जीवन में असली सुख और शांति तब प्राप्त होती है जब हम ईश्वर के प्रति पूरी तरह से समर्पित रहते हैं और मानवता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझते हैं।

संत झूलेलाल की जयंती के दिन उनके भक्त संगठित होते हैं और उनकी भक्ति में झूलेलाल की विशेष पूजा अर्चना करते हैं। यह एक भव्य समारोह होता है जिसमें लाखों लोग एक साथ मिलकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

हिंदी कविता:-

संत झूलेलाल का संदेश समझो, धर्म का होता है उत्थान,
सभी धर्मों का समान आदर करो, तभी होगी सच्ची पहचान।
जिंदगी में प्रेम की जो धारा बहाओ, सबको साथ में चलाओ,
सच्चे मार्ग पर चलकर, सबको सुख और शांति का तोहफा पाओ।

अर्थ:
यह कविता संत झूलेलाल जी के संदेश को दर्शाती है कि अगर हम अपने जीवन में प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा देते हैं, तो समाज में शांति और समृद्धि आएगी। संत झूलेलाल का जीवन हमें यही सिखाता है कि धर्म का उद्देश्य केवल ईश्वर की पूजा करना नहीं, बल्कि हर इंसान के साथ प्रेम और समर्पण से पेश आना है।

समाप्ति और संदेश
संत झूलेलाल की जयंती हमें यह याद दिलाती है कि धर्म के नाम पर किसी प्रकार का भेदभाव न करके, हमें एक दूसरे को समान सम्मान देना चाहिए। उनका जीवन एक आदर्श था, और उनके उपदेशों को आत्मसात करना ही इस पवित्र दिन का वास्तविक उद्देश्य है। इस दिन हमें अपने जीवन में संतुलन, शांति और प्रेम का पालन करने का संकल्प लेना चाहिए।

संबंधित चित्र और चिन्ह

🙏🌸 - भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक

💖🌍 - प्रेम और भाईचारे का प्रतीक

🕉�🌊 - जल और धर्म का प्रतीक

🌟💫 - दिव्य आशीर्वाद और चमत्कारी शक्ति का प्रतीक

🎉🕌 - संत झूलेलाल के उत्सव का प्रतीक

संत झूलेलाल जी की जयंती के इस पवित्र दिन पर, हम सभी को उनके आशीर्वाद और उपदेशों से मार्गदर्शन प्राप्त हो!

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-31.03.2025-सोमवार.
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