✨ कविता: "सेवा के दीप – ताम्हणकर महाराज"

Started by Atul Kaviraje, May 06, 2025, 08:31:52 PM

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Atul Kaviraje

🌼 ताम्हणकर महाराज जयंती – सांगली 🌼
🗓� तारीख – 06 मई 2025, मंगलवार
🙏 भक्तिभाव, सेवाभाव और समाजकल्याण के प्रतीक संत को समर्पित एक सरल व अर्थपूर्ण रचना 🙏

✨ कविता: "सेवा के दीप – ताम्हणकर महाराज"
(07 चरण | प्रत्येक में 4 पंक्तियाँ | सरल तुकबंदी सहित | प्रत्येक चरण के बाद अर्थ)

🔹 चरण 1
सादगी में था तेज अपार,
भक्ति में रमे हर बार।
ताम्हणकर नाम प्रसिद्ध हुआ,
संतों में एक दीप जला।

📖 अर्थ:
ताम्हणकर महाराज अत्यंत साधे-सुधरे जीवन जीते थे, परंतु उनके भीतर ज्ञान और भक्ति का अपार प्रकाश था। उनके नाम से समाज में संतत्व की ज्योति फैल गई।

🔹 चरण 2
सांगली की पुण्य भूमि पर,
उठा संतत्व का उजागर स्वर।
सेवा, भजन, कीर्तन में रत,
हर हृदय में करुणा की गति।

📖 अर्थ:
सांगली की धरती पर ताम्हणकर महाराज ने भक्ति, सेवा और कीर्तन के माध्यम से लोगों के हृदयों में करुणा और आध्यात्मिक चेतना जगाई।

🔹 चरण 3
भजन में लय, वाणी में मंत्र,
हृदय में बसे श्रीहरि का केंद्र।
हर जात, हर जन एक समान,
समता का रखा उन्होंने मान।

📖 अर्थ:
उनकी वाणी मधुर और मंत्रवत थी। वे सभी को समान दृष्टि से देखते थे और समता का संदेश जीवनभर देते रहे।

🔹 चरण 4
नहीं कोई भेदभाव था मन में,
सबको देखा भगवान के तन में।
गरीब, दुखी, या हो धनवान,
सभी थे उनके लिए एक समान।

📖 अर्थ:
ताम्हणकर महाराज ने कभी किसी के साथ भेदभाव नहीं किया। उन्होंने हर व्यक्ति में ईश्वर का ही स्वरूप देखा।

🔹 चरण 5
ध्यान, ज्ञान, और सेवा योग,
जीवन बना उनका तप-जोग।
नियमित कीर्तन, सहज प्रवचन,
सादगी थी उनका व्रत-धन।

📖 अर्थ:
उनका जीवन साधना, ध्यान और सेवा से परिपूर्ण था। वे सरल प्रवचन देते थे और सादगी ही उनका सबसे बड़ा आभूषण था।

🔹 चरण 6
मंदिर हो या कोई चौराहा,
भक्ति में बहता हर राहा।
जहाँ गए, वहीं प्रकाश हुआ,
हर मन में विश्वास जगा।

📖 अर्थ:
ताम्हणकर महाराज जहाँ भी जाते, वहाँ आध्यात्मिक ऊर्जा और भक्ति का संचार होता। लोगों को उनसे गहरी आस्था और प्रेरणा मिलती थी।

🔹 चरण 7
जयंती पर हम करें प्रणाम,
उनके पदचिन्हों का करें मान।
सेवा, भक्ति, प्रेम का लें व्रत,
जीवन हो शुद्ध, निर्मल पथ।

📖 अर्थ:
उनकी जयंती पर हम उन्हें नमन करें और उनके जैसे सेवा, भक्ति और प्रेम से जीवन जीने का संकल्प लें।

🕉� संक्षिप्त सारांश / Short Meaning:
यह कविता संत ताम्हणकर महाराज के जीवन, कार्य, भक्ति, सेवा और करुणा से भरे व्यक्तित्व को सरल भाषा में प्रस्तुत करती है। वे समाज के हर वर्ग के लिए आशा और प्रकाश का स्रोत थे। उनकी teachings आज भी प्रासंगिक हैं।

🌺 प्रतीक, चित्र व इमोजी तालिका
विषय / मूल्य   प्रतीक / इमोजी
भक्ति और साधना   🙏🕉�🎶
सेवा और करुणा   ❤️🤲
सादगी और संयम   🧘�♂️🌿
समता और समानता   ⚖️🧑�🤝�🧑
संतत्व और ज्ञान   🔆📖

🪔 निष्कर्ष:
ताम्हणकर महाराज का जीवन एक मार्गदर्शक दीप है, जो हमें सिखाता है कि भक्ति और सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं। उनकी जयंती पर हमें उनके सिद्धांतों को अपनाकर समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्व को निभाने का संकल्प लेना चाहिए।

🌼 "भक्ति हो जिसमें सच्चा भाव,
वही संत बने, वही हो प्रभाव।" 🌼

🙏 जय ताम्हणकर महाराज की जय!

--अतुल परब
--दिनांक-06.05.2025-मंगळवार.
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