कोल्हापुर की अम्बाबाई की पूजा में सांस्कृतिक परम्पराएँ-

Started by Atul Kaviraje, April 19, 2025, 05:03:50 PM

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Atul Kaviraje

कोल्हापुर की अम्बाबाई की पूजा में सांस्कृतिक परम्पराएँ-
(The Cultural Traditions in the Worship of Kolhapur's Ambabai)

कोल्हापुर की अंबाबाई पूजा में सांस्कृतिक परंपराएँ-
कोल्हापुर स्थित महालक्ष्मी मंदिर, जिसे अंबाबाई मंदिर भी कहा जाता है, महाराष्ट्र के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। यह मंदिर अपनी धार्मिक महिमा के साथ-साथ अपनी सांस्कृतिक परंपराओं के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ की पूजा विधियाँ, उत्सव, और पारंपरिक रस्में स्थानीय संस्कृति और श्रद्धा का अद्भुत संगम प्रस्तुत करती हैं।�

🕉� पूजा विधियाँ और दैनिक अनुष्ठान

अंबाबाई मंदिर में प्रतिदिन विभिन्न पूजा विधियाँ आयोजित की जाती हैं:�

काकड़ आरती (सुबह 4:30 बजे): यह आरती मंदिर के मुख्य द्वार पर स्थित घंटी बजाकर भक्तों को जागृत करती है, जिससे वे देवी के दर्शन के लिए तैयार होते हैं। �

षोडशोपचार महापूजा (सुबह 8:00 बजे): इस पूजा में देवी का जल, दूध, शहद, घी, और दही से अभिषेक किया जाता है, साथ ही उन्हें सुगंधित पुष्प, स्वर्ण मुकुट, और पादुका अर्पित की जाती हैं। �

नैवेद्य अर्पण (सुबह 9:30 बजे): इसमें देवी को पूरनपोळी, चटनी, कोशिंबीर, रोटी, और विशेष पर्वों पर पंचपक्वान अर्पित किए जाते हैं। �

अलंकरण पूजा (दोपहर 1:30 बजे): इस पूजा में देवी को स्वर्ण आभूषण पहनाए जाते हैं, और उन्हें कोल्हापुरी साड़ी, साज, किरीट, कुण्डल, नथनी, और मंगलसूत्र से सजाया जाता है। �

🎉 प्रमुख उत्सव और सांस्कृतिक परंपराएँ

1. नवरात्रि उत्सव:
नवरात्रि के दौरान मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना होती है। इसमें देवी महालक्ष्मी का अभिषेक, अलंकरण, और रात्री आरती शामिल हैं। मंदिर में तोफों की सलामी, मिरवणूक, और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिसमें लाखों भक्तों की उपस्थिति होती है। �

2. ललिता पंचमी:
यह नवरात्रि का पाँचवाँ दिन होता है, जब देवी महालक्ष्मी की मिरवणूक त्र्यंबुली देवी के दर्शन के लिए निकाली जाती है। इस दिन विशेष पूजा, छत्रपती के द्वारा कुष्मांडबली, और देवी की पालकी की आरती की जाती है। �

3. अष्टमी और नवमी:
अष्टमी के दिन देवी महालक्ष्मी की मूर्ति गरुड मंडप में रखी जाती है, जहाँ तोफों की सलामी दी जाती है। नवमी के दिन यज्ञ पूजा, देवी की आरती, और भक्तों द्वारा देवी को ओटी, नारियल, बांगड्या, और मिठाई अर्पित की जाती है। �

4. रथोत्सव:
रथोत्सव जोतिबा की चैत्र यात्रा के दूसरे दिन आयोजित होता है। इसमें देवी की उत्सव मूर्ति रथ में विराजित की जाती है, और नगर में रथ यात्रा निकाली जाती है। इसमें तोफों की सलामी, आतिशबाजी, और भक्तों द्वारा आरती की जाती है। �

5. दीपदान परंपरा:
दिवाली के दौरान मंदिर के शिखर पर दीप जलाने की परंपरा है। भक्त सूर्योदय से पहले सूत और घी से काकड़ा बनाते हैं, जिसे शिखर पर जलाया जाता है। यह परंपरा नरक चतुर्दशी से त्रिपुरारी पूर्णिमा तक चलती है, और इसे दीपदान के रूप में मनाया जाता है। �

🖼� प्रतीक और इमोजी

🕯� दीपक: आध्यात्मिक प्रकाश और अंधकार से मुक्ति का प्रतीक।�

🕉� ॐ: सर्वशक्तिमान देवी महालक्ष्मी की उपासना का प्रतीक।�

🌸 पुष्प: भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक।�

🎶 संगीत नोट्स: आरती और भजन कीर्तन का प्रतीक।�

✍️ लघु कविता: "अंबाबाई की महिमा"

कोल्हापुर की अंबाबाई, शक्ति की अवतार।
नवरात्रि में रथ यात्रा, भक्तों का अपार प्यार।
दीपदान की परंपरा, शिखर पर जलते दीप।
हर दिन की पूजा विधि, भक्तों को देती है आशीर्वाद की छांव।�

कोल्हापुर की अंबाबाई पूजा न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह क्षेत्रीय संस्कृति, श्रद्धा, और परंपराओं का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करती है। यहाँ की पूजा विधियाँ, उत्सव, और रस्में भक्तों को आध्यात्मिक शांति और सांस्कृतिक समृद्धि की अनुभूति कराती हैं।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-18.04.2025-शुक्रवार.
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