देव जैतीर यात्रा - तुळस, तालुका वेंगुर्ला (तारीख: 27 मई 2025, मंगलवार)-

Started by Atul Kaviraje, May 27, 2025, 10:18:14 PM

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Atul Kaviraje

देव जैतीर यात्रा-तुळस, तालुकI-वेंगुर्ला-

देव जैतीर यात्रा - तुळस, तालुका वेंगुर्ला

(तारीख: 27 मई 2025, मंगलवार)

देव जैतीर यात्रा का महत्त्व
देव जैतीर यात्रा महाराष्ट्र के कोकण क्षेत्र में मनाई जाने वाली एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है। खासकर वेंगुर्ला तालुका के तुळस ग्राम में यह यात्रा बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाती है। इस यात्रा का उद्देश्य स्थानीय देवी-देवताओं का पूजन और आशीर्वाद प्राप्त करना होता है। यह यात्रा क्षेत्र की सांस्कृतिक एकता, धार्मिक आस्था और सामाजिक भाईचारे का प्रतीक है।

देव जैतीर यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह लोगों के लिए एक सामाजिक मिलन और उत्सव का अवसर भी है। इस दिन ग्रामवासियों के बीच प्रेम, भाईचारा, और सम्मान की भावना मजबूत होती है। हर साल इस यात्रा के दौरान हजारों श्रद्धालु देवालयों और मंदिरों की शोभा बढ़ाने के लिए आते हैं।

यात्रा का विवरण और आयोजन
इस वर्ष 27 मई 2025 को मंगलवार को देव जैतीर यात्रा का आयोजन हुआ। इस यात्रा में तुळस ग्राम के मुख्य देवताओं के झांकियों के साथ विभिन्न पूजा अनुष्ठान सम्पन्न किए गए। स्थानीय लोग अपने पारंपरिक वेशभूषा में सज-धज कर देवता की पालकी को लेकर पूरे गांव में शोभायात्रा निकालते हैं। इस यात्रा में शामिल भक्तगण ढोल-ताशों की थाप पर नाचते-गाते हुए अपने श्रद्धा भाव प्रकट करते हैं।

यात्रा की विशेषताएं:

पालकी में देवताओं की मूर्तियों को सजाया जाता है।

भक्तगण हाथों में दीपक और फूल लेकर झूमते हुए चलते हैं।

गांव के बच्चे-युवक-प्रौढ़ सभी उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं।

महिला समूह पारंपरिक भजन-कीर्तन करते हैं।

यात्रा के बाद प्रसाद वितरण और सामूहिक भोज का आयोजन होता है।

देव जैतीर यात्रा का आध्यात्मिक महत्व
यह यात्रा हमें यह सिखाती है कि भगवान की भक्ति में कोई भेदभाव नहीं होता। चाहे कोई अमीर हो या गरीब, सभी एक समान श्रद्धा के साथ देवता की आराधना करते हैं। यह हमारे समाज में प्रेम, शांति और सद्भाव का संदेश फैलाती है। यह यात्रा हमारे भीतर आत्मविश्वास, धैर्य और संयम का विकास करती है।

उदहारण और प्रतीक
उदाहरण के तौर पर:
पिछले वर्ष की यात्रा में एक घटना हुई थी, जब अचानक तेज बारिश हो गई, फिर भी श्रद्धालु बिना डरे, गाना-बजाना और नृत्य करते हुए यात्रा पूरी की। यह उनके भक्ति-भाव और समर्पण का जीवंत उदाहरण था।

चित्र, प्रतीक और इमोजी:
🌸 फूल: पूजा के दौरान उपयोग में लाए जाते हैं, जो पवित्रता का प्रतीक हैं।

🕯� दीपक: अंधकार में उजाला फैलाने के लिए।

🎶 ढोल-ताशा: यात्रा के दौरान ताल और उमंग पैदा करने के लिए।

🙏 प्रणाम: श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करने के लिए।

🛕 मंदिर: यात्रा का केंद्र बिंदु।

🌿 तुळस का पत्ता: भारतीय संस्कृति में पवित्र माना जाता है और देवताओं की पूजा में प्रयोग होता है।

निष्कर्ष
देव जैतीर यात्रा केवल धार्मिक कृत्य नहीं, बल्कि समाज के सभी वर्गों को जोड़ने वाला सांस्कृतिक उत्सव है। यह हमारे जीवन में भक्ति, अनुशासन, और सहयोग की भावना को जगाता है। इस यात्रा का आयोजन हम सभी के लिए प्रेरणा है कि हम अपने जीवन में ईश्वर और समाज के प्रति समर्पित रहना सीखें।

जय देव, जय जैतीर!
🙏🌺🕉�🎉

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-27.05.2025-मंगळवार. 
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