🌼 कविता: "निर्जला एकादशी" 🌼 (दिनांक: 6 जून, शुक्रवार)-

Started by Atul Kaviraje, June 06, 2025, 10:23:11 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

यह रही एक सुंदर, सरल, और भक्तिभाव पूर्ण दीर्घ हिंदी कविता — "निर्जला एकादशी" — जिसमें 7 चरण हैं, हर चरण में 4 पंक्तियाँ, सरल तुकबंदी के साथ। प्रत्येक चरण के नीचे उसका हिंदी अर्थ भी दिया गया है, और साथ में चित्रात्मक संकेत (emojis) जो भाव को और गहरा करते हैं।

🌼 कविता: "निर्जला एकादशी" 🌼
(दिनांक: 6 जून, शुक्रवार)

🌞 चरण 1
ज्येष्ठ महीना, तप्त धरा, जल की एक बूँद न ली,
भीम एकादशी आज है, व्रत की साधना खिली।
निर्जल रहो, मन शीतल हो, प्रभु में लीन रहो,
हर सांस में नाम लो उसका, हर क्षण प्रेम बहो।

🔸अर्थ:
गर्मी के इस महीने में, निर्जल रहकर भी भक्त भगवान में लीन रहता है। यह एक विशेष व्रत है जिसमें जल भी नहीं पिया जाता — केवल प्रभु भक्ति में डूबे रहना ही उद्देश्य होता है।
🪷🔥🚱🙏

🌿 चरण 2
ना अन्न, ना जल, ना विश्राम, केवल नाम ही साथ,
मन के भीतर दीप जले, हरि चरणों की बात।
भीम ने किया जो कठिन व्रत, हम भी करें प्रयास,
एक दिन की तपस्या से, कटे जनमों का प्यास।

🔸अर्थ:
इस व्रत में खाने-पीने और आराम का त्याग किया जाता है। यह भीम द्वारा निभाया गया कठिन व्रत है, जो सब व्रतों का फल अकेले देता है।
🍃🚫🍲🕯�🧘�♂️

🌸 चरण 3
श्रीहरि की कथा सुनो आज, भक्ति में मन रंगो,
गीता, पुराणों का पाठ करो, शब्दों को अंग संगो।
निर्जला का वरदान यही, सच्चा भाव जगाओ,
अहं को त्यागो, प्रेम से हर सांस प्रभु को पाओ।

🔸अर्थ:
इस दिन भगवान की कथा, गीता और पुराणों का श्रवण करना विशेष फलदायी होता है। यह दिन आत्मविजय और अहंकार त्याग का प्रतीक है।
📖🎶📿💖🕊�

🔥 चरण 4
पावन गंगा स्नान करो, मन से मैल हटाओ,
व्रत की इस गहन अग्नि में, पापों को जलाओ।
जप तप और दान करो, हर जीव में राम बसाओ,
निर्जला की पुण्य धारा से, आत्मा को नहलाओ।

🔸अर्थ:
गंगा स्नान और पवित्रता का ध्यान इस दिन विशेष है। दान, जप, और सेवा से आत्मा को शुद्ध किया जाता है।
🌊🛁🕉�🔥📿

🌕 चरण 5
एकादशी व्रत रखो सदा, पर ये सबसे न्यारी,
इसमें छुपी है साधना, और मुक्ति की क्यारी।
जल की एक बूँद न पिएँ, लेकिन प्रेम बहाएँ,
भीतर की उस अग्नि से, आत्मा को चमकाएँ।

🔸अर्थ:
निर्जला एकादशी अन्य सभी एकादशियों से श्रेष्ठ मानी जाती है, यह व्रत मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।
🌼🚱🪔🛤�🌟

🛕 चरण 6
माता, पिता, और गुरुजनों की सेवा भी करें,
ईश्वर का हर रूप समझें, करुणा से नयनों भरें।
निर्जला का असली संदेश, यही तो सिखाता है,
कि 'मैं' नहीं, केवल 'हरि' ही, जीवन में नाचता है।

🔸अर्थ:
यह व्रत हमें अहंकार से ऊपर उठकर सेवा, करुणा और प्रभु के प्रति पूर्ण समर्पण सिखाता है।
👣🧓👵🙏🎇

✨ चरण 7 (समर्पण)
हे हरि! तुझसे जुड़ जाएं हम, जीवन का यह गीत बने,
भक्ति के निर्झर से बहते, हर दिन एकादशी रीत बने।
निर्जला में तुझको पाया, तन-मन-प्राण अर्पण है,
हर जन्म में यही व्रत रहे, यही प्रभु का दर्शन है।

🔸अर्थ:
यह व्रत केवल एक दिन का नियम नहीं, बल्कि जीवन भर प्रभु से जुड़ने की साधना है। इसे आत्म समर्पण की अनुभूति के रूप में मानें।
🕊�🎶🪷🔔💫

--अतुल परब
--दिनांक-06.06.2025-शुक्रवार.
===========================================