सौर ग्रीष्म ऋतु का आरंभ: 19 अप्रैल 2025, शनिवार-

Started by Atul Kaviraje, April 20, 2025, 09:35:11 PM

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Atul Kaviraje

सौर ग्रिष्म ऋतु प्रIरंभ-

सौर ग्रीष्म ऋतु का आरंभ: 19 अप्रैल 2025, शनिवार-

सौर ग्रीष्म ऋतु का आरंभ भारतीय पंचांग के अनुसार 19 अप्रैल 2025, शनिवार को हो रहा है। यह तिथि विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह न केवल मौसम परिवर्तन का संकेत देती है, बल्कि भारतीय संस्कृति और जीवनशैली पर भी गहरा प्रभाव डालती है। इस लेख में हम इस दिन के महत्व, सौर ग्रीष्म ऋतु के प्रभाव, और इस दिन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों पर चर्चा करेंगे।

🌞 सौर ग्रीष्म ऋतु का महत्व
सौर ग्रीष्म ऋतु, जिसे अंग्रेजी में 'Summer Solstice' कहा जाता है, वह समय होता है जब सूर्य अपनी अधिकतम ऊँचाई पर होता है और पृथ्वी पर सबसे अधिक तापमान होता है। भारतीय उपमहाद्वीप में यह ऋतु विशेष रूप से गर्मी, उमस, और जलवायु परिवर्तन के लिए जानी जाती है। इस दिन सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध पर पड़ती हैं, जिससे दिन लंबा और रात छोटी होती है।

📅 19 अप्रैल 2025 का पंचांग
तिथि: कृष्ण पक्ष षष्ठी (6:22 PM तक), उपरांत सप्तमी

वार: शनिवार

नक्षत्र: मूल (10:21 AM तक), उपरांत पूर्वाषाढ़ा

योग: शिव (12:52 AM तक), उपरांत सिद्ध

राहुकाल: 9:16 AM से 10:51 AM तक

सूर्योदय: 6:06 AM

सूर्यास्त: 6:45 PM

चंद्रमा: धनु राशि में संचार

🌡� सौर ग्रीष्म ऋतु के प्रभाव
जलवायु परिवर्तन: इस ऋतु में तापमान में वृद्धि होती है, जिससे गर्मी और उमस में इजाफा होता है। यह कृषि, जल आपूर्ति, और मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है।

कृषि पर प्रभाव: इस समय फसलों की सिंचाई की आवश्यकता बढ़ जाती है। किसानों को जल संरक्षण उपायों को अपनाने की आवश्यकता होती है।

स्वास्थ्य पर प्रभाव: अत्यधिक गर्मी के कारण गर्मी से संबंधित बीमारियाँ जैसे हीट स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन, और त्वचा की समस्याएँ बढ़ सकती हैं। इसलिए, इस समय विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।

📖 सौर ग्रीष्म ऋतु पर एक लघु कविता-

गर्मी की तपिश बढ़ी है,
सूर्य की किरणें तेज़ हैं।
धरती पर उमस छाई है,
सभी को सावधानी की ज़रूरत है।

📸 प्रतीकात्मक चित्र और इमोजी-

🌞 सूर्य की तेज़ किरणें

🌡� तापमान का बढ़ना

💧 जल की कमी

🌾 सूखी फसलें

🧴 सनस्क्रीन का उपयोग

📝 निष्कर्ष
19 अप्रैल 2025 का दिन न केवल सौर ग्रीष्म ऋतु के आरंभ का प्रतीक है, बल्कि यह हमें मौसम के बदलाव के प्रति जागरूक करता है। इस दिन के महत्व को समझते हुए, हमें अपनी दिनचर्या, कृषि कार्य, और स्वास्थ्य संबंधी उपायों में आवश्यक परिवर्तन करने चाहिए। इस प्रकार, यह दिन हमें प्राकृतिक परिवर्तनों के प्रति संवेदनशील और जिम्मेदार नागरिक बनने की प्रेरणा देता है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-19.04.2025-शनिवार.
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