🌼🙏 श्री स्वामी समर्थ और उनका 'निःस्वार्थ सेवा' का दर्शन 🙏🌼🕉️📿🔥🛕👣🍲🤲🧎‍

Started by Atul Kaviraje, June 13, 2025, 10:58:29 AM

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Atul Kaviraje

श्री स्वामी समर्थ और उनका 'निःस्वार्थ सेवा' का दर्शन-
(श्री स्वामी समर्थ द्वारा निःस्वार्थ सेवा का दर्शन)
(The Philosophy of Selfless Service by Shri Swami Samarth)

🌼🙏 श्री स्वामी समर्थ और उनका 'निःस्वार्थ सेवा' का दर्शन 🙏🌼
(भक्तिभावपूर्ण, सरल तुकबंदी में 7 चरणों की दीर्घ हिंदी कविता, प्रतीकों, इमोजी और अर्थ सहित)

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🔶 चरण 1:
स्वामी समर्थ थे योगी महान,
शब्द कम, सेवा ही उनका ज्ञान।
भक्ति में लिप्त, करुणा का सार,
हर दुखी को देते उपकार।

📖 अर्थ:
स्वामी समर्थ एक महान संत थे जो कम बोलते थे लेकिन अपने कर्मों से शिक्षा देते थे। वे करुणा से ओतप्रोत थे और दुखियों की सेवा करते थे।

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🔶 चरण 2:
न माँगी पूजा, न माँगा मान,
हर सेवा को माने भगवान।
जो भूखा, वही प्रभु का रूप,
सेवा में ही दिखा उन्हें भक्ति का स्वरूप।

📖 अर्थ:
स्वामी समर्थ ने कभी पूजा या सम्मान की अपेक्षा नहीं की। वे मानते थे कि जो भूखा और ज़रूरतमंद है, उसमें ही ईश्वर का रूप है।

🥣🧥🤲🌟

🔶 चरण 3:
धूल में बैठे, फिर भी तेजस्वी,
दृष्टि में दया, वाणी में ऋषि।
दीन-दुखी को पास बुलाते,
प्यार से सबको गले लगाते।

📖 अर्थ:
स्वामी समर्थ सादे जीवन में रहते हुए भी अत्यंत दिव्य थे। वे प्रेम और दया से हर किसी को अपनाते थे।

🪔👣🌿❤️

🔶 चरण 4:
सेवा को माना उन्होंने धर्म,
निःस्वार्थ कर्म ही था उनका मर्म।
भिक्षा नहीं, बस प्रेम का दान,
जिससे मिटे हर पीड़ा और त्राण।

📖 अर्थ:
स्वामी समर्थ के लिए सेवा ही सच्चा धर्म था। उन्होंने प्रेम को ही सबसे बड़ा दान माना, जिससे दुख मिटते हैं।

🍲📿✨🤍

🔶 चरण 5:
रोगी हो या भूखा प्राणी,
सबको मिलती कृपा अनजानी।
न नाम पूछें, न जाति विचारें,
प्रेम से उनके घाव संवारें।

📖 अर्थ:
वे किसी की जाति या पहचान नहीं पूछते थे। वे हर व्यक्ति को प्रेम से अपनाकर उसकी सेवा करते थे।

💊🥣🧎�♂️👁�

🔶 चरण 6:
"सेवा ही साधना" वचन कहें,
हर दिन कर्मपथ पर चलें।
जो उनके पथ पर चलता है,
वह जीवनसुख सरलता से पाता है।

📖 अर्थ:
स्वामी समर्थ कहते थे कि सेवा ही साधना है। जो उनके रास्ते पर सेवा और सच्चाई से चलता है, उसे जीवन में शांति और सुख मिलता है।

🧘�♂️🪷🌞🛤�

🔶 चरण 7:
स्वामी की भक्ति सेवा से जुड़ी,
हर निःस्वार्थ भावना से सजी।
जो दे तन-मन से सहयोग,
उसे मिलता सदा उनका योग।

📖 अर्थ:
स्वामी समर्थ की भक्ति सेवा से जुड़ी हुई है। जो भक्त तन-मन से सेवा करता है, वह उनके कृपाशील सान्निध्य को पाता है।

🤲🧡🛕📿

🕊� निष्कर्ष:
स्वामी समर्थ का 'निःस्वार्थ सेवा' का दर्शन केवल उपदेश नहीं, बल्कि एक जीवंत आध्यात्मिक मार्ग है।
उनकी शिक्षा हमें बताती है —
✨ "प्रेम से सेवा करो, यही ईश्वर की सच्ची भक्ति है।"

🌺 जय जय स्वामी समर्थ! 🙏
🕉�📿🍲🪔👣🛕

--अतुल परब
--दिनांक-12.06.2025-गुरुवार.
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