राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज जयंती-

Started by Atul Kaviraje, May 01, 2025, 07:15:39 PM

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Atul Kaviraje

राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज जयंती-

राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज: जीवकर्म और महत्व
राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज भारतीय संत और समाज सुधारक थे, जिनका जन्म 30 अप्रैल 1909 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन में समाज के उत्थान, शिक्षा, और संस्कृति के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। तुकड़ोजी महाराज ने विशेष रूप से ग्राम स्तर पर शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया और लोगों को जागरूक किया कि वे अपने अधिकारों के प्रति सजग रहें।

जीवकर्म
तुकड़ोजी महाराज ने अपने जीवन में कई कार्य किए, जिनमें प्रमुख हैं:

शिक्षा का प्रचार: उन्होंने शिक्षा के महत्व को समझाया और गांवों में स्कूल खोलने के लिए प्रेरित किया। उनका मानना था कि शिक्षा ही समाज में बदलाव लाने का सबसे प्रभावी साधन है।

संस्कारों का संरक्षण: उन्होंने भारतीय संस्कृति और संस्कारों को संरक्षित करने का कार्य किया। उनके विचारों में भारतीय परंपराओं का सम्मान और उनका पालन आवश्यक था।

सामाजिक समरसता: उन्होंने जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई और सभी वर्गों के लोगों को एकजुट करने का प्रयास किया।

धार्मिक एकता: तुकड़ोजी महाराज ने सभी धर्मों के प्रति सम्मान दिखाया और धार्मिक एकता की बात की।

महत्व
राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज की जयंती हर साल 30 अप्रैल को मनाई जाती है, जिसे उनके अनुयायी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं। यह दिन हमें उनकी शिक्षाओं को याद दिलाता है और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करता है। इस दिन लोग विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करते हैं, जैसे कि भजन-कीर्तन, जागरण, और समाज सेवा के कार्य।

उदाहरण
इस दिन विद्यालयों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
समाज सेवा के कार्यों में भागीदारी बढ़ाई जाती है।
तुकड़ोजी महाराज के विचारों पर चर्चा की जाती है।

राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज पर कविता

संत तुकड़ोजी, ज्ञान का सागर,
शिक्षा की राह, दिखाते हैं जो नागर।
समाज के उत्थान का लिया संकल्प,
हर दिल में बसी है उनकी कल्प।

जाति-भेद मिटाकर सबको जोड़े,
सद्भावना का संदेश बार-बार वो बोले।
धर्म का संगम, प्रेम की धारा,
तुकड़ोजी महाराज, सबके हैं सहारा।

संस्कारों की महक, संस्कृति का गहना,
उनकी शिक्षाएं, बनें जीवन का रेखना।
30 अप्रैल को मनाएं हम यश,
राष्ट्रसंत के चरणों में हो सदा प्रशंसा।

संकल्प लें हम, उनके मार्ग पर चलें,
बुराईयों से लड़कर, सच्चाई के पलें।
तुकड़ोजी महाराज, हमारे हैं प्रेरणा,
समाज की सेवा, बने हमारा कर्मणा।

विवेचना
राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज का जीवन हमें यह सिखाता है कि शिक्षा और समाज सेवा के माध्यम से हम अपने समाज में बदलाव ला सकते हैं। उनका दृष्टिकोण केवल धार्मिक नहीं था, बल्कि वह एक सामाजिक सुधारक के रूप में भी जाने जाते थे। उन्होंने अपने विचारों के माध्यम से समाज को जागरूक किया और उन्हें एक सकारात्मक दिशा दी।

उनकी जयंती मनाने का अर्थ है उनके विचारों को अपनाना और समाज में उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलना। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हम सभी को मिलकर एक बेहतर समाज की स्थापना करनी चाहिए, जहाँ सभी का समान अधिकार हो और भेदभाव का कोई स्थान न हो।

इस प्रकार, राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज का जीवन और उनके कार्य हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनकी शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं और हमें आगे बढ़ने की दिशा में मार्गदर्शन करती हैं।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-30.04.2025-बुधवार.
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