🚫💰 कविता शीर्षक: “ईमान का दीप जलाएं” 🪔⚖️

Started by Atul Kaviraje, June 09, 2025, 11:20:34 AM

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Atul Kaviraje

यह रही विषय "भ्रष्टाचार की रोकथाम" पर आधारित एक सुंदर, अर्थपूर्ण, सरल तुकबंदी वाली सात-चरणीय दीर्घ हिंदी कविता, जिसमें हर चरण में 4 पंक्तियाँ, सरल हिंदी अर्थ, और प्रतीकात्मक इमोजी दिए गए हैं।

🚫💰 कविता शीर्षक: "ईमान का दीप जलाएं" 🪔⚖️

💸 चरण 1
जब पद का होता दुरुपयोग,
तब जनसेवा बनती है रोग।
स्वार्थ जब नीति पर चढ़ जाए,
तो भ्रष्टाचार घर कर जाए। 🧑�💼⚠️💰🔒

अर्थ:
जब कोई व्यक्ति अपने अधिकारों का इस्तेमाल निजी लाभ के लिए करता है, तो वह भ्रष्टाचार कहलाता है, और यह समाज के लिए एक रोग बन जाता है।

⚖️ चरण 2
न्याय जहाँ बिकने लगे,
सच्चाई डर से छिपने लगे।
ईमानदारी की हो जब हार,
विकास बन जाए लाचार। ⚖️🕳�🚫📉

अर्थ:
जब न्याय व्यवस्था भी भ्रष्टाचार से प्रभावित होती है, तो ईमानदारी कमजोर हो जाती है और समाज का विकास रुक जाता है।

🙅 चरण 3
घूस, दलाली, झूठ का जाल,
इनसे बिगड़े देश का हाल।
आम जन दुख झेले हर दिन,
सपने बनें सिर्फ कागज-पन्ने। 📑💔💸🧾

अर्थ:
भ्रष्टाचार की वजह से आम आदमी को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलतीं, और योजनाएं कागज़ों तक ही सीमित रह जाती हैं।

🪔 चरण 4
जागो अब, ना सहो अंधकार,
हर नागरिक बने पहरेदार।
ईमान से हो जन की बात,
भ्रष्टाचार को दो मात। 🗣�🚨🪔🛡�

अर्थ:
हर व्यक्ति को सजग नागरिक बनकर भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठानी चाहिए और ईमानदारी को अपनाना चाहिए।

📚 चरण 5
शिक्षा से हो संस्कार मजबूत,
नैतिकता हो हर दिल की जड़।
बचपन में ही सिखाओ सत्य,
तभी बनेगा समाज पवित्र। 🎓🌱🧠💡

अर्थ:
भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए जरूरी है कि हम बचपन से ही बच्चों में नैतिकता और सच्चाई की शिक्षा दें।

🤝 चरण 6
जनता, शासन साथ चलें,
कानूनों की लाठी से बहलें।
पारदर्शिता हो हर काम में,
सच्चाई बोले हर नाम में। 🧾📢🧑�⚖️🤝

अर्थ:
सरकार और जनता को मिलकर पारदर्शिता और कानून के पालन से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना चाहिए।

🙏 चरण 7
हे प्रभु! दो ऐसी चेतना,
जहाँ न बिके कोई भावना।
ईमान हो दीप, सत्य हो स्वर,
भ्रष्टाचार मिटे हर शहर। 🕊�🪔🙏🏙�

अर्थ:
अंत में, प्रभु से प्रार्थना है कि समाज में ऐसी चेतना आए जहाँ भावनाएँ, न्याय और सेवा खरीदी न जा सकें। हर शहर भ्रष्टाचार-मुक्त बने।

🧩 प्रतीकात्मक इमोजी सारांश:
💰 = घूस / लालच

⚖️ = न्याय

🪔 = ईमानदारी व रोशनी

🧑�⚖️ = कानून

📚🎓 = शिक्षा

🤝 = सहयोग

🕊� = शांति व नैतिकता

🙏 = प्रार्थना

🔒🚨 = सतर्कता व रोकथाम

✅ यह कविता विद्यालयों, सार्वजनिक मंचों, सरकारी अभियानों, और जागरूकता कार्यक्रमों में पढ़ी जा सकती है।

--अतुल परब
--दिनांक-08.06.2025-रविवार.
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