🌼 श्री स्वामी समर्थ एवं भक्तिरस का महत्व 🌼

Started by Atul Kaviraje, May 29, 2025, 10:16:33 PM

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Atul Kaviraje

श्री स्वामी समर्थ एवं भक्तिरसाचे महत्व-
(श्री स्वामी समर्थ की शिक्षाओं में भक्ति अमृत का महत्व)
श्री स्वामी समर्थ और भक्तिरस का महत्व-
(The Importance of Devotional Nectar in Shri Swami Samarth's Teachings)

यह रही एक सुंदर, सरल, अर्थपूर्ण व भक्तिभावपूर्ण दीर्घ हिंदी कविता
विषय: श्री स्वामी समर्थ एवं भक्तिरस का महत्व
*(The Importance of Devotional Nectar in Shri Swami Samarth's Teachings)
— प्रत्येक चरण का अर्थ, प्रतीक (🌺🙏📿), और संक्षिप्त व्याख्या सहित।

🌼 श्री स्वामी समर्थ एवं भक्तिरस का महत्व 🌼
(Shri Swami Samarth aur Bhaktiras ka Mahatva)

📜 चरण १:
अक्कलकोट का तेज पुंज, दिव्य रूप में विराजे।
करुणा, शक्ति, और भक्ति से, जग को नव ज्ञान साजे।
जो भी आया शरण उनकी, संकट उसका टाले।
स्वामी बोले "भीति नको", मन में साहस पाले।

🔸 अर्थ: अक्कलकोट के श्री स्वामी समर्थ ने अपने तेज, भक्ति और शक्ति से सबको राह दिखाई। उनका संदेश था – डरो मत।

🌿 चरण २:
भक्ति है अमृतमयी धारा, जो अंतर्मन को सींचे।
स्वामी के चरणों में जो रमे, वह भय कभी ना मींचे।
सेवा, श्रद्धा और सुमिरन, यही पथ दर्शाया।
स्वामी की कृपा से ही, जन-जन ने उद्धार पाया।

🔸 अर्थ: स्वामी समर्थ ने बताया कि भक्ति जीवन का अमृत है। सच्ची श्रद्धा और सेवा से उनकी कृपा प्राप्त होती है।

🕯� चरण ३:
माया से जो बंधा हुआ, स्वामी ने मुक्त कराया।
ज्ञानदीप जला हृदय में, भ्रम का अंधकार मिटाया।
जो बोले - "दत्त गुरू", वह नरक से भी तर जाए।
स्वामी समर्थ का स्मरण, जीवन में शुभ फल लाए।

🔸 अर्थ: स्वामी समर्थ ने माया में फँसे लोगों को मुक्त किया। उनका नाम लेने से आत्मा को मोक्ष की ओर राह मिलती है।

📿 चरण ४:
भक्तिरस वह शुद्ध स्रोत है, जो भीतर से नहाए।
प्रेम, दया, क्षमा सिखाकर, मन को मंदिर बनाए।
हर श्वास में स्वामी हो, हर भाव में हो भक्ति।
जीवन हो तपोमय, जब हो साधक की सच्ची शक्ति।

🔸 अर्थ: भक्ति केवल पूजा नहीं, बल्कि आंतरिक शुद्धता है। जब मन में दया, प्रेम हो – तभी सच्ची साधना होती है।

🌸 चरण ५:
स्वामी की वाणी वज्रवत, फिर भी थी मधुराई।
अनुभव जिसने लिया कभी, वह गूंगे का गुड़ खाई।
प्रकट रूप में दर्शन देकर, उन्होंने सबको छूआ।
ध्यान धरते ही स्वामी का, मन से मिटे हर दूआ।

🔸 अर्थ: स्वामी समर्थ की वाणी कठोर दिखे पर उसमें मधुरता थी। उनके ध्यान से ही कष्ट दूर हो जाते हैं।

🛕 चरण ६:
धर्म, कर्म और सत्य का, जीवन में जो दीप जले।
स्वामी कहते – "कर्म कर, फल पर मत तू टले।"
निस्वार्थ जो सेवा करे, वही सच्चा भक्त।
ऐसे ही भक्तों को मिलती, स्वामी की अनंत शक्ति।

🔸 अर्थ: स्वामी समर्थ का उपदेश था – निष्काम कर्म करो। सच्चे भक्त वही हैं जो सेवा करते हैं, स्वार्थ नहीं रखते।

🕊� चरण ७:
हे स्वामी समर्थ कृपा करो, मन मेरा स्थिर हो जाए।
भक्ति रस की मधुर बूँदें, जीवन मेरा रसधार बनाए।
तेरे चरणों में अर्पित हो, यह जीवन का हर क्षण।
तेरी भक्ति ही सबसे बड़ा, मेरा कल्याण और धन।

🔸 अर्थ: प्रार्थना है कि स्वामी समर्थ मन को स्थिर करें और जीवन को भक्तिरस से परिपूर्ण करें। यही जीवन का धन है।

✨ प्रतीक / Emojis / चित्र संकेत:
प्रतीक   अर्थ

🌼   भक्ति और शुद्धता
📿   जप, साधना
🛕   अक्कलकोट / मंदिर
🕊�   आत्मिक शांति
🙏   समर्पण भाव
🕯�   ज्ञान व प्रकाश
🌿   पवित्रता और साधना

📚 संक्षिप्त भावार्थ:
श्री स्वामी समर्थ भक्तों के लिए प्रेरणा, शक्ति और भक्ति का समर्पित स्वरूप हैं।
उनका उपदेश सच्ची सेवा, भक्ति, साहस और आत्मज्ञान को जीवन में अपनाने का है।
उनकी कृपा से जीवन सरल, पवित्र और सफल होता है।

👉 "भीति नको – मी समर्थ आहे" (डर मत – मैं समर्थ हूँ) यह केवल वाक्य नहीं, जीवन की संजीवनी है।

जय स्वामी समर्थ! 🙏🌼📿

--अतुल परब
--दिनांक-29.05.2025-गुरुवार.
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