श्री विष्णु का सर्वव्यापी अस्तित्व-1

Started by Atul Kaviraje, April 23, 2025, 09:49:26 PM

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Atul Kaviraje

श्री विष्णु का सर्वव्यापी अस्तित्व-
(भगवान विष्णु का सर्वव्यापी अस्तित्व)
(The Omnipresent Existence of Lord Vishnu) 

श्री विष्णु का सर्वव्यापी अस्तित्व-
(The Omnipresent Existence of Lord Vishnu)

भगवान श्री विष्णु भारतीय धर्म और संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। वे त्रिदेवों में से एक हैं और ब्रह्मा और शिव के साथ मिलकर सृष्टि की रचना, पालन और संहार करते हैं। भगवान विष्णु का अस्तित्व न केवल सम्पूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त है, बल्कि उनके अस्तित्व के बारे में यह भी माना जाता है कि वे हर जीव में समाहित हैं। उनके बारे में यह विश्वास है कि वे सर्वव्यापी, सर्वशक्तिमान और साकार तथा निराकार रूपों में साक्षात विद्यमान हैं।

विष्णु के सर्वव्यापी अस्तित्व को समझने के लिए, हमें उनके वेद, पुराण और उपनिषदों में वर्णित अद्भुत गुणों का अध्ययन करना होता है। भगवान विष्णु के दर्शन से मनुष्य को आंतरिक शांति, शुद्धता और आस्था प्राप्त होती है। उनकी उपासना से जीवन की समस्याओं का समाधान होता है, और भक्ति मार्ग में चलने का बल मिलता है। विष्णु के हर रूप में भक्ति और आस्था का महत्व है, क्योंकि उनका प्रत्येक रूप व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं की रक्षा करता है।

विष्णु का अस्तित्व
भगवान विष्णु का अस्तित्व न केवल इस संसार में बल्कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड में सर्वत्र व्याप्त है। वे साकार रूप में अपने अवतारों जैसे राम, कृष्ण, आदि के रूप में प्रकट होते हैं, जबकि निराकार रूप में वे परम ब्रह्म के रूप में हर जगह मौजूद रहते हैं। वे ईश्वर का वह रूप हैं, जो सभी सृष्टि के पालनहार और संहारक के रूप में कार्य करते हैं। विष्णु का यह सर्वव्यापी अस्तित्व हमें यह सिखाता है कि सच्चे भक्त के लिए भगवान हर रूप में समाहित हैं, चाहे वह देवता, गुरु, या अन्य किसी रूप में हो।

हिंदी लेख: श्री विष्णु का सर्वव्यापी अस्तित्व
भगवान श्री विष्णु का सर्वव्यापी अस्तित्व उनके अद्वितीय गुणों और रूपों से प्रकट होता है। वे निराकार ब्रह्म के रूप में संपूर्ण सृष्टि में व्याप्त हैं और हर जीव के भीतर उनकी उपस्थिति होती है। भगवान विष्णु का अस्तित्व साकार रूप में भी प्रदर्शित होता है, जैसे कि उनके अवतार राम और कृष्ण में। उनके इन अवतारों के माध्यम से वे संसार को धर्म, सत्य और न्याय का संदेश देते हैं।

उदाहरण:
भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा था, "मयि सर्वमिदं प्रोतं सूत्रे मणिगणा इव।" अर्थात, "मैं सम्पूर्ण सृष्टि में व्यापित हूं, जैसे मनियों से सुसज्जित एक धागा है।" यहाँ भगवान कृष्ण ने यह स्पष्ट किया कि वे हर जगह मौजूद हैं, हर जीव के हृदय में समाहित हैं, और संसार की हर कृति में उनका अस्तित्व है। यही भगवान विष्णु का सर्वव्यापी रूप है।

विष्णु के अवतारों का महत्व:
विष्णु ने अपने दस प्रमुख अवतारों में से प्रत्येक अवतार में सृष्टि की रक्षा की और धर्म की स्थापना की। इन अवतारों में मछली, कच्छप, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि शामिल हैं। प्रत्येक अवतार में भगवान ने दैवीय कार्य किए और जीवन के विभिन्न पहलुओं को सुधारने के लिए अपने भक्तों का मार्गदर्शन किया। इन अवतारों के माध्यम से विष्णु का सर्वव्यापी अस्तित्व और उनकी दयालुता का स्पष्ट रूप से प्रदर्शन हुआ है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-23.04.2025-बुधवार.
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