🎆 विषय: देवी दुर्गा के 'पार्वती रूप' और 'पार्वती शक्ति' का संयुक्त रूप-

Started by Atul Kaviraje, June 13, 2025, 10:00:51 PM

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Atul Kaviraje

देवी दुर्गा के 'पार्वती रूप' और 'पार्वती शक्ति' का संयुक्त रूप-
(देवी दुर्गा का 'पार्वती रूप' और देवी पार्वती की एकीकृत शक्ति)
(The 'Parvati Form' of Goddess Durga and the Unified Power of Goddess Parvati)

यह प्रस्तुत है एक भक्तिभाव से भरी, सरल तुकबंदी वाली, अर्थपूर्ण और सात चरणों में विभाजित दीर्घ हिंदी कविता —
🎆 विषय: देवी दुर्गा के 'पार्वती रूप' और 'पार्वती शक्ति' का संयुक्त रूप
(The 'Parvati Form' of Goddess Durga and the Unified Power of Goddess Parvati)
हर चरण में चार पंक्तियाँ, प्रतीकात्मक चित्र 🖼�, इमोजी ✨🕉�, और संक्षिप्त अर्थ 📜 शामिल हैं।

🔶 चरण १
गौर वर्ण, शांति स्वरूपा, हिमगिरि की वह लाडली।
सौम्य दृष्टि, शांत वाणी, बनी शिव की अर्द्धांगिनी।
पार्वती रूप में जो बसे, भक्ति और प्रेम की धार।
वहीं दुर्गा बन करें प्रकट, जब छिन जाएँ सब आधार।

📜 अर्थ:
देवी पार्वती शिव की अर्द्धांगिनी हैं, जिनका स्वरूप सौम्य और शांत है। पर जब अन्याय होता है, तो वही शक्ति दुर्गा के रूप में प्रकट होती है।

🕉�🌺🏔�💫

🔶 चरण २
कोमलता और करुणा का, जब हो सीमा पार।
तब जागे भीतर शक्ति, जो करे अत्याचार का संहार।
पार्वती की वही चेतना, दुर्गा का बन जाए रूप।
एक ही माँ के दो स्वर, प्रेम और शक्ति का समूह।

📜 अर्थ:
देवी पार्वती की करुणा जब सीमा पर होती है, तो वही चेतना दुर्गा बन जाती है। दोनों रूप एक ही शक्ति के दो पक्ष हैं — प्रेम और पराक्रम।

⚔️🌸🔥🪔

🔶 चरण ३
दुर्गा में जो तेज जला, वो पार्वती का तप है।
पर्वत जैसी साधना से, उत्पन्न हुआ यह रूप रक्ष है।
शिव को पाने की आस में, खुद को जला दिया।
तब जाकर शक्ति ने, सृष्टि का संतुलन बना दिया।

📜 अर्थ:
पार्वती ने घोर तपस्या से अपने भीतर शक्ति जगाई। वही शक्ति आगे चलकर दुर्गा बनी और संसार की रक्षा की।

🧘�♀️🔥🌄🛡�

🔶 चरण ४
पार्वती हैं श्रद्धा की मूर्ति, दुर्गा हैं संकल्प की शक्ति।
एक में करुणा की गहराई, दूसरी में रण की भक्ति।
जहाँ एक देती जीवन को शांति,
वहीं दूसरी करती बुराई से क्रांति।

📜 अर्थ:
देवी पार्वती श्रद्धा और प्रेम की देवी हैं, जबकि दुर्गा शक्ति और संकल्प की प्रतीक हैं। दोनों का मेल ही संपूर्ण नारीत्व का रूप है।

🌼⚔️🧘�♀️🔥

🔶 चरण ५
जब भक्त पुकारे 'अंबे', तो माँ पार्वती सुनती हैं।
जब संकट आता है गहरा, तो दुर्गा बन कर झलकती हैं।
एक तरफ ममता की छाया, एक तरफ सिंह पर सवारी।
दोनों रूपों में माँ सजीव, करती सृष्टि पर उपकारी।

📜 अर्थ:
भक्त जब माँ को पुकारते हैं, तो पार्वती रूप में ममता देती हैं और दुर्गा रूप में संकट से रक्षा करती हैं।

🧎�♂️🦁🌈🌸

🔶 चरण ६
सप्तमी से नवमी तक, जब दुर्गा पूजन होता है।
हर भक्त माँ के अंदर, पार्वती को खोजता है।
शक्ति और करुणा के इस संगम में जो लीन,
वही समझे देवी के दोनों रूपों की बीन।

📜 अर्थ:
नवरात्रि में देवी की पूजा दरअसल पार्वती और दुर्गा — दोनों रूपों की आराधना होती है। एक में कोमलता है, दूसरे में युद्ध का साहस।

🌺📿🪔🎉

🔶 चरण ७
हे माँ पार्वती-दुर्गा, दो हमें संयम और बल।
प्रेम से भरे हों कर्म हमारे, और मुख में हो मधुर हल।
तेरे रूपों से सीखें हम, कब होना कोमल, कब कठोर।
तेरे आशीर्वाद से बने जीवन हमारा गौरवमय और गौर।

📜 अर्थ:
देवी से प्रार्थना है कि वे हमें अपने दोनों रूपों से जीवन जीने की प्रेरणा दें — कभी कोमल बनें, कभी साहसी, पर सदा धर्म के मार्ग पर रहें।

🙏🕉�✨🌺

🌟 कविता का सार (Summary):
देवी पार्वती और दुर्गा एक ही शक्ति के दो रूप हैं —
🌼 पार्वती: सहनशीलता, प्रेम, तपस्या
🔥 दुर्गा: साहस, युद्ध, रक्षक शक्ति
इन दोनों के संतुलन से ही जीवन में सच्ची शक्ति और सफलता संभव है।

🙏 **जय माँ पार्वती!
जय माँ दुर्गा!
प्रेम और शक्ति की देवी!**
🌸🕉�🛕🪔🦁

--अतुल परब
--दिनांक-13.06.2025-शुक्रवार.
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