हिंदी कविता: मातृ-पिता बधिर दिवस-

Started by Atul Kaviraje, April 29, 2025, 10:38:55 PM

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Atul Kaviraje

हिंदी कविता: मातृ-पिता बधिर दिवस-

चरण 1:
मातृ-पिता का दिन है खास,
बधिरता पर दें ध्यान आज।
विकलांगों की हो आवाज़,
सभी को मिलें खुशियों की राह।

अर्थ:
मातृ-पिता बधिर दिवस पर हमें बधिर लोगों के अधिकार और उनकी मदद के बारे में सोचना चाहिए। यह दिन हमें विकलांगता के प्रति जागरूक करता है।

चरण 2:
दुनिया में हर कोई है समान,
कभी न करें किसी का अपमान।
बधिरों को भी मिले अधिकार,
इन्हें भी मिलें जीवन के स्वाद।

अर्थ:
यह कविता हमें यह संदेश देती है कि हर व्यक्ति को समान अधिकार मिलने चाहिए, चाहे वह बधिर हो या अन्य कोई विकलांगता हो। हमें किसी का अपमान नहीं करना चाहिए।

चरण 3:
समाज को चाहिए सहानुभूति,
बधिरों के लिए हो समर्पण, सच्चाई।
न कोई दूर करे या खुद को बचाए,
हम सबका कर्तव्य है, यह बात समझाए।

अर्थ:
समाज में सहानुभूति और समर्थन होना चाहिए। हमें बधिरों की सहायता करने के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए और उन्हें समाज में समान रूप से शामिल करना चाहिए।

चरण 4:
सभी को समान अधिकार मिलें,
बधिरों का जीवन खुशियों से भरे।
हर कदम पर मिले साथ उनका,
मातृ-पिता का बधिर दिवस मनाए सब।

अर्थ:
हमारा उद्देश्य यह है कि बधिर लोगों को समान अधिकार मिलें और उनका जीवन खुशहाल हो। इस दिन को हम सभी मिलकर मनाते हैं और इस संदेश को फैलाते हैं कि हर व्यक्ति को सम्मान और सहायता मिलनी चाहिए।

चित्र, प्रतीक और इमोजी:
🦻 बधिरता
👂 संचार
🧑�🤝�🧑 समान अधिकार
🌍 समाज और सहानुभूति
💖 सहानुभूति और प्यार

निष्कर्ष:
मातृ-पिता बधिर दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हमें बधिर व्यक्तियों के साथ समान व्यवहार करना चाहिए और उनके लिए एक सहायक और समावेशी समाज बनाना चाहिए। इस दिन का उद्देश्य समाज में समरसता और समानता को बढ़ावा देना है।

--अतुल परब
--दिनांक-27.04.2025-रविवार.
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