पारिस्थिति तंत्र और जैव विविधता -

Started by Atul Kaviraje, April 27, 2025, 10:31:12 PM

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Atul Kaviraje

पारिस्थिति तंत्र और जैव विविधता - 7 चरणों में हिंदी कविता-

चरण 1:
पारिस्थिति तंत्र है जीवन का आधार,
प्रकृति के संग है इसका गहरा प्यार।
हर जीव की भूमिका है यहाँ खास,
इनके बिना धरती हो जाए निराधार।

अर्थ:
इस पहले चरण में हम यह समझते हैं कि पारिस्थिति तंत्र (इकोसिस्टम) और जैव विविधता (बायोडायवर्सिटी) जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। हर जीव का इस तंत्र में महत्वपूर्ण स्थान है, और इनके बिना धरती का अस्तित्व असंभव हो जाएगा।

चरण 2:
प्राकृतिक संसाधन, पेड़ और जल,
धरती पर है इनका ही विशेष जलाल।
अगर इनकी रक्षा नहीं की, तो क्या होगा,
हमारा भविष्य भी अंधकार में खो जाएगा।

अर्थ:
यह चरण हमें प्राकृतिक संसाधनों जैसे पेड़, जल और अन्य जीवों के महत्व को समझाता है। अगर हम इनकी रक्षा नहीं करेंगे तो हमारा भविष्य अंधकारमय हो सकता है।

चरण 3:
जैव विविधता से मिलता है संतुलन,
प्रकृति का हर रूप है सुंदर और मनमोहक।
एक छोटी सी चिड़ीया या एक बड़ी मछली,
इनकी उपस्थिति से है जीवन की सम्पूर्ण शक्ति।

अर्थ:
यह चरण जैव विविधता के महत्व को दर्शाता है। जैव विविधता हमें संतुलन प्रदान करती है और जीवन की शक्ति को बनाए रखती है। यह चिड़ीया से लेकर मछलियों तक के सभी जीवों की उपस्थिति पर निर्भर करती है।

चरण 4:
मनुष्य ने किया विकास, खो दिया है रास्ता,
प्राकृतिक संसाधनों से भरा है हर दिशा।
लेकिन अगर अब हम जाग जाएं,
तो पारिस्थिति तंत्र को बचा पाएंगे।

अर्थ:
इस चरण में हम यह देखते हैं कि मनुष्य ने विकास के नाम पर प्रकृति को नुकसान पहुँचाया है। लेकिन अगर हम अब जागरूक हो जाएं और बदलाव लाएं, तो हम पारिस्थिति तंत्र और जैव विविधता को बचा सकते हैं।

चरण 5:
प्रकृति का संरक्षण, हम सबका कर्तव्य,
प्रत्येक जीव का जीवन हो, इस पर ध्यान दे।
सभी को मिलेगा इसका लाभ,
धरती रहेगी स्वस्थ और खुशहाल।

अर्थ:
यह चरण हमें यह याद दिलाता है कि प्रकृति का संरक्षण हमारा कर्तव्य है। हर जीव के जीवन का सम्मान करते हुए, हम एक स्वस्थ और खुशहाल धरती बना सकते हैं।

चरण 6:
धरती का संतुलन, हो बचाए रखा,
समय रहते सुधार लाएं, जीवन को बचाएं।
हमें इनकी रक्षा का करना है संकल्प,
तभी हम पाएंगे एक सुंदर और स्वस्थ भविष्य।

अर्थ:
इस चरण में हम यह समझते हैं कि धरती के संतुलन को बचाए रखने के लिए हमें समय रहते सुधार लाना होगा। तभी हम एक स्वस्थ और सुंदर भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

चरण 7:
पारिस्थिति तंत्र और जैव विविधता,
सुरक्षित करें इनकी रचना।
संरक्षण का हो हर कदम,
हम सब मिलकर इसे बचाएं, यही है हमारा संकल्प।

अर्थ:
यह अंतिम चरण हमें प्रेरित करता है कि हम पारिस्थिति तंत्र और जैव विविधता की रचनाओं को सुरक्षित करें। इसके संरक्षण के लिए हर कदम उठाना जरूरी है ताकि हम सब मिलकर इसे बचा सकें।

कविता का सारांश:
यह कविता पारिस्थिति तंत्र और जैव विविधता के महत्व को समझाती है। यह हमें याद दिलाती है कि प्रकृति का हर हिस्सा, चाहे वह पेड़-पौधे हों, जानवर हों या जल, सभी जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। हमें इनकी रक्षा करने के लिए संकल्प लेना होगा और पृथ्वी के संतुलन को बनाए रखने के लिए जागरूकता फैलानी होगी।

चित्र और प्रतीक
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--अतुल परब
--दिनांक-25.04.2025-शुक्रवार.
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