कपकेक में कवि दिवस - हिंदी कविता-

Started by Atul Kaviraje, April 13, 2025, 07:34:18 PM

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Atul Kaviraje

कपकेक में कवि दिवस - हिंदी कविता-
(11 एप्रिल 2025, शुक्रवार)

चरण 1:
कविता की मिठास, कपकेक में समाई,
हर शब्द की चाशनी, दिल में बसाई।
सांसों में घुलती, जैसे खुशबू प्यारी,
कविता की महक, सजीव हो सवारी।

अर्थ:
कविता की मिठास कपकेक में समाई है, जैसे हर शब्द की चाशनी हमारे दिलों में घुल जाती है। यह कविता ऐसी है, जो हमें खुशबू की तरह महसूस होती है और जीवन में रंग भर देती है।

चरण 2:
कवि का मन, उसके विचारों की उड़ान,
कपकेक में बसी एक कविता की पहचान।
कभी खुशी, कभी दर्द, कभी गहरी बात,
कविता में बसी होती है, जीवन की हर रात।

अर्थ:
कवि के विचार और उसके मन का उड़ान, कपकेक के भीतर बसी कविता के समान है। कविता में कभी खुशी तो कभी दुःख, और जीवन की गहरी बातों का समावेश होता है।

चरण 3:
कपकेक में छुपा हुआ, एक कवि का जीवन,
उसकी कविताएं, उसकी कल्पनाओं का रिवाज।
स्वाद में बसी ये नज़्में, सुगंधों में भी रंग,
कवि के हर लम्हे में, हर्ष और संतुष्टि का संग।

अर्थ:
कपकेक में जैसे एक कवि का जीवन समाहित होता है, वैसे ही उसकी कविताएं और कल्पनाएं उसके जीवन का हिस्सा बन जाती हैं। यह नज़्में जैसे स्वाद और सुगंध के रूप में हमसे जुड़ी रहती हैं।

चरण 4:
हर कविता में समाई, हंसी और दुख की सवारी,
कपकेक के साथ हर खामोशी भी है हमारी।
आज का दिन है कवि दिवस का त्यौहार,
कविता और कपकेक का हो ऐसा प्यार।

अर्थ:
कविता में हर खुशी और दुख समाहित होता है, जैसे कपकेक में हर स्वाद और रंग। आज के दिन को हम कवि दिवस के रूप में मनाते हैं, जहाँ कविता और कपकेक का मिलन खास होता है।

चरण 5:
कविता को सजीव करो, जैसे कपकेक हो ताजगी,
हर शब्द के साथ बने, एक सुंदर सी कहानी।
कवि का मन, उसका काम और उसका जोश,
कपकेक की तरह हो मिठास और रंगों से सजीव।

अर्थ:
कविता को जीवन में उतारो, जैसे कपकेक में मिठास और ताजगी होती है। शब्दों के साथ एक सुंदर कहानी बनती है, जो कवि के मन और जोश से जुड़ी होती है।

चरण 6:
कविता की मिठास और कपकेक का स्वाद,
साथ मिलकर हो जाते हैं, जीवन के राग।
कवि और कविता दोनों, सजीव हैं यहां,
कपकेक के साथ मनाएंगे हम यह त्योहार।

अर्थ:
कविता और कपकेक दोनों की मिठास जीवन में जोड़ती है। इन दोनों का संग हमें जीवन के राग और सुंदरता की याद दिलाता है। आज हम कवि दिवस को इस तरह मनाएंगे।

चरण 7:
हर कवि की तरह, कपकेक में भी बात है,
कभी मीठी, कभी गहरी, कभी हंसी का स्वाद है।
आज इस दिन पर, दोनों को हम सलाम करें,
कविता और कपकेक से, जीवन को सजाएं।

अर्थ:
कविता और कपकेक दोनों ही हमें जीवन की विविधताओं का अहसास कराते हैं। इस दिन हम दोनों को सलाम करते हुए अपने जीवन को और भी सुंदर बनाते हैं।

--अतुल परब
--दिनांक-11.04.2025-शुक्रवार.
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