अक्षय तृतीया-

Started by Atul Kaviraje, May 01, 2025, 07:15:05 PM

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Atul Kaviraje

अक्षय तृतीया-

अक्षय तृतीया: महत्व और विशेषताएँ

अक्षय तृतीया, जिसे "आखातीज" भी कहा जाता है, हर साल वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन को नए कार्यों की शुरुआत करने, विवाह, धन की खरीदारी, और अन्य शुभ कार्यों के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है।

महत्व
धन और समृद्धि: अक्षय तृतीया का अर्थ है 'अक्षय' या 'नष्ट न होने वाला', इसलिए इस दिन किए गए कार्यों का फल जीवनभर बना रहता है।
धार्मिक अनुष्ठान: इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इसे विशेषकर सोने, चांदी, और अन्य धातुओं की खरीदारी के लिए शुभ माना जाता है।
पौराणिक कथा: मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने पांडवों को अक्षय पात्र दिया था, जिससे उन्हें कभी भी भोजन की कमी नहीं हुई।

उदाहरण
इस दिन लोग नए घर का निर्माण शुरू करते हैं।
विवाह के लिए भी यह दिन बहुत शुभ माना जाता है।
अनेक लोग इस दिन सोने, चांदी या अन्य धातुओं की खरीदारी करते हैं।

अक्षय तृतीया पर कविता

सुख-समृद्धि का दिन आया, अक्षय तृतीया है यहाँ,
धन की वर्षा हो सदा, सबके घर में खुशियाँ छा।

भगवान विष्णु का आशीर्वाद, लक्ष्मी माता की कृपा,
नए कार्य का आरंभ करें, हर दिल में हो उमंग भरा।

सोने की चमक से भरी, हर एक वस्तु करे बयां,
आज का दिन है विशेष, सुख-शांति का है ये गान।

सभी मिलकर मनाएं हम, प्रेम और भाईचारा साथ,
अक्षय तृतीया का पर्व, लाए खुशियों का प्रगाढ़ हाथ।

विवेचना
अक्षय तृतीया का पर्व केवल एक धार्मिक अवसर नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज में एकता, प्रेम और समर्पण का संदेश भी देता है। इस दिन लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशियाँ बाँटते हैं और नई शुरुआत करने का संकल्प लेते हैं। यह दिन हमें याद दिलाता है कि जीवन में सकारात्मकता और उत्साह बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है।

इस दिन का महत्व न केवल व्यक्तिगत स्तर पर, बल्कि सामूहिक रूप से भी देखा जा सकता है। लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करते हैं, जिससे समाज में सहयोग और समझदारी बढ़ती है।

अक्षय तृतीया का पर्व हमें यह सिखाता है कि हम जो भी कार्य करें, उसमें समर्पण और ईमानदारी से काम लें, ताकि हमारे प्रयास हमेशा सफल हों। इस प्रकार, अक्षय तृतीया का महत्व न केवल धार्मिक है, बल्कि यह सामाजिक और व्यक्तिगत विकास का भी एक माध्यम है।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-30.04.2025-बुधवार.
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