🙏 श्री गुरुदेव दत्त की मूर्ति और उसका प्रतीक-

Started by Atul Kaviraje, April 24, 2025, 07:41:03 PM

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Atul Kaviraje

🙏 श्री गुरुदेव दत्त की मूर्ति और उसका प्रतीक-
(Shri Guru Dev Datta ka Poojniya Swaroop aur Uska Pratikvaad)

🛕✨ भक्तिभावपूर्ण दीर्घ हिंदी कविता – सरल तुकबंदी और अर्थ सहित-

🌸 परिचय (Introduction):
श्री गुरुदेव दत्त, जिन्हें भगवान दत्तात्रेय के रूप में भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म में त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश – के अवतार माने जाते हैं। उनका स्वरूप ज्ञान, त्याग और सेवा का प्रतीक है। उनकी मूर्ति न केवल दिव्यता का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे अंदर छिपे आध्यात्मिक गुणों की भी अभिव्यक्ति है।

🌺 भक्ति-कविता – ७ कड़ियाँ (प्रत्येक पद का अर्थ सहित)-

✨ चरण 1
त्रिदेवों का एक रूप निराला,
ज्ञान, भक्ति और सेवा का प्याला।
दत्तात्रेय ही हैं गुरु महान,
उनकी कृपा है सुख की जान।

🔹 अर्थ:
भगवान दत्तात्रेय ब्रह्मा, विष्णु और महेश का एक रूप हैं। वे ज्ञान, भक्ति और सेवा के प्रतीक हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन सुखमय होता है।

✨ चरण 2
तीन सिर, छः हाथों का रूप,
हर दिशा में फैला है उनका स्वरूप।
गाय, कुत्ता, और कमंडल पास,
दिखाते हैं संयम, सेवा और आश।

🔹 अर्थ:
श्री दत्तात्रेय के तीन सिर और छः हाथ उनके सार्वभौमिक ज्ञान का प्रतीक हैं। उनके साथ दिखने वाले प्राणी और वस्तुएँ सेवा, त्याग और आत्मनियंत्रण दर्शाते हैं।

✨ चरण 3
गाय है माता, पोषण का चिन्ह,
कुत्ता है सेवक, सच्ची भक्ति का गिन।
कमंडल में अमृत का बोध,
ज्ञान पिए बिना मिटे ना मोह।

🔹 अर्थ:
गाय पोषण और पवित्रता का प्रतीक है, कुत्ता सेवा और वफादारी का, और कमंडल ज्ञान का। ये तीनों ही जीवन की आध्यात्मिक यात्रा के सहायक हैं।

✨ चरण 4
वन में विचरण, साधना में लीन,
गुरु दत्त ने छोड़ी राजसी कीन।
शिष्य को दिखाया आत्मज्ञान का द्वार,
बिना भेद के किया सब पर उपकार।

🔹 अर्थ:
गुरु दत्तात्रेय ने सांसारिक सुखों को त्याग कर जंगलों में साधना की। उन्होंने सबके लिए एक समान ज्ञान का मार्ग दिखाया।

✨ चरण 5
सिद्ध योगी, तप में महान,
चौबीस गुरुओं से पाया ज्ञान।
हर जीव, वस्तु से सीखा पाठ,
दिया सबको सच्चा आध्यात्मिक ठाठ।

🔹 अर्थ:
दत्तात्रेय ने चौबीस अलग-अलग प्रकृति के प्राणियों और वस्तुओं से शिक्षा लेकर सिद्धि प्राप्त की। वे सच्चे योगी थे जिन्होंने हर जगह से ज्ञान अर्जित किया।

✨ चरण 6
मूर्ति में समाहित ब्रह्म का स्वर,
देखते ही शांत हो हर डर।
जो करे ध्यान, भक्ति और जाप,
उसके जीवन में ना कोई संताप।

🔹 अर्थ:
गुरु दत्त की मूर्ति में ईश्वर का साक्षात स्वरूप बसता है। जो भी भक्त श्रद्धा से उनका स्मरण करता है, उसे जीवन में मानसिक शांति मिलती है।

✨ चरण 7
दत्तगुरु की कृपा अपार,
करो सुमिरन बारंबार।
जीवन बने उज्जवल पथ,
मिले सच्चा मोक्ष का रथ।

🔹 अर्थ:
गुरु दत्त की कृपा से जीवन का मार्ग प्रकाशमय होता है। उनका सुमिरन मोक्ष की ओर ले जाता है।

🖼� प्रतीक और चित्र (Images & Symbols):

🙏 त्रिदेव स्वरूप श्री दत्तात्रेय

🐄 गाय (माता) – पोषण

🐶 कुत्ता – सेवा

🪣 कमंडल – ज्ञान

🌲 वन, तपस्वी मुद्रा

📿 माला, मुद्रा में ध्यानस्थ गुरुदेव

🕉� संक्षिप्त निष्कर्ष (Short Meaning):
श्री दत्तात्रेय की मूर्ति न केवल एक पूजनीय प्रतीक है, बल्कि आत्मज्ञान और आध्यात्मिक सेवा की प्रेरणा भी है। उनके त्रिमूर्ति स्वरूप में जीवन की तीनों प्रमुख शक्तियों का संपूर्ण समावेश है। श्रद्धा से उनका ध्यान करने पर जीवन में शांति, विवेक और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

--अतुल परब
--दिनांक-24.04.2025-गुरुवार.
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