श्री कृष्ण और द्रौपदी का सम्मान-

Started by Atul Kaviraje, April 23, 2025, 09:52:08 PM

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Atul Kaviraje

श्री कृष्ण और द्रौपदी का सम्मान-
(Krishna and the Honour of Draupadi)

कृष्ण और द्रौपदी का संबंध महाभारत के सबसे गहरे और महत्वपूर्ण संबंधों में से एक था। द्रौपदी ने जब अपमानित होने की स्थिति में श्री कृष्ण से सहायता की प्रार्थना की, तो श्री कृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से उसकी इज्जत बचाई। यह घटना न केवल द्रौपदी की आस्था और भक्ति का प्रतीक है, बल्कि भगवान श्री कृष्ण के भक्तों के प्रति असीम प्रेम और समर्थन का भी एक अद्भुत उदाहरण है। इस कविता में हम इस महान घटना को श्रद्धा और भक्ति के साथ व्यक्त करेंगे।

हिंदी कविता -

कृष्ण और द्रौपदी का सम्मान-

चरण 1
जब द्रौपदी को अपमानित किया गया था, सबने आँखें फेर लीं,
कृष्ण ने तभी अपनी शक्ति से उसका सम्मान बचाया, सच्चे थे वे।
नारी का सम्मान किया, भगवान ने उसे बचाया,
सच्ची भक्ति और विश्वास से कृष्ण ने उसे शरण में लिया।

📝 अर्थ: जब द्रौपदी को अपमानित किया गया, तब भगवान श्री कृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से उसे सम्मान प्रदान किया और उसकी रक्षा की। कृष्ण ने दिखाया कि नारी का सम्मान परम महत्वपूर्ण है।

चरण 2
अस्मिता पर जब संकट आया, कृष्ण ने नहीं छोड़ा साथ,
भीषण संकट में, द्रौपदी ने पाया था उनसे साथ।
धर्मराज के दरबार में, कृष्ण ने किया उसकी रक्षा,
धन्य है वो भक्त, जिसने कृष्ण से पाया विश्वास।

📝 अर्थ: द्रौपदी को जब धर्मराज के दरबार में संकट आया, तब भगवान कृष्ण ने अपनी पूरी शक्ति से उसकी रक्षा की। द्रौपदी की भक्ति ने कृष्ण के प्रति अडिग विश्वास को दिखाया।

चरण 3
कृष्ण के सच्चे भक्त ने, कभी नहीं सोचा खुद के बारे में,
अपने भक्त के सम्मान के लिए, कृष्ण ने किया अद्भुत काम।
रुपये की बुनियाद नहीं, कृष्ण ने किया उसका साथ,
द्रौपदी की भक्ति से, कृष्ण ने किया उसका सम्मान।

📝 अर्थ: कृष्ण ने द्रौपदी की भक्ति के कारण उसे कोई भौतिक लाभ नहीं, बल्कि उसके सम्मान को बचाया। कृष्ण का मुख्य उद्देश्य अपने भक्तों का सम्मान करना था।

चरण 4
सच्चे भक्तों की कभी हार नहीं होती, कृष्ण रहते हैं साथ,
धर्म और सत्य की राह पर चलते हुए, वे सुरक्षित रहते हैं साथ।
कृष्ण ने द्रौपदी को कभी न छोड़ा, जब संकट आया,
उनकी भक्ति ने उसे सम्मान, साहस और सुरक्षा दिलाया।

📝 अर्थ: भगवान श्री कृष्ण ने अपने सच्चे भक्तों को कभी न छोड़ा। द्रौपदी के संकट में उनके साथ कृष्ण थे, और उनकी भक्ति ने उसे हर कठिनाई से बचाया।

विवेचनात्मक विश्लेषण:
यह कविता भगवान श्री कृष्ण और द्रौपदी के बीच के रिश्ते को भक्तिभाव और विश्वास के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करती है। द्रौपदी ने कृष्ण के प्रति अपनी अडिग श्रद्धा दिखाई, और कृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से उसकी रक्षा की। यह घटना दर्शाती है कि कृष्ण अपने भक्तों के प्रति हमेशा उपस्थित रहते हैं और उनकी रक्षा करते हैं। द्रौपदी का सम्मान न केवल उसके लिए, बल्कि सभी स्त्रियों के सम्मान का प्रतीक बन गया।

चित्र, प्रतीक और इमोजी:

🙏✨
भगवान श्री कृष्ण और द्रौपदी का संबंध - यह चित्र कृष्ण और द्रौपदी के अद्भुत संबंध को दर्शाता है।

💫👑
धर्म और सत्य की रक्षा - कृष्ण ने धर्म और सत्य की रक्षा के लिए द्रौपदी का सम्मान किया।

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भक्ति और विश्वास - कृष्ण के प्रति द्रौपदी की भक्ति और विश्वास का प्रतीक।

निष्कर्ष:
श्री कृष्ण और द्रौपदी के संबंध हमें यह सिखाते हैं कि सच्ची भक्ति और विश्वास कभी व्यर्थ नहीं जाते। भगवान अपने भक्तों का सम्मान और रक्षा करते हैं, चाहे वह कैसी भी परिस्थिति हो। द्रौपदी की कहानी हमें यह भी सिखाती है कि जब हम सच्चे दिल से भगवान की शरण में जाते हैं, तो वह हमें कभी अकेला नहीं छोड़ते।

--अतुल परब
--दिनांक-23.04.2025-बुधवार.
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