ज्योतिर्लिंग तीर्थयात्रा सफर - कवठेमसूर, तालुका-कराड़- कविता -

Started by Atul Kaviraje, April 27, 2025, 10:27:52 PM

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Atul Kaviraje

ज्योतिर्लिंग तीर्थयात्रा सफर - कवठेमसूर, तालुका-कराड़-
कविता - 7 चरणों में-

चरण 1:
कवठेमसूर धाम की शरण में,
गुज़रें हम साथ संजीवनी मन में।
भोलेनाथ का दर्शन हो सके,
हर पथ का कष्ट मिटा सको हम।

अर्थ:
इस चरण में हम भगवान शिव के मंदिर कवठेमसूर की ओर बढ़ते हैं, जहाँ हमारी श्रद्धा और विश्वास हमारे मन को शांति और संजीवनी देने का काम करते हैं। यहां भगवान शिव का दर्शन हमारे जीवन के दुखों को दूर करता है।

चरण 2:
शिव की भक्ति में बसी अमृत बात,
नदियों का मिलन, पर्वत की छांव साथ।
आध्यात्मिक शांति का अनुभव करें,
कवठेमसूर में हर दिशा से बंधे रिश्ते।

अर्थ:
यह चरण दर्शाता है कि शिव की भक्ति अमृत समान है। यहां नदियों और पर्वतों के बीच आध्यात्मिक शांति का अनुभव होता है, जहां हम अपने संबंधों को मजबूत करते हैं।

चरण 3:
नर्मदा जल और वट वृक्षों की छांव,
मंगलमय मन में उमंगों का गान।
पूजा अर्चना करते हम निरंतर,
कवठेमसूर के पवित्र स्थान पर।

अर्थ:
नर्मदा नदी के जल और वट वृक्षों की छांव में हम पूजा अर्चना करते हैं, जिससे हमारे मन में खुशी और उल्लास का अनुभव होता है। यह पवित्र स्थल है, जहाँ हम निरंतर भक्ति भाव से पूजा करते हैं।

चरण 4:
हमें शिव की शक्ति का अहसास हुआ,
हर दर्द और दुख दूर हो चुका।
ध्यान और तपस्या में लीन हम,
प्रभु के चरणों में समर्पित हम।

अर्थ:
इस चरण में हम महसूस करते हैं कि शिव की शक्ति हमारे जीवन में अनंत है। हम हर कष्ट से मुक्त होकर प्रभु के चरणों में पूरी तरह से समर्पित हो जाते हैं।

चरण 5:
धरती पर इस पवित्र भूमि की महिमा,
आध्यात्मिक शांति का आगमन है।
कवठेमसूर, शिव की अद्वितीय स्थली,
जहां परमेश्वर की कृपा बनती स्थायी।

अर्थ:
यह स्थल, कवठेमसूर, एक अद्वितीय और पवित्र भूमि है, जहाँ शिव की महिमा और आध्यात्मिक शांति का वास है। यहां पर परमेश्वर की कृपा स्थायी रूप से रहती है।

चरण 6:
शिव के प्रति श्रद्धा में गहराई,
भक्त की प्रार्थना हो विशेष संजीवनी।
कवठेमसूर की हर पगधारा में,
शिव की महिमा का आभास है यही।

अर्थ:
इस चरण में हम अपने विश्वास और श्रद्धा की गहराई महसूस करते हैं। हर कदम पर भगवान शिव की महिमा और कृपा का आभास हमें मिलता है, जो हमारे जीवन को संजीवनी प्रदान करती है।

चरण 7:
कवठेमसूर की यात्रा को याद करें,
शिव के दरबार में मन को शांति मिले।
भक्ति के मार्ग पर हमें जो सिखाया,
वो सिद्धि और शांति का मार्ग है पाया।

अर्थ:
यह अंतिम चरण हमें यह सिखाता है कि कवठेमसूर की यात्रा को हम हमेशा याद रखें। शिव के दरबार में जाने से हमें शांति और सिद्धि मिलती है, और भक्ति का मार्ग हमें सही दिशा दिखाता है।

कविता का सारांश:
यह कविता भक्तिभाव से भरी हुई है, जो भगवान शिव के कवठेमसूर स्थित ज्योतिर्लिंग के दर्शन और वहां की आध्यात्मिक शांति का वर्णन करती है। कविता के प्रत्येक चरण में शिव की महिमा और भक्ति के महत्व को दर्शाया गया है, और यह हमे यह सिखाता है कि भक्ति के मार्ग पर चलने से जीवन में शांति और संतुलन प्राप्त होता है।

चित्र और प्रतीक
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--अतुल परब
--दिनांक-25.04.2025-शुक्रवार.
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