👑🇮🇳 झांसी की रानी – अमर बलिदान की गाथा 📅 पुण्यतिथि: 02 जून 2025 – सोमवार-

Started by Atul Kaviraje, June 03, 2025, 11:02:46 AM

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Atul Kaviraje

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यह रहा एक भक्ति-भावपूर्ण, राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत, सरल तुकबंदीयुक्त दीर्घ हिंदी कविता, जिसमें शामिल हैं:

7 चरण, प्रत्येक में 4 पंक्तियाँ

हर चरण का सरल हिंदी अर्थ

चित्रात्मक प्रतीक, इमोजी, और भावनात्मक प्रस्तुति

विषय: झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की पुण्यतिथि – 2 जून 2025, सोमवार

👑🇮🇳 झांसी की रानी – अमर बलिदान की गाथा
📅 पुण्यतिथि: 02 जून 2025 – सोमवार
🗡� भावना: मातृभूमि के प्रति समर्पण, नारी शक्ति का गौरव
🕊� संदेश: वीरता कभी मरती नहीं, वह प्रेरणा बन जाती है

🏰 कविता शीर्षक: "मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी!"

🌸 **1. कान्हा की गली में पली, लक्ष्मी नाम की बाल।
ध्यान-घुड़सवारी संग, तेजस्विनी थी लाल।
कुशल तलवारबाज़ी की, ली शिक्षा दिनरात।
बचपन से ही बोई गई, वीरता की बात।**

अर्थ:
रानी लक्ष्मीबाई का जन्म काशी में हुआ था। बचपन से ही उन्होंने घुड़सवारी, तलवार और युद्धकला में निपुणता पाई।

👧🏹🐎

🏰 **2. झांसी की रानी बनीं, जीवन ने मोड़ लिया।
पति के वियोग ने, साहस से जोड़ लिया।
सत्ता की कमान संभाली, एकल निर्णय लिए।
हर संकट में झांसी को, अपनों जैसा पिए।**

अर्थ:
राजा गंगाधर राव के निधन के बाद उन्होंने झांसी की बागडोर अपने हाथों में ली और हर निर्णय वीरता से लिया।

👑⚖️💪

⚔️ **3. जब फिरंगी नजदीक आए, झांसी को हथियाने।
रानी ने ना झुकी कभी, निकली रण मैदानें।
बुंदेलों की गाथा में, इतिहास रच गई।
"मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी!" – दुनिया सुन गई।**

अर्थ:
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने जब झांसी पर अधिकार चाहा, रानी ने डटकर सामना किया और यह ऐतिहासिक वाक्य बोला।

🔥🗡�🇮🇳

🐎 **4. घोड़े पर बच्चा बाँधकर, रण में उतरी वीर।
मर्दानी बन, जली ज्वाला, बन गई जागीर।
दुश्मन कांपे नाम से, अंग्रेज़ हुए बेहाल।
झांसी में हर कोना बोला – जय भवानी लाल!**

अर्थ:
रानी लक्ष्मीबाई ने युद्ध में अपने बच्चे को पीठ से बांध लिया और स्वयं तलवार चलाकर शत्रु से लोहा लिया।

🍼🐎🛡�

🔥 **5. ग्वालियर की भूमि बनी, अंतिम रणस्थल आज।
रणभूमि में वीरगति, पर छोड़ा ना कोई काज।
शौर्य की लौ बुझी नहीं, अमर नाम हो गया।
रानी लक्ष्मीबाई बनकर, युगों तक सो गया।**

अर्थ:
ग्वालियर की लड़ाई में रानी ने वीरगति पाई, लेकिन उनका साहस अमर हो गया।

🕯�🌄⚰️

📜 **6. इतिहास के पन्नों में, स्वर्णाक्षर छप गई।
नारी की शक्ति बनकर, प्रेरणा सी बह गई।
हर नारी के मन में, वह चिंगारी बनी।
भारत माता की जय में, वो वीरांगना बनी।**

अर्थ:
उनका बलिदान हर भारतीय नारी के लिए प्रेरणा है, और उनका नाम आज भी सजीव है।

📖🌼🔥

🌺 **7. आज भी जब संकट आता, झांसी याद दिलाए।
रानी की जो वाणी थी, सीना गर्व से फुलाए।
बलिदानों की ये विरासत, हमको निभानी है।
भारत माँ के चरणों में, सेवा चढ़ानी है।**

अर्थ:
रानी लक्ष्मीबाई का जीवन आज भी हमें कठिनाइयों में लड़ने की प्रेरणा देता है — देशभक्ति की मिसाल।

🇮🇳🕊�🛡�

🖼� प्रतीक और इमोजी सारांश:
प्रतीक/इमोजी   अर्थ

👑   रानी, नेतृत्व
🐎   युद्धभूमि, रणचंडी
🗡�   शौर्य, आत्मरक्षा
🔥   बलिदान, जोश
📜   इतिहास, प्रेरणा
🇮🇳   भारत माता, देशभक्ति

🪔 संक्षिप्त भावार्थ:
"रानी लक्ष्मीबाई केवल एक नाम नहीं,
बल्कि हर भारतीय नारी की आत्मा हैं।
उनकी तलवार ने इतिहास नहीं,
देश की आत्मा लिखी थी।"

✅😊

रानी लक्ष्मीबाई को शत्-शत् नमन। जय हिंद! 🇮🇳

--अतुल परब
--दिनांक-02.06.2025-सोमवार. 
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