सौर ग्रिष्म ऋतु प्रारंभ - हिंदी कविता-

Started by Atul Kaviraje, April 20, 2025, 09:40:40 PM

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Atul Kaviraje

सौर ग्रिष्म ऋतु प्रारंभ - हिंदी कविता-
(07 चरण, 04 पंक्तियाँ प्रत्येक चरण के साथ, हिंदी अर्थ सहित)

चरण 1
सूरज की रौशनी बढ़ी है, हवा गर्म हो गई,
फूलों की रंगत फीकी, धरती जलने लगी।
सभी शीतलता की तलाश में, छांव में बैठे हैं,
ग्रिष्म ऋतु का आगमन, अब साफ़ दिखने लगा है।

अर्थ:
सौर ग्रिष्म ऋतु के आने से सूरज की गर्मी बढ़ गई है, जो फूलों और धरती पर भी असर डाल रही है। लोग गर्मी से राहत पाने के लिए छांव में बैठ रहे हैं।

चरण 2
दूर-दूर तक फैला है रेगिस्तान का ताप,
जलते हुए रेत, समुंदर का खामोश हर जाप।
पानी की कमी बढ़ी है, जीवन थम सा गया,
ग्रिष्म के सूरज के नीचे सब कुछ सूखा सा गया।

अर्थ:
गर्मी का असर रेगिस्तान तक फैला हुआ है, जहां रेत जलने लगी है और पानी की कमी हो रही है। इस समय जीवन थोड़ी धीमी गति से चल रहा है।

चरण 3
पेड़ों के पत्ते मुरझाए, शाखाएं झुक गईं,
गर्मी में ताजगी का अहसास अब छिन गया।
धूप में तपते खेतों में किसान पसीने से लथपथ,
प्राकृतिक संतुलन में थोड़ा सा फर्क आ गया।

अर्थ:
गर्मी के कारण पेड़ पौधे मुरझा गए हैं और किसानों को कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। इस दौरान प्राकृतिक संतुलन में थोड़ा सा बदलाव महसूस हो रहा है।

चरण 4
हवाओं में भारी गूंज, लू की मार से डर,
शाम ढले तो थोड़ी राहत, फिर भी गर्मी है भर।
सभी जगह जलते हुए रास्ते, तपते हुए दिन,
ग्रिष्म ऋतु का असर, सब पर साफ़ दिखाई दे रहा है।

अर्थ:
गर्मी की लू के कारण शाम तक थोड़ी राहत मिलती है, लेकिन दिन भर की तपन से रास्ते जलते हुए नजर आते हैं।

चरण 5
सूरज की किरणें करतीं हैं तात्पर्य बड़ा,
पानी से बेजान, सूखा हर पेड़ और घास।
जीवन की साधारण गति, कुछ धीमी सी हो गई,
ग्रिष्म के आगमन से हर ओर गर्मी घेरने लगी।

अर्थ:
सूरज की गर्मी ने पेड़ों और घास को सूखा कर दिया है, और सब कुछ धीरे-धीरे सुस्त हो गया है। गर्मी की वजह से जीवन की गति पर असर पड़ने लगा है।

चरण 6
रातें भी अब गर्म हो गईं, थकान से चुराती हैं नींद,
लेकिन पानी की बारिश का ख्वाब दिल में बरसता है।
घटाएं भी हंसीं, फिर भी न कोई राहत है,
ग्रिष्म ऋतु में धूप का गुस्सा ज़्यादा दिखने लगता है।

अर्थ:
रातें भी गर्म होने लगी हैं, नींद में दिक्कत होने लगी है, और बारिश की उम्मीद सबको रहती है, लेकिन गर्मी का असर साफ दिखता है।

चरण 7
ग्रिष्म ऋतु आई, लाए जल, जीवन में हलचल,
तपते हुए मौसम में भी कुछ खास बातें हैं।
हमें मिलकर इसके असर को सहजता से सहना होगा,
तभी इस ऋतु का असली सार हम समझ पाएंगे।

अर्थ:
ग्रिष्म ऋतु आ चुकी है, और यह जल और जीवन में हलचल लाती है। इस मौसम को हम सरलता से स्वीकार करके ही समझ सकते हैं।

🖼� प्रतीक और इमोजी
🌞🔥🌵💧🌾

प्रतीकात्मक अर्थ:

🌞 = सूरज की गर्मी

🔥 = तपन और गर्मी

🌵 = सूखा और रेगिस्तान

💧 = पानी की आवश्यकता

🌾 = सूखा हुआ खेत

निष्कर्ष:
यह कविता सौर ग्रिष्म ऋतु के प्रभावों को दर्शाती है, जिसमें तापमान में वृद्धि, सूखा, और गर्मी के कारण जीवन में बदलाव महसूस होता है। इसके बावजूद, इस ऋतु का प्रभाव जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण समय होता है, जिसे हम सहन और समझ सकते हैं।

--अतुल परब
--दिनांक-19.04.2025-शनिवार.
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