राष्ट्रीय मल्लखंIभ दिवस-"मल्लखंभ – शरीर का योग, आत्मा का संग्राम"

Started by Atul Kaviraje, June 16, 2025, 10:28:25 AM

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Atul Kaviraje

🙏 राष्ट्रीय मल्लखंIभ दिवस
📅 तारीख: 15 जून 2025 – रविवार
🎉 अवसर: भारत की गौरवशाली पारंपरिक व्यायाम विद्या "मल्लखंभ" को समर्पित
🧘�♂️ भाव: साधना, संतुलन, आत्मबल
📖 एक अर्थपूर्ण व सरल दीर्घ हिंदी कविता, प्रत्येक चरण के अर्थ और प्रतीकों सहित

🏆 कविता शीर्षक:
"मल्लखंभ – शरीर का योग, आत्मा का संग्राम"

🌟 चरण 1
डंड पे चढ़ता वीर जवान,
धैर्य और साहस उसकी पहचान।
हवा में लहराए जैसे पतंग,
मल्लखंभ रचाए शक्ति का रंग।

📖 अर्थ:
मल्लखंभ में खिलाड़ी अपनी हिम्मत और धैर्य से डंड पर अद्भुत संतुलन और लय दिखाता है। वह हवा में मानो एक पतंग सा प्रतीत होता है।

🔷 प्रतीक:
🪁 (पतंग) | 💪 (साहस) | 🌀 (लय)

🌟 चरण 2
ना मशीन, ना कोई शोर,
केवल साधना का है जोर।
मन, तन और आत्मा का मेल,
यही मल्लखंभ की असली रेल।

📖 अर्थ:
यह खेल मशीनों या शोरगुल से नहीं, बल्कि साधना, आत्मसंयम और साधारण साधनों से संभव होता है।

🔷 प्रतीक:
🧘 (साधना) | 🔕 (शांति) | 🪵 (डंड)

🌟 चरण 3
गुरु से मिले जो प्रेरणा की बात,
कभी न छूटे अभ्यास की सौगात।
हर दिन बढ़े आत्मविश्वास,
मल्लखंभ बने जीवन का प्रकाश।

📖 अर्थ:
गुरु से प्राप्त ज्ञान और अनुशासन से अभ्यास निरंतर चलता रहता है, जिससे आत्मविश्वास और जीवन में उजाला आता है।

🔷 प्रतीक:
📿 (गुरु) | 🔦 (प्रकाश) | 🎯 (दृढ़ लक्ष्य)

🌟 चरण 4
बचपन से लेकर युवावस्था तक,
मल्लखंभ देता है ऊर्जा अपार।
शरीर बने लोहे की तरह,
मन रहे निर्मल, सदा प्रसन्नचार।

📖 अर्थ:
मल्लखंभ से हर आयु वर्ग को शारीरिक ताकत और मानसिक शांति मिलती है।

🔷 प्रतीक:
⚙️ (लोहे सा शरीर) | 😊 (शांत चित्त) | 🔋 (ऊर्जा)

🌟 चरण 5
भारत की यह पुरातन कला,
विश्व में बजाए अपनी दुंदुभि भला।
संस्कृति का है यह संगीन स्वर,
जोड़े तन, मन और भारत का स्वर।

📖 अर्थ:
मल्लखंभ भारत की प्राचीन परंपरा है, जो भारतीय संस्कृति की गूंज को पूरी दुनिया में फैलाती है।

🔷 प्रतीक:
📯 (संस्कृति) | 🌍 (विश्व) | 🇮🇳 (भारत)

🌟 चरण 6
15 जून का दिन आए,
परंपरा का दीप जलाए।
हर बालक को दो यह ज्ञान,
मल्लखंभ बने उसका अभिमान।

📖 अर्थ:
15 जून को हम मल्लखंभ दिवस मनाकर नई पीढ़ी को इसके गौरव से परिचित कराते हैं।

🔷 प्रतीक:
🪔 (दीप) | 📘 (ज्ञान) | 👦 (बालक)

🌟 चरण 7
संयम, शक्ति, योग की राह,
मल्लखंभ में छुपा प्रभु की चाह।
भूल न जाएं यह अमूल्य निधि,
रखें इसे हृदय में सदा सजीव सजी।

📖 अर्थ:
मल्लखंभ केवल व्यायाम नहीं, यह प्रभु से जुड़ने की एक साधना है, जिसे हमें सहेजकर रखना चाहिए।

🔷 प्रतीक:
🧘�♂️ (योग) | 🛤� (राह) | 💖 (हृदय)

💬 संक्षिप्त अर्थ / भावार्थ:
मल्लखंभ एक ऐसा व्यायाम है जो केवल शरीर नहीं, आत्मा को भी मज़बूत करता है। इसमें संतुलन, साहस, संयम और परंपरा का अद्भुत संगम है। 15 जून को हम इसे याद करते हैं — ताकि यह ज्ञान आने वाली पीढ़ियों को भी मिले।

🖼� कल्पनाशील चित्र / प्रतीक / इमोजी:
🪵 मल्लखंभ का डंड

🧘 अभ्यासरत साधक

🇮🇳 भारत की संस्कृति

💪 शक्ति और साहस

🪔 दीप और परंपरा

🌟 राष्ट्रीय मल्लखंभ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
💬 "शक्ति केवल बाहरी नहीं, भीतर की जागरूकता से आती है।"
🙏 जय भारत, जय मल्लखंभ! 🇮🇳

--अतुल परब
--दिनांक-15.06.2025-रविवार.
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