देवी दुर्गा का 'विध्वंसक रूप' एवं समाज पर प्रभाव-

Started by Atul Kaviraje, April 19, 2025, 05:02:33 PM

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Atul Kaviraje

देवी दुर्गा का 'विध्वंसक रूप' एवं समाज पर प्रभाव-
(देवी दुर्गा का विनाशकारी रूप और समाज पर उसका प्रभाव)
(The Destructive Form of Goddess Durga and Its Effect on Society) 

देवी दुर्गा का 'विध्वंसक रूप' एवं समाज पर प्रभाव-
हिंदू धर्म में देवी दुर्गा को शक्ति, साहस और न्याय की देवी माना जाता है। उनका 'विध्वंसक रूप' असुरों और दुष्ट शक्तियों के विनाश के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यह रूप समाज में धर्म की पुनर्स्थापना और अधर्म के नाश का प्रतीक है।�

🌸 देवी दुर्गा का विध्वंसक रूप
देवी दुर्गा को शेर पर सवार, दस भुजाओं वाली और विभिन्न शस्त्रों से सुसज्जित रूप में चित्रित किया जाता है। उनकी प्रत्येक भुजा में एक-एक देवता द्वारा प्रदत्त अस्त्र होता है, जैसे विष्णु का चक्र, शिव का त्रिशूल, इंद्र का वज्र आदि। यह रूप उनके सामर्थ्य, साहस और न्याय की प्रतीकता को दर्शाता है।�

🕉� पौराणिक संदर्भ
'दुर्गा सप्तशती' या 'चंडी पाठ' में देवी दुर्गा के इस रूप का विस्तृत वर्णन मिलता है। इस ग्रंथ में देवी के असुरों से युद्ध और उनके विनाश की कथाएं हैं, जो समाज में धर्म की पुनर्स्थापना और अधर्म के नाश का संदेश देती हैं। �

🌼 समाज पर प्रभाव
धार्मिक और सामाजिक न्याय की स्थापना: देवी दुर्गा का विध्वंसक रूप समाज में धर्म की पुनर्स्थापना और अधर्म के नाश का प्रतीक है।�

स्त्री शक्ति का सम्मान: उनका यह रूप स्त्री शक्ति और साहस का प्रतीक है, जो समाज में महिलाओं के सम्मान और अधिकारों की ओर संकेत करता है।�

सकारात्मक बदलाव की प्रेरणा: देवी दुर्गा का यह रूप समाज में सकारात्मक बदलाव की प्रेरणा देता है, जिससे लोग अधर्म और अन्याय के खिलाफ खड़े होते हैं।�

📷 प्रतीक और इमोजी

🐅 शेर – शक्ति और साहस का प्रतीक।

🗡� शस्त्र – न्याय और धर्म की रक्षा का प्रतीक।

🔥 आग – विनाश और पुनर्निर्माण का प्रतीक।

💪 शक्ति – सामर्थ्य और साहस का प्रतीक।�

✍️ लघु कविता: "दुर्गा का रूप"

शेर पर सवार देवी दुर्गा,
धार्मिक न्याय की प्रतीक।
दुष्टों का संहार करने वाली,
समाज में धर्म की स्थापना करने वाली।�

देवी दुर्गा का 'विध्वंसक रूप' समाज में धर्म की पुनर्स्थापना, अधर्म के नाश और सकारात्मक बदलाव की प्रेरणा देता है। उनकी उपासना से समाज में शांति, न्याय और समानता की भावना उत्पन्न होती है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-18.04.2025-शुक्रवार.
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