📅 तारीख: 9 जून, सोमवार 📜 विषय: शिवराज शक ३५२ प्रारम्भ –

Started by Atul Kaviraje, June 10, 2025, 11:00:56 AM

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Atul Kaviraje

शिवराज शक ३५२ प्रारम्भ-

हिंदी लेख: शिवराज शक ३५२ प्रारम्भ – एक ऐतिहासिक व आध्यात्मिक जागृति का प्रतीक

📅 तारीख: 9 जून, सोमवार
📜 विषय: शिवराज शक ३५२ प्रारम्भ – दिवसीय महत्व, उदाहरणों सहित विश्लेषणात्मक व भक्ति भावपूर्ण लेख

🔱 प्रस्तावना:
"शिवराज शक ३५२ प्रारम्भ" एक ऐसा पावन दिवस है, जो न केवल एक ऐतिहासिक घटना का स्मरण कराता है, बल्कि हिन्दू आत्मा की जागृति, धर्म और स्वराज्य के अदम्य संकल्प का प्रतीक भी है। यह दिन छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की पुण्यतिथि को स्मरण करता है – एक ऐसा क्षण जब भारतभूमि ने स्वतंत्र और स्वधर्मी शासन की नींव रखी।

🕉� इस दिन को शिवराज्याभिषेक दिवस भी कहा जाता है और शिवराज शक की शुरुआत का यह पहला दिन माना जाता है – यह न केवल एक तिथि है, अपितु एक चेतना है, एक प्रेरणा है और एक संकल्प है।

🏰 ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
सन १६७४ में, राजगढ़ किले पर, महान योद्धा और दूरद्रष्टा छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ। इस पावन दिन से एक नवीन शक की शुरुआत हुई – जिसे "शिवराज शक" कहा गया।

📚 तत्कालीन काल में भारतवर्ष पर विदेशी आक्रमणकारियों का नियंत्रण था। हिंदू संस्कृति, धर्म और गौरव संकट में था। ऐसे समय में शिवाजी महाराज ने न केवल हथियार उठाए, बल्कि धर्म, संस्कृति और जनता की रक्षा का संकल्प लिया।

🗓� शिवराज शक ३५२ इस वर्ष (२०२५) में पूर्ण हो रहा है। इसका अर्थ है कि छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक को ३५२ वर्ष बीत चुके हैं।

🛡� इस दिवस का महत्व:
धार्मिक जागरण का प्रतीक:
शिवाजी महाराज केवल एक योद्धा नहीं थे, वे हिंदू धर्म के रक्षक भी थे। उन्होंने मंदिरों की रक्षा की, वेद-पुराणों को सम्मान दिया और संतों का साथ दिया। उनका राज्य धर्मनिरपेक्षता और धार्मिक सहिष्णुता पर आधारित था।

राजनीतिक स्वतंत्रता की प्रेरणा:
यह दिन हमें बताता है कि स्वराज्य केवल एक राजनीतिक विचार नहीं, बल्कि आत्मसम्मान, आत्मविश्वास और संस्कृति का प्रतीक है।

सामाजिक संगठन और न्यायप्रिय शासन:
शिवराज्याभिषेक के साथ एक ऐसा शासन प्रारम्भ हुआ, जहाँ समाज के सभी वर्गों को न्याय मिला। ब्राह्मण से लेकर शूद्र तक, महिला से लेकर वृद्ध तक – सबको सुरक्षा, सम्मान और अवसर प्राप्त हुए।

🌸 उदाहरण सहित विवेचन:
जैसे भगवान राम ने रामराज्य की स्थापना की, उसी प्रकार शिवाजी महाराज ने शिवराज्य की नींव रखी। यह रामराज्य का आधुनिक प्रतिबिंब था।

जहां औरंगजेब जैसे शासक तानाशाही व कट्टरता के प्रतीक थे, वहीं शिवाजी महाराज ने सर्वधर्म समभाव का मार्ग अपनाया।

उनकी अष्टप्रधान मंडल आज के लोकतांत्रिक कैबिनेट की संकल्पना का प्रारंभिक रूप कहा जा सकता है।

🪔 भक्तिभावपूर्ण दृष्यचित्रण:
🙏 "शिवराज्याभिषेक का दृश्य":
स्वर्ण सिंहासन पर एक दिव्य तेजस्वी पुरुष – शिवाजी महाराज – शंखध्वनि और वेद-मंत्रों के बीच राज्य स्वीकार करते हैं। उनके शीश पर संतों और पंडितों द्वारा मुकुट धारण कराया जाता है। माता जिजाबाई का आशीर्वाद, संत तुकाराम की वाणी और वीर मावलों की गूंज उस क्षण को पवित्र बनाते हैं।

🖼� [चित्रण]:
🕉�📿👑⚔️🏔�🪔🛕🗡�📜🌿🌞

🌟 प्रेरणा व आज का संदेश:
आज के युवाओं को शिवराज शक ३५२ से यह प्रेरणा लेनी चाहिए कि –

आत्मसम्मान से बड़ा कोई धर्म नहीं।

भारत की संस्कृति केवल इतिहास नहीं, बल्कि एक जीवंत चेतना है।

नेतृत्व वह है जो समाज, धर्म और संस्कृति की रक्षा करे।

धर्म का अभिप्राय केवल पूजा नहीं, बल्कि कर्तव्य, सेवा और न्याय है।

🧘�♂️ शिवराज भाव की स्थापना – आत्मिक पहलू:
शिवराज केवल राजनैतिक शक्ति का प्रतीक नहीं, वह अंतःकरण में बसे शिवतत्व की स्थापना भी है।

यह दिन हमें आंतरिक रूप से शुद्ध, साहसी और सत्यनिष्ठ बनने का आह्वान करता है।

📢 निष्कर्ष:
शिवराज शक ३५२ का प्रारंभ – न केवल छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन का एक ऐतिहासिक पड़ाव है, बल्कि यह प्रत्येक भारतीय के लिए एक आत्मिक उत्सव है। यह दिवस हमें सिखाता है कि स्वराज्य की भावना, धर्म की रक्षा और सामाजिक न्याय की मशाल को जलाए रखना हमारा कर्तव्य है।

🌺 आइए, हम सब मिलकर इस पावन दिन पर संकल्प लें:

"जय शिवराय! जय स्वराज!"

"शिवराज शक जिंदाबाद!"

📌 प्रतीक चिह्न व भावनाएँ:
🔱🛕⚔️📿📜🙏🇮🇳🌞🪔🕉�👑🗡�🌸

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-09.06.2025-सोमवार.
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