🙏🏻 विष्णु और परमात्मा: एकता का अध्ययन-

Started by Atul Kaviraje, April 30, 2025, 08:46:33 PM

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Atul Kaviraje

🙏🏻 विष्णु और परमात्मा: एकता का अध्ययन-
(Vishnu and the Supreme Self: Study of the Oneness)
📅 विशेष लेख | भक्तिभावपूर्ण दीर्घ हिंदी कविता
🕉�🌌🪔🌿🌺

🌟 परिचय:
भगवान विष्णु को हिन्दू धर्म में पालनकर्ता कहा गया है। वे सृष्टि की रक्षा, संतुलन और कल्याण का कार्य करते हैं। लेकिन जब हम उन्हें "परमात्मा" के रूप में देखते हैं, तो हम समझते हैं कि वे केवल एक देवता नहीं, बल्कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड की चेतना हैं। यह कविता इसी अद्वैत (एकत्व) के अध्ययन को सरल तुकबंदी में प्रस्तुत करती है।

✨ भक्तिपूर्ण दीर्घ कविता – ७ चरण (चार-चार पंक्तियाँ)

📜 हर चरण के नीचे उसका सरल हिंदी अर्थ दिया गया है।

🌿 चरण १:
विष्णु हैं पालनहार हमारे, धरा का करते ध्यान,
हर युग में आते रूप बदलकर, मिटाते संकट-संताप-प्राण।
शंख, चक्र, गदा लिए सज्जित, करते अधर्म विनाश,
उनके चरणों में मिलती शांति, होता आत्मा का प्रकाश।

🔸 अर्थ:
भगवान विष्णु हर युग में अवतार लेकर अधर्म का नाश करते हैं और धर्म की स्थापना करते हैं।

🌊 चरण २:
कभी राम तो कभी कृष्ण बन, लीला रचते विशेष,
साकार रूप में आए वो, लेकर जनकल्याण का संदेश।
परमात्मा की जो शक्ति है, वह विष्णु में प्रकट,
एकत्व की यह भावना, कर दे मन को नित नवल।

🔸 अर्थ:
भगवान विष्णु के अवतार राम और कृष्ण, परमात्मा के साकार रूप हैं जो समाज को दिशा देने आते हैं।

🌌 चरण ३:
परमात्मा है निर्गुण रूप, ना आकार, ना बंधन,
विष्णु बन वो आए जग में, करें भक्तों का रक्षण।
जड़ और चेतन सबमें सम, वह अंतर्यामी नाथ,
विष्णु और ब्रह्म एक हैं, यही सच्ची बात।

🔸 अर्थ:
परमात्मा निराकार होते हुए भी विष्णु रूप में साकार हो जाते हैं, जो सृष्टि के भीतर और बाहर दोनों में व्याप्त हैं।

🕊� चरण ४:
जग में जो भी सत्य है, वह विष्णु में ही समाया,
हर आत्मा का मूल स्वरूप, उसी से ही आया।
ना द्वैत रहे, ना छल-कपट, जब अंतः में हो प्रकाश,
तब देखे विष्णु का वैभव, हर कण में हो विश्वास।

🔸 अर्थ:
जब हम आत्मज्ञान प्राप्त करते हैं, तो हमें हर जगह विष्णु (परमात्मा) का अस्तित्व दिखने लगता है।

🔥 चरण ५:
अंधकार जब मन में छाए, तब ध्यान विष्णु का लाओ,
माया के भ्रम को तोड़कर, आत्मा से आत्मा मिलाओ।
नर और नारायण एक हैं, ये जब भाव जगे,
तब जीवन बने तपस्या, प्रभु से नाता सधे।

🔸 अर्थ:
विष्णु का ध्यान करने से हमारे भीतर का अज्ञान मिटता है और हम आत्मा की सच्ची पहचान पाते हैं।

🪔 चरण ६:
गीता में जो ज्ञान मिला, वो विष्णु की वाणी,
कर्तव्य, भक्ति, योग सिखाया, जिससे मिटे पीड़ा प्राचीन।
परमात्मा ने जो समझाया, वो है जीवन का सार,
विष्णु और ब्रह्म की एकता, करे हमें तैयार।

🔸 अर्थ:
श्रीकृष्ण (विष्णु) द्वारा गीता में दिए गए उपदेश आत्मा और परमात्मा की एकता को उजागर करते हैं।

🌺 चरण ७:
मन मंदिर में जो बसे, वो विष्णु का ही नाम,
हर कण-कण में व्याप्त प्रभु, जीवन का वो है धाम।
विष्णु परमात्मा का रूप हैं, यही सत्य स्वीकार,
जो इसे समझ ले सच्चे मन से, पाए सच्चा संसार।

🔸 अर्थ:
जब हम विष्णु को हर जगह अनुभव करते हैं, तब हम परमात्मा की एकता और ब्रह्म का अनुभव करते हैं।

📖 निष्कर्ष (Conclusion):
विष्णु और परमात्मा का संबंध एकत्व पर आधारित है। भगवान विष्णु का हर अवतार, हर लीला, हर कार्य हमें उस सर्वोच्च सत्ता की ओर ले जाता है जो निराकार, असीम और पूर्ण है। उन्हें समझना यानी आत्मा को परमात्मा से जोड़ना।

🖼� प्रतीक, चित्र और इमोजी:
🕉� विष्णु 🙏🏻 | 🌌 ब्रह्म 🪔 | 📜 गीता 🚩 | 🕊� शांति | 🔱 चक्र | 🐚 शंख | 🌺 प्रेम

--अतुल परब
--दिनांक-30.04.2025-बुधवार.
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