शिवराज शक ३५२ प्रारम्भ-“शिवराज्याभिषेक – तेज की पुनर्जन्म गाथा”

Started by Atul Kaviraje, June 10, 2025, 11:06:03 AM

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Atul Kaviraje

📜🙏 भक्ति भावपूर्ण दीर्घ हिंदी कविता
विषय: शिवराज शक ३५२ प्रारम्भ
तिथि: सोमवार, 9 जून
🕉� भाव: यह कविता छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक दिवस की पावन स्मृति में रची गई है। यह न केवल इतिहास की पुनः गूंज है, बल्कि धर्म, स्वराज्य और आत्मगौरव की महागाथा है।

📖 कविता शीर्षक:
"शिवराज्याभिषेक – तेज की पुनर्जन्म गाथा"

(7 चरण | प्रत्येक में 4 पंक्तियाँ | सरल तुकबंदी | प्रतीक और अर्थ सहित)

🌅 चरण 1:
सिंहासन पर बैठा शेर, भाला-कृपा संग तेज।
सात समंदर थर्राए, भारत पावे सेज।
धर्म खड़ा फिर जागृत हो, अधर्म करे संकोच।
शिवराज्य की इस वेला में, बजा स्वराज का घोष।

🕉� अर्थ:
यह चरण शिवाजी महाराज के राज्यारोहण की महिमा दर्शाता है — जैसे ही वह सिंहासन पर बैठे, संपूर्ण भारत भूमि को गौरव प्राप्त हुआ, धर्म जागा और अधर्म डर गया।

📷 प्रतीक: 🦁🛡�⛲🕉�📯

🔥 चरण 2:
माथे पर चंदन तिलक, वाणी में था मंत्र।
राज्य नहीं बस भूमि की, चेतना का केंद्र।
हर ग्राम, हर कण बोला – जय भवानी राज।
शिव तेज से पूरित हुआ, भारत का समाज।

🕉� अर्थ:
राज्याभिषेक केवल एक राजनीतिक घटना नहीं, यह चेतना का उदय था। भारत का प्रत्येक जन शिव तेज से आलोकित हुआ।

📷 प्रतीक: 🪔🎇📿🇮🇳🙌

🏹 चरण 3:
संग्रामों की आंधी से, निकला था यह दीप।
सह्याद्री की छाया में, स्वराज्य हुआ सजीव।
माताभूमि के चरणों में, अर्पित था वह प्राण।
शिवराज ने रचा दिया, भारत को पहचान।

🕉� अर्थ:
शिवाजी महाराज का संघर्ष आंधियों से भी अधिक प्रचंड था, लेकिन उनकी आस्था और भक्ति ने भारत को स्वराज्य का उपहार दिया।

📷 प्रतीक: ⛰️🔥🛕🧎�♂️🪔

🏰 चरण 4:
राजा नहीं था केवल वह, था धर्मरक्षक वीर।
न्याय-नीति का पालक था, ना था सत्ता अधीर।
प्रजा रही परिवार सी, राज्य बना मंदिर।
सपनों में था स्वधर्म, और विजय की मंज़िल।

🕉� अर्थ:
शिवाजी महाराज एक सच्चे राजा थे जो प्रजा को परिवार समझते थे। उनका राज्य धर्मनिष्ठ, न्यायपूर्ण और सबका कल्याणकारी था।

📷 प्रतीक: ⚖️🏛�👑🧘�♂️🕊�

🕉� चरण 5:
शिव शक का प्रारंभ दिवस, दीप बने अंधकार।
हर युग में वह पुकारे – स्वराज्य हो साकार।
नवयुवक हो प्रेरित सभी, बनें धर्म के रक्षक।
शिव-तेज से जले ह्रदय, पावन हो हर पक्ष।

🕉� अर्थ:
शिवराज शक ३५२ का यह दिवस आज भी युवाओं को प्रेरणा देता है – अंधकार में प्रकाश बनने की, धर्म की रक्षा करने की।

📷 प्रतीक: 🔥🕯�🗡�📿🧑�🏫

🚩 चरण 6:
मंत्र गूंजे सिंहगर्जना, "हर हर महादेव!"
रण में दुश्मन डोल उठे, जयजयकार से सेव्य।
गौरव की यह गाथा अब, हर कोने में बहे।
शिव-स्मृति हो चिरंजीवी, भारतमाता कहे।

🕉� अर्थ:
"हर हर महादेव" की जयघोष शिवाजी की शक्ति का प्रतीक बनी। यह गर्जना आज भी राष्ट्रगौरव का शंखनाद करती है।

📷 प्रतीक: 📯🦁🇮🇳🕉�🔱

🌟 चरण 7:
आओ हम सब एक स्वर में, करें शिवराज को वंदन।
कर्म में हो न्याय-धर्म, और मन में हो वंदन।
शिव राज्य का दीप जले, नवयुग बने प्रकाश।
हर भारतवासी बोले अब – शिवतेज ही है त्रास।

🕉� अर्थ:
यह अंतिम चरण एक प्रार्थना और प्रतिज्ञा है – कि हम सब अपने कर्म, मन और आत्मा से शिवराज्य के मूल्यों को अपनाएँ।

📷 प्रतीक: 🙏🪔📜🇮🇳🛕

📚 संक्षिप्त सार:
🔸 कविता भाव:

इतिहास की प्रेरणा

धर्म और न्याय की पुनर्पुष्टि

भारत के लिए आत्मगौरव

शिव-तेज के अमर संदेश की गूँज

🔸 प्रतीक व इमोजी संग्रह:
🦁⚔️🏰🛡�⛰️📿🕯�📯🇮🇳🧎�♂️🔱💪🔥🙌🙏🪔

✨ समर्पण:
यह कविता उस पवित्र स्मृति को समर्पित है,
जहाँ भारत ने कहा – "अब हम स्वयं के राजा होंगे।"
छत्रपति शिवाजी महाराज की चरणों में नमन। 🙏

--अतुल परब
--दिनांक-09.06.2025-सोमवार.
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